खुद को समलैंगिक बताने पर परिवार से ही बहिष्कार झेल रहीं भारतीय एथलीट दुती चंद

Written by sabrang india | Published on: May 23, 2019
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही समलैंगिक संबंधों को जायज करार कर दिया है। परंतु समाज में आज भी इस प्रकार के संबंध को सम्मान देना तो दूर, स्वीकारा तक नहीं जा रहा है। फिर कोई आम इंसान हो या एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता दुती चंद हों। दुती चंद ने खुलासा किया कि अपने गृहनगर की एक लड़की के रूप में उन्हें अपना जीवनसाथी मिल गया है।  

दुती चंद ओडिशा के चाका गोपालपुर गांव की रहने वाली हैं और बुनकर परिवार से नाता रखती हैं। वर्ष 2018 के एशियन गेम्स में दुती चंद ने भारत के लिए दो सिल्वर मेडल जीता था। इसके साथ ही खुद के समलैंगिक संबंध में होने की बात स्वीकारने वाली पहली भारतीय स्पोर्ट्स स्टार हैं। इस खुलासे के बाद दुती चंद के परिवारवालों ने उनका बहिष्कार कर दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान दुती ने कहा कि “मुझे अपना जीवनसाथी मिल गया है। मेरा मानना है कि सभी को अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी मिलनी चाहिए। मैंने समलैंगिक संबंध में रहने की चाहत रखने वालों के अधिकारों का हमेशा समर्थन किया है। आगे दुती ने कहा कि “मेरे निर्णय के आधार पर मुझे एक एथलीट के रूप में ‘जज’ नहीं किया जाना चाहिए। यह मेरा एक व्यक्तिगत निर्णय है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए पदक जीतने का अपना प्रयास जारी रखूंगी।“

सुप्रीम कोर्ट के धारा 377 पर लिए निर्णय का जिक्र करते हुए दुती ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद  मैं अपने समलैंगिक संबंध और एलजीबीटीक्यू समुदाय के बारे में बोलने के लिए साहस जुटा पाईं हूँ। हालांकि देश में एलजीबीटी विवाहों को मान्यता अभी भी नहीं दी जाती है लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जो ऐसे समलैंगिक संबंध को प्रतिबंधित कर सके। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने ब्रिटिशकालीन को खत्म कर दिया जिसमें समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा गया था।“   

आपको बता दें कि सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने कहा था कि “समाज के प्रत्येक व्यक्ति के सेक्शुअल ओरिएंटेशन को निजता के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 द्वारा निर्धारित मौलिक अधिकारों के अधार पर सुरक्षा की जानी चाहिए।“

दुती ने भविष्य को लेकर कहा कि “वर्तमान में, मेरा ध्यान विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक खेलों पर है लेकिन भविष्य में मैं उनके साथ घर बसाना चाहूंगी। मैं हमेशा से एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहती थी जो मुझे एक खिलाड़ी के रूप में प्रोत्साहित करे। मैं पिछले 10 वर्षों से एक धावक हूं और शायद अगले पांच से सात वर्षों तक धावक ही रहूँगी। मैं अपने खेल के चलते दुनिया भर की यात्रा करती हूं जो आसान नहीं है। ऐसे में मुझे किसी का सहारा भी चाहिए।“

फिलहाल दुती ने अपनी पार्टनर के बारे में कुछ नहीं बताया क्योंकि वो उसको लाइमलाइट में नहीं लाना चाहतीं। साथ ही दुती के परिवार ने भी उनके इस संबंध को अस्वीकार दिया है। परंतु सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से अलग कर दिया है लेकिन क्या आज भी समाज में यह एक अपराध है?
 

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