लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हालात हर घण्टे खराब हो रहे् हैं। ऊपर की दो तस्वीरों में पहली तस्वीर लखनऊ के एक रिटायर्ड जज की है। तो दूसरी तस्वीर लखनऊ के भैंसा कुंड शमशान घाट की है। भैंसा कुंड श्मशान घाट को ऊंची चहारदिवारी से घेर दिया है, ताकि न जलती लाश दिखे और न ही लोगों को सच का पता चले कि कितने मरे और कितने जले?
PC- Janjwar
राज्य की राजधानी के विनम्र खण्ड में रहने वाले रिटायर्ड जज रमेश चंद्रा की पत्नी मधू चंद्रा का आज सुबह 10 बजे स्वर्गवास हो गया। यह पति पत्नी दोनो कोरोना पॉजिटिव हैं। पूर्व जज रमेश चंद्रा अपने लिखे पत्र में कहते हैं कि 'मैं कल सुबह सात बजे से लगातार पचासों बार प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराए गए नम्बरों पर फोन करता रहा, लेकिन न तो कोई घर पर दवा देने आया और ना ही अस्पताल में भर्ती करवाने की प्रक्रिया की गई।
बता दें कि 67 वर्षीय रिटायर्ड जज रमेश चंद्रा की 64 वर्षीय पत्नी मधू की इलाज के अभाव में दर्दनाक मौत हो गई। जज का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी पत्नी मधू का स्वर्गवास हो गया। वर्तमान समय में हालत यह है कि कोई भी डेड बॉडी उठाने वाला नहीं है। शोसल मीडिया पर लिखकर डाले गए इस पत्र के माध्यम से पूर्व जज ने मदद की अपील की है।
जज की इस भावुक कर देने वाली एक चिट्ठी के बाद दूसरी तस्वीर जो योगी आदित्यनाथ सरकार के नौकरशाहों की बद इंतजामी को उजागर करती है। यह बात पूरी तरह समझ के बाहर है कि आखिर प्रदेश सरकार ने बीते साल से सीखा क्या था? खैर जब सरकार को कुछ समझ नहीं आया तो इज्जत बचाने के लिए लखनऊ के भैंसा कुंड श्मशान घाट को ऊंची चहारदिवारी से घेर दिया है ताकि न जलती लाश दिखे और न ही लोगों को सच का पता चले।
बताते चलें कि बीते कई दिनो से लखनऊ से लगाकर वाराणसी इत्यादि जनपदों के हालात बद से बदतर चल रहे हैं। खुद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ सवाल जवाब से बचने के लिए कोरोना पॉजिटिव होकर आईसोलेट हो गए हैं। अब जब सूबे का मुखिया ही कोरोना पॉजिटिव है तो सवाल जवाब किससे किया जाएगा। यही भारतीय जनता पार्टी की राजनिती का असली चेहरा है, जो हर एक संकट के समय ही खुलकर सामने आता है।
साभार- जनज्वार
PC- Janjwar
राज्य की राजधानी के विनम्र खण्ड में रहने वाले रिटायर्ड जज रमेश चंद्रा की पत्नी मधू चंद्रा का आज सुबह 10 बजे स्वर्गवास हो गया। यह पति पत्नी दोनो कोरोना पॉजिटिव हैं। पूर्व जज रमेश चंद्रा अपने लिखे पत्र में कहते हैं कि 'मैं कल सुबह सात बजे से लगातार पचासों बार प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराए गए नम्बरों पर फोन करता रहा, लेकिन न तो कोई घर पर दवा देने आया और ना ही अस्पताल में भर्ती करवाने की प्रक्रिया की गई।
बता दें कि 67 वर्षीय रिटायर्ड जज रमेश चंद्रा की 64 वर्षीय पत्नी मधू की इलाज के अभाव में दर्दनाक मौत हो गई। जज का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी पत्नी मधू का स्वर्गवास हो गया। वर्तमान समय में हालत यह है कि कोई भी डेड बॉडी उठाने वाला नहीं है। शोसल मीडिया पर लिखकर डाले गए इस पत्र के माध्यम से पूर्व जज ने मदद की अपील की है।
जज की इस भावुक कर देने वाली एक चिट्ठी के बाद दूसरी तस्वीर जो योगी आदित्यनाथ सरकार के नौकरशाहों की बद इंतजामी को उजागर करती है। यह बात पूरी तरह समझ के बाहर है कि आखिर प्रदेश सरकार ने बीते साल से सीखा क्या था? खैर जब सरकार को कुछ समझ नहीं आया तो इज्जत बचाने के लिए लखनऊ के भैंसा कुंड श्मशान घाट को ऊंची चहारदिवारी से घेर दिया है ताकि न जलती लाश दिखे और न ही लोगों को सच का पता चले।
बताते चलें कि बीते कई दिनो से लखनऊ से लगाकर वाराणसी इत्यादि जनपदों के हालात बद से बदतर चल रहे हैं। खुद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ सवाल जवाब से बचने के लिए कोरोना पॉजिटिव होकर आईसोलेट हो गए हैं। अब जब सूबे का मुखिया ही कोरोना पॉजिटिव है तो सवाल जवाब किससे किया जाएगा। यही भारतीय जनता पार्टी की राजनिती का असली चेहरा है, जो हर एक संकट के समय ही खुलकर सामने आता है।
साभार- जनज्वार