कर्नाटक : 17वां अखिल भारतीय सीटू सम्मेलन बेंगलुरु में शुरू

Written by Nikhil Cariappa | Published on: January 19, 2023
सीटू के महासचिव, तपन सेन ने मेहनतकश लोगों पर बढ़ते हमलों की पृष्ठभूमि में ट्रेड यूनियन आंदोलनों के महत्व पर ज़ोर दिया।



बेंगलुरु : सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का 17वां अखिल भारतीय सम्मेलन 18 जनवरी, 2022 को शुरू हुआ। देश भर से प्रतिनिधि इस आयोजन के लिए बेंगलुरु पहुंचे। कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ) के शहीदों को सम्मान देने के बाद, वॉलिंटियर्स के द्वारा सीटू अध्यक्ष डॉ. के हेमलता को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

स्वागत समिति के अध्यक्ष के. सुब्बा राव ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में आए मेहमानों में, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (WFTU) के महासचिव, पंबिस किरीटिसिस भी शामिल थे। इसके अलावा इस सम्मेलन में देश भर से 1525 प्रतिनिधि शामिल हुए।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, सीटू के महासचिव, तपन सेन ने मेहनतकश लोगों पर बढ़ते हमलों की पृष्ठभूमि में ट्रेड यूनियन आंदोलनों के महत्व पर ज़ोर दिया।

के. हेमलता ने कहा कि सीटू सम्मेलन कॉर्पोरेट हितों की सेवा करने वाली नीतियों को बदलने के लिए रणनीतियों पर विचार करेगा।

दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए, के. हेमलता कहती हैं, "आज दुनिया के सबसे ग़रीब लोगों का हिस्सा 1820 के दशक में उनके हिस्से का लगभग आधा है। पिछले 200 साल में इस प्रकार इतनी असमानता बढ़ी है। हालत यह है कि विश्व बैंक और आईएमएफ तक इस संकट की बात कर रहे हैं। उनके अपने अनुमान के मुताबिक़ वर्तमान आर्थिक मंदी के कारण, विश्व अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा और सिकुड़ने वाला है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के सुझाए तरीक़ों में, वेतन की अधिकतम सीमा, सब्सिडी हटाना और निर्यात पर प्रतिबंध हटाना शामिल है। पूंजीवाद के पास मौजूदा संकट का कोई जवाब नहीं है और जो देश नवउदारवादी रास्ते पर चलते हैं, उनका असफल होना तय है।"


एक साथ एक समय पर अनुवाद के लिए हेडसेट के माध्यम से इन सत्रों का छह भाषाओं में अनुवाद किया गया।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सीटू कर्नाटक के पूर्व अध्यक्ष 85 वर्षीय वीजेके नायर ने 1946 में पुलिस गोलीबारी में कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ) के कार्यकर्ताओं की शहादत के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "40 के दशक में, कम्युनिस्ट पार्टी इस क्षेत्र (जो अब कर्नाटक है) में काफ़ी मज़बूत थी। कोलार गोल्ड फील्ड्स में ( जहां सोने का खनन किया जा रहा था), मैसूर खान कर्मचारी संघ का आयोजन और नेतृत्व कम्युनिस्टों ने किया था। कर्मचारियों को ख़बर मिली थी कि यूनियन के नेता केएस वासन पुलिस हिरासत में हैं। हालांकि यह ख़बर सही नही थी, लेकिन ऐसी अफवाह कर्मचारियों तक पहुंच गई। ख़बर सुनते ही वे खदान से बाहर निकल आए और पुलिस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। और पुलिस फायरिंग में छह कर्मचारी शहीद हो गए। जिस स्थान पर उनकी मृत्यु हुई, उसे कम्युनिस्ट सिमेट्री में बदल दिया गया, जो आज भी मौजूद है।"

आज़ादी के बाद भी केजीएफ खानों पर ब्रिटिश प्रभुत्व के ख़िलाफ़ श्रमिकों के विरोध के बारे में भी उन्होंने बात की। उन्होंने कहा, "सभी केजीएफ कार्यकर्ता तमिल दलित थे। 1950 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने ब्रिटिश कंपनी, जॉन टेलर एंड कंपनी के ख़िलाफ़ विरोध किया, जो आज़ादी के बाद भी केजीएफ खानों की मालिक बनी रही। 1956 में कंपनी का प्रशासन मैसूर सरकार ने अपने हांथों में ले लिया। अकेले केजीएफ से ब्रिटिश कंपनियों ने क़रीब 400 टन सोना लूट लिया।"



सम्मेलन को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएफटीयू (WFTU) के पंबिस किरीटिसिस ने सभी प्रकार के युद्ध की निंदा की। उन्होंने कहा, "आज दुनिया राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य दुश्मनी के भीषण दौर से गुज़र रही है। साम्राज्यवादी युद्धों और हस्तक्षेपों की क़ीमत हमेशा की तरह जनता को ही चुकानी पड़ती है। यूक्रेन में रूसी युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका, नाटो और यूरोपीय संघ ने इन हालातों को "उदारवाद और अधिनायकवाद के बीच युद्ध" के रूप में पेश करने की कोशिश की। लेकिन क्या इस घटनाक्रम में उनकी आपराधिक भूमिका को छिपाया जा सकता है? अपने निजी स्वार्थ और साम्राज्यवादी हितों को बढ़ावा देने के लिए इतने सारे ख़ूनी युद्ध स्पष्ट रूप से जगजाहिर हैं - फिलिस्तीन, इराक, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, यूगोस्लाविया और साइप्रस सहित कई अन्य ऐसे उदाहरण हैं। WFTU प्रतिबंधों के माध्यम से आर्थिक युद्ध सहित नाटो और सभी सैन्य गठबंधनों के विघटन के पक्ष में है।

उद्घाटन सत्र में कई यूनियनों के नेताओं ने संबोधित किया। इनमें आर चंद्रशेखरन (उपाध्यक्ष, INTUC), अमरजीत कौर (महासचिव, AITUC), नागनाथ (जनरल सेक्रेटरी, HMS कर्नाटक), के सोमा शेखर (अध्यक्ष, AIUTUC), बी राजेंद्रन नायर (राष्ट्रीय सचिव, TUCC), अशोक घोष (जनरल सेक्रेटरी, UTUC), सोनिया जॉर्ज (SEWA), क्लिफ्टन डी'रोसारियो ( नेशनल सेक्रेटरी, AICCTU) और वी वेलुस्वामी (नेशनल सेक्रेटरी, LPF) आदि शामिल थे।

Courtesy: Newsclick

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