अखबारनामा: इस संपादकीय 'संयम' को क्या नाम दिया जाए?

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: June 19, 2019
आज दैनिक भास्कर में (दूसरे) पहले पन्ने पर खबर है, "लोकसभा में गूंजा 'जयश्रीराम', 'अल्ला हू अकबर', 'मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा"। यह और इससे मिलती जुलती खबर मैं जो अखबार देखता हूं उनमें से किसी में भी पहले पन्ने पर नहीं है। दैनिक भास्कर का दूसरा पहला पन्ना इसलिए देखा कि खबरों के पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है और बाकी के आधे पन्ने में बिहार में अब तक 146 बच्चों की मौत और अन्य संबद्ध खबरें तस्वीर के साथ है। अंग्रेजी अखबारों में यह खबर सिर्फ टाइम्स ऑफ इंडिया और द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर है। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर विज्ञापन है पर खबरें भी कम नहीं हैं। टेलीग्राफ ने इस खबर को बॉटम लीड बनाया है। अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर या उससे पहले के अधपन्नों पर भी नहीं है।

टेलीग्राफ ने लिखा है, मंगलवार को लोकसभा नारे लगाने की प्रतियोगिता का अखाड़ा नजर आया। शपथग्रहण के दूसरे दिन विपक्ष ने भाजपा को टक्कर दी। सोमवार को शपथग्रहण के पहले दिन भाजपा सांसदों, जिनकी संख्या 303 है (अंग्रेजी में थ्री नॉट थ्री) ने भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारों से अपनी उपस्थिति का अहसास कराया था। मंगलवार को विपक्ष ने जवाब दिया। बहुजन समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद नारे लगाने में खासतौर से आगे थे पर वे अकेले नहीं थे। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी जब शपथ लेने जा रहे थे तो भाजपा सदस्यों ने जय श्री राम और वंदे मातरम के नारे लगाए। ओवैसी उन्हें और जोर लगाने का संकेत करते देखे गए। शपथग्रहण पूरा होने पर उन्होंने कहा, जय भीम, जय मीम, जय तकबीर, अल्लाहहू अकबर, जय हिन्द।

नवनिर्वाचित सांसदों का संसद में यह व्यवहार, चाहे जैसा हो - नया और मतदाताओं के जानने लायक है। इसे पहले पन्ने पर नहीं बताना किसी नई चीज पर उत्साहित होने की बजाय संयम रखना है और निश्चित रूप से यह संपादकीय संयम का अनूठा उदाहरण है। खासकर, एक दिन पहले की प्रमुख खबर, "विपक्षी दलों को देंगे पूरी अहमियत: मोदी" और इसपर मेरी कल की टिप्पणी के मद्देनजर। खबर है कि इसी नारेबाजी में संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने शपथग्रहण के बाद संविधान जिन्दाबाद कहा और जोड़ा, जहां तक वंदे मातरम का ताल्लुक है, यह इस्लाम के खिलाफ है और हम ऐसा नहीं कहेंगे। और इसीलिए, अखबार में पहले पन्ने पर तो नहीं लेकिन इंटरनेट पर दैनिक जागरण की खबर का शीर्षक है, "संसद में गूंजे जय श्रीराम, अल्लाह ओ अकबर के नारे, सपा सांसद ने कहा- वंदे मातरम इस्लाम विरोधी"।

टेलीग्राफ ने आगे लिखा है, ये नारे आधिकारिक रूप से मान्य नहीं हैं और लोकसभा के रिकार्ड में दर्ज नहीं हुए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा के दो सांसदों ने शपथ लेने के बाद भारत माता की जय कहा। अरुण कुमार सागर ने भारत माता की जय दो बार कहा तो राहुल गांधी उन्हें एक बार और कहने के लिए कहा। भाजपा के दूसरे सदस्य अजय कुमार ने शपथ ली तो राहुल ने ऐसा ही किया। एनडीटीवी के अनुसार, मंगलवार को संसद में करीब-करीब हर सांसद ने शपथ लेने के बाद अलग-अलग नारे लगाए। इन नारों में जय श्री राम, जय मां दुर्गा, अल्लाह-हू-अकबर, राधे राधे, भारत माता की जय शामिल हैं। सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी रहे, जिन्होंने भाजपा के 'जय श्रीराम' व 'वंदे मातरम्' के नारों के बीच मंगलवार को 17वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली।

आजतक डॉट आईएन के अनुसार, संसद सत्र के दूसरे दिन आल इंडिया मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ ली। इस दौरान संसद में जय श्रीराम के नारे लगने लगे तो ओवैसी ने कहा कि अच्छा है मुझे देखकर उन्हें ये शब्द याद आए, काश उन्हें बिहार में बच्चों की मौत भी याद आ जाए। दरअसल, मंगलवार को जैसे ही ओवैसी अपनी सीट से उठकर शपथ के लिए वेल में आए बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जय श्रीराम, भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके जवाब में ओवैसी ने भी दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए जोर-जोर से नारे लगाने का इशारा किया। इसके बाद उन्होंने अपनी शपथ पूरी की और नारे भी लगाए। नारे लगाने की इस प्रतियोगिता में मथुरा से भाजपा सांसद हेमामालिनी ने शपथ ग्रहण के अंत में राधे-राधे कहा जबकि आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने इनकलाब जिन्दाबाद कहा। नारे लगाना निर्बाध जारी रहा जबकि सदन के अध्यक्ष ने इससे मना किया।

पूरी खबर पढ़ने से यह स्पष्ट है कि सदन के अध्यक्ष के मना करने के बावजूद नारे लगते रहे और लगभग सबने लगाए। भले ही इन्हें रिकार्ड में नहीं लिया गया पर माननीयों का व्यवहार जनता के जानने लायक तो है ही। और इसे पहले पेज पर नहीं छापने से भी कोई फर्क नहीं पड़ना था। लेकिन खबर पहले पन्ने पर नहीं है तो क्यों इसपर विचार कीजिए। और खुद तय कीजिए कि क्या यह सामान्य है? इसके साथ तथ्य यह है कि शुरुआत भाजपा सांसदों ने की। और भले ही यह कोई पहली बार न हुआ हो, इस बार ज्यादा जरूर हुआ।

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