सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा- वरवरा राव की जमानत याचिका पर जल्द से जल्द करें सुनवाई

Written by sabrang india | Published on: October 30, 2020
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जेल में बंद तेलुगू कवि और लेखक वरवरा राव की पत्नी की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस पर विचार करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि हाईकोर्ट ने 17 सितंबर के बाद से राव की याचिका पर सुनवाई नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राव की मेडिकल स्थिति को देखते हुए समय पर उनकी याचिका पर ध्यान देने की आवश्यकता है।  



जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस रविंद्र भट की बेंच ने कहा कि यह मामला कैदी के मानवाधिकारों पर सवाल उठाता है। सुनवाई के दौरान राव की पत्नी पेंड्याला हेमलता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि राव कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनसे फैसला लेने की उनकी क्षमता और उनकी मानसिक समझ प्रभावित हुई है।

उन्होंने कहा कि अन्य बीमारियों के अलावा राव को हृदय संबंधी समस्याएं हैं और वह कोरोना से जूझ रहे हैं लेकिन उन्हें मेडिकल राय के खिलाफ जाकर मुंबई के नानावती अस्पताल से तलोजा जेल ले जाया गया। बेंच ने जयसिंह ने कहा कि इस मामले में दायर की गई मेडिकल रिपोर्ट जुलाई महीने की थी।

उन्होंने जयसिंह से पूछा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर आखिरी बार कब सुनवाई की थी? इस पर जयसिंह ने कहा कि अगस्त और फिर 17 सितंबर को जमानत याचिका पर सुनवाई थी लेकिन उसके बाद सुनवाई नहीं हुई क्योंकि बेंच के जजों में से एक ने खुद को मामले की आगे की सुनवाई से अलग कर लिया था।

जयसिंह ने कहा कि अदालत से किए गए बार-बार आग्रह के बावजूद जमानत याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हुई, जबकि मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि राव उन बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिसने उनकी सोचने-समझने की मानसिक क्षमता को प्रभावित किया है।

बेंच ने जयसिंह से पूछा कि क्या इन तथ्यों को हाईकोर्ट के समक्ष लाया गया था तो इस पर उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार को इस बारे में एक पत्र भेजा गया था। बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट से जल्द से जल्द राव की जमानत याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह करते हैं।

जयसिंह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की गई थी। जयसिंह ने कहा कि राव को उनकी मेडिकल राय के विपरीत जाकर अस्पताल से जेल ले जाया गया और यह उनके स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है। बेंच ने कहा कि मामले में संज्ञान लिया गया है इसलिए सुप्रीम कोर्ट यह नहीं कह सकता कि राव को हिरासत में लिया जाना अवैध था और जमानत याचिका के मामले को पहले ही हाईकोर्ट के समक्ष लाया गया है।

बेंच ने कहा कि जहां तक मेडिकल स्थिति का सवाल है, हाईकोर्ट के पास नानावती अस्पताल की रिपोर्ट है लेकिन सुप्रीम कोर्ट को जो बात परेशान कर रही है, वह यह है कि बेंच के एक जज द्वारा खुद को मामले से अलग रखने के बाद इस मामले पर सुनवाई नहीं हो रही है। जयसिंह ने कहा कि इतना समय बीत चुका है और वरवरा राव की हालत पहले से बहुत खराब हो चुकी है और इस बात की उचित आशंका है कि उनकी जेल में मौत हो सकती है।

बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि वरवरा राव को नानावती अस्पताल से तलोजा जेल क्यों शिफ्ट किया गया? बेंच ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट 2019 में पुणे के विशेष जज के समक्ष दायर की गई थी, जिन्होंने गिरफ्तार शख्स के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया था।

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में वरवरा राव की पत्नी पेंड्यला हेमलता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हेमलता द्वारा दायर याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि 81 वर्षीय वरवरा राव को अस्थायी चिकित्सा जमानत पर रिहा किया जाए और उन्हें अपने परिवार और प्रियजनों से मिलने के लिए हैदराबाद जाने की अनुमति दी जाए।

उन्होंने राव को इस आधार पर तत्काल रिहा करने की मांग की है कि उन्हें निरंतर हिरासत में रखना क्रूरता और अमानवीय है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और हिरासत में उनकी गरिमा का उल्लंघन होता है।

याचिका में कहा गया है कि उनका वजन करीब 18 किलो कम हो गया है और वे कई बीमारियों से पीड़ित हैं। याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता के पति की स्वास्थ्य स्थिति बहुत खराब है और वह विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं। यह सर्वविदित है कि कोविड-19 मरीजों में समान लक्षण नहीं होते हैं। यह भी पता चला है कि कोविड-19 के कारण कई अंगों पर प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक रोगी अलग-अलग लक्षण दिखाते हैं।’

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