छत्तीसगढ़ सरकार किसानों की आत्महत्या के मामले दबाने के लिए कैसे-कैसे तरीके अपनाती है, इसकी मिसाल बिलासपुर के पेंड्रा में आत्महत्या करने वाले किसान सुरेश सिंह मरावी के मामले में देखने को मिल रहा है।
फसल खराब होने और कर्ज में डूबने से परेशान किसान सुरेश सिंह मरावी ने 7 जून को अपनी ससुराल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जब मामले ने तूल पकड़ा तो अगले दिन ही 8 जून को सहकारी बैंक ने सुरेश सिंह के खाते में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रुपए जमा करके साबित करने की कोशिश की कि सुरेश सिंह मरावी पर कोई कर्ज था ही नहीं।
मृतक सुरेश के भाई ने दैनिक भास्कर को बताया कि 7 जून को सुरेश ने आत्महत्या की थी और 8 जून को सहकारी बैंक ने उसके खाते में एक लाख 79 हजार 547 रुपए जमा करा दिए, जबकि यही बैंक कर्ज चुकाने के लिए सुरेश सिंह मरावी के पास लगातार नोटिस भेज रहा था।
लगातार 4 साल सूखा पड़ने से सुरेश परेशान था और सहकारी बैंक से लिया कर्जा नहीं चुका पा रहा था। बैंक के अधिकारी उस पर लगातार दबाव डाल रहे थे। मृतक के परिवार में पत्नी और 4 बेटियां हैं। सूखे से परेशान उसके 2 भाई पलायन कर चुके हैं।
घटना के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता और मरवाही के विधायक अमित जोगी ने कहा है कि सरकार बीमा की राशि डालकर साबित करना चाहता था कि मृतक पर कोई कर्जा नहीं था, लेकिन खाते में रकम जमा करने की तारीख से उसकी पोल खुल गई है।
मृतक सुरेश की मां मानमती बाई ने भी आरोप लगाया है कि कर्ज से परेशान उसके बेटे को प्रताड़ित किया जा रहा था और अब अधिकारी झूठ बोल रहे हैं कि उस पर कोई कर्जा नहीं था। मानमती ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
फसल खराब होने और कर्ज में डूबने से परेशान किसान सुरेश सिंह मरावी ने 7 जून को अपनी ससुराल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जब मामले ने तूल पकड़ा तो अगले दिन ही 8 जून को सहकारी बैंक ने सुरेश सिंह के खाते में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रुपए जमा करके साबित करने की कोशिश की कि सुरेश सिंह मरावी पर कोई कर्ज था ही नहीं।
मृतक सुरेश के भाई ने दैनिक भास्कर को बताया कि 7 जून को सुरेश ने आत्महत्या की थी और 8 जून को सहकारी बैंक ने उसके खाते में एक लाख 79 हजार 547 रुपए जमा करा दिए, जबकि यही बैंक कर्ज चुकाने के लिए सुरेश सिंह मरावी के पास लगातार नोटिस भेज रहा था।
लगातार 4 साल सूखा पड़ने से सुरेश परेशान था और सहकारी बैंक से लिया कर्जा नहीं चुका पा रहा था। बैंक के अधिकारी उस पर लगातार दबाव डाल रहे थे। मृतक के परिवार में पत्नी और 4 बेटियां हैं। सूखे से परेशान उसके 2 भाई पलायन कर चुके हैं।
घटना के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता और मरवाही के विधायक अमित जोगी ने कहा है कि सरकार बीमा की राशि डालकर साबित करना चाहता था कि मृतक पर कोई कर्जा नहीं था, लेकिन खाते में रकम जमा करने की तारीख से उसकी पोल खुल गई है।
मृतक सुरेश की मां मानमती बाई ने भी आरोप लगाया है कि कर्ज से परेशान उसके बेटे को प्रताड़ित किया जा रहा था और अब अधिकारी झूठ बोल रहे हैं कि उस पर कोई कर्जा नहीं था। मानमती ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।