किसान आंदोलन: कोरोना संकट के बीच टिकरी बॉर्डर के लिए पंजाब से निकले 20,000 किसान

Written by Navnish Kumar | Published on: April 22, 2021
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच टिकरी व सिंधु बॉर्डर पर फिर से किसानों का जमावड़ा बढ़ना शुरू हो गया है। वहीं, बुधवार को पंजाब के डेढ़ हजार गांवों से 20 हजार से ज्यादा किसान दिल्ली टिकरी बॉर्डर के लिए निकले हैं। इनमें 60 फीसदी महिलाएं हैं क्योंकि पुरुष खेतों में व्यस्त हैं। इसलिए महिलाएं कमान संभालेंगी। खास है कि पंजाब, हरियाणा में पाबंदियों और दिल्ली में कर्फ्यू की घोषणा के बाद पहला बड़ा काफिला दिल्ली सीमाओं की ओर निकला है। वहीं खास यह भी कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान बीते एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को करीब 150 दिन दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हो गए हैं।

 

खास है कि कोरोना वायरस को लेकर सरकारें सख्त रवैया अपना रही हैं। किसानों का आरोप है कि कोरोना की आड़ में सरकार, आंदोलन समाप्त को दबाव बना रही है। इस बीच खबर है कि राजधानी दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए 1650 गांवों के प्रदर्शनकारी पंजाब से रवाना हो रहे हैं। ये हजारों किसान बुधवार की सुबह दिल्ली की तरफ निकले हैं। कहा जा रहा है कि ये सभी किसान भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) के सदस्य हैं। 

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के गांवों से हजारों किसान आज दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। यूनियन नेताओं ने कहा कि 1650 गांवों से 20 हजार से ज्यादा लोग दिल्ली पहुंचने के लिए पंजाब की सीमाओं को क्रॉस करेंगे। बीकेयू उग्राहां गुट के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बताया, 'इनमें से 60 फीसदी महिलाएं होंगी, क्योंकि पुरुष खेतों में व्यस्त हैं। इसलिए महिलाओं को कमान संभालनी होगी।

उन्होंने बताया, 'वे बठिंडा-डबवाली, खनौरी-जींद और सारदुलगढ़ फतेहाबाद सीमाओं से बस, वैन और ट्रैक्टरों के जरिए टिकरी बॉर्डर पहुंचेंगी। खास बात है कि पंजाब, हरियाणा में पाबंदियों और दिल्ली में कर्फ्यू की घोषणा के बाद पहला बड़ा काफिला दिल्ली सीमाओं की ओर निकला है। खनौरी-जींद से आने वाले काफिले का नेतृत्व जोगिंदर सिंह उग्राहां और सुखदेव सिंह कोकरीकलां करेंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के बड़ी संख्या होने के बाद भी यूनियन की महिला मोर्चा की प्रमुख हरिंदर कौर बिंदु उनके साथ नहीं जाएंगी। उन्होंने बताया कि उनकी जांच पॉजिटिव आई है और वो होम क्वारंटीन हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि उनके आइसोलेशन के चार दिन बाकी हैं। इसके चलते वो टिकरी अगले हफ्ते जाएंगी।

यही नहीं, गेहूं की कटाई और बिक्री के काम से खाली होने के बाद आंदोलन का रुख करने वाले हजारों किसान पहले ही बहादुरगढ़ के रास्ते टिकरी बॉर्डर पर जमा हो गए हैं। उधर, स्थानीय प्रशासन भी सख्ती कर रहा है। निर्देश हैं कि प्रदर्शनकारी किसान सभाएं नहीं करेंगे और एक जगह जमा नहीं होंगे। हफ्ताभर पहले तक टिकरी बॉर्डर पर करीब 150 किसान रह गए थे जो बुजुर्ग थे और खेतों में गेहूं कटाई के लिए न जाकर यहीं बॉर्डर पर रुके रहे। किसान नेता सुखदेव सिंह कोकरी कलां का कहना है कि गेहूं की फसल की बिक्री का काम निपटाने के बाद पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर फिर से मोर्चे लगाने को तैयार हैं। अगले एक हफ्ते में भारतीय किसान यूनियन उग्राहां के किसानों का जत्था दिल्ली बॉर्डर पर होगा।

0सिंघु-गाजीपुर बॉर्डर पर बोले किसान- कोरोना की आड़ में हो रही साजिश
दूसरी ओर, सिंघु-गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना हैं कि कोरोना की आड़ में सरकार साजिश कर रही है। सिंघु बॉर्डर पर भाकियू के प्रेसिडेंट बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि ना तो वे अपना आंदोलन समाप्त करेंगे और ना ही इसे स्थगित करेंगे। राजेवाल ने कहा, किसानों के प्रदर्शन स्थल पर कोई कोरोना नहीं है। हमने एक भी केस नहीं पाया है। ऐसे में ये कहा जाना कि ‘किसानों को वापस चले जाना चाहिए’ किसान आंदोलन के खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश है, हमें पता है कि एक बार किसानों के पंजाब वापस लौटने के बाद सरकार उन्हें कभी भी दिल्ली नहीं आने नहीं देगी. लिहाजा कानूनों की वापसी तक हम कहीं नहीं जाने वाले हैं। 

उन्होंने कहा कि किसानों ने किसी भी ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले ट्रक को वापस नहीं लौटाया है। कहा कि धरना स्थल के पास यातायात संभालने की जिम्मेदारी पुलिस के पास है और ऐसे वाहनों को पुलिस ही लौटा रही है। राजेवाल ने कहा, प्रदर्शन स्थल के पास ब्लॉक रोड के अलावा कई रोड हैं, जो दिल्ली जाती हैं। वहीं कई रास्तों पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा है। उन्होंने बताया, “किसानों ने प्रदर्शन स्थल पर कोरोना से बचाव के लिए कई कदम उठाए हैं, किसान कोरोना गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं, मास्क पहन रहे हैं और सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही सिंघु बॉर्डर पर 10 बेड का अस्पताल भी बनाया गया है और डॉक्टरों की टीम भी लगी हुई है।

उधर, यूपी गेट बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि सरकार धरना हटाने के लिए धमकियां दे रही हैं और इससे किसानों के आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। किसान इस मोर्चे पर अपने गांव की तरह अपने घर में रह रहे हैं, कटाई के बाद बॉर्डर पर किसानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की घर वापसी तीनों कृषि कानून वापस होने तक नहीं होगी। आंदोलन को तेज करने के लिए गांव-गांव में तैयारी चल रही है।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने चेताया कि सरकार दोबारा किसान आंदोलन समाप्त करने की तैयारी ना करें अन्यथा किसान पूरी तरह तैयार हैं। कोरोना के फैलने के डर के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सारे किसान कोरोना की सुरक्षा के दायित्वों का पालन कर रहे हैं, हम उसकी व्यवस्था भी कर रहे हैं। कहा- अगर यहां से किसान हट भी जाएं तब भी तो अपने ही गांव में रहेंगे। कहा कोरोना के डर से किसान आंदोलन को नहीं हटाया जा सकता। इलाज के लिए सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। उधर तराई किसान समिति के तेजिंदर विर्क ने बताया कि पूरे उत्तराखंड व पश्चिम उत्तर प्रदेश से गाजीपुर बॉर्डर पर संख्या बढ़ाने पर अभियान चलाया जा रहा है।

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