डॉक्टर सुब्रह्मण्यम सदेरला को रोहित वेमुला बनाने की फिराक में IIT कानपुर वाले 'उपाध्याय जी'- दिल्ली मंडल की रिपोर्ट

Written by Dilip Mandal | Published on: March 27, 2018
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रोहित वेमुला और आईआईटी कानपुर के डॉक्टर सुब्रह्मण्यम सदेरला दोनों में कई समानताएं और एक फर्क है. दोनों अपने विषय के अच्छे विद्वान माने गए. दोनों आंध्र प्रदेश के बेहद गरीब परिवार से आए और शिक्षा के शिखर पर पहुंचे. एक पीएचडी कर रहा था, दूसरे ने पीएचडी पूरी कर ली है. दोनों के बड़े सपने थे. ये तो हुई समानता की बात. दोनों में फर्क यह है कि जाति उत्पीड़न के भीषण दौर के बावजूद सुब्रह्मण्यम सदेरला अभी जिंदा हैं. 


रोहित वेमुला हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे थे और उनका सपना था कि वे दुनिया के मशहूर नक्षत्र विज्ञानी कार्ल सेगान की तरह बनें. सितारों की तरह छा जाने की कामना रखने वाले रोहित वेमुला का सपना पूरा नहीं हो सका और वे जातिवाद के ब्लैकहोल में धूल बनकर समा गए. सुब्रह्मण्यम सदेरला एस्ट्रोफिजिसिस्ट हैं, कानपुर आईआईटी से पढ़े हैं, वहीं से एमटेक और पीएचडी की है और इन दिनों वहीं एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट में पढ़ा रहे हैं. उनके सामने भी काफी हद तक वैसी ही स्थितियां हैं, जिनका सामना करते हुए रोहित वेमुला सितारों की धूल बन कर खो गए.

सुब्रह्मण्यम सदेरला से साथ भेदभाव उनके जॉब ज्वाइन करने से पहले ही शुरू हो गया था. उनके जॉब सेमिनार 25 अक्टूबर, 2017 में डॉक्टर ईशान शर्मा ने उनका मजाक उड़ाते हुए टिप्पणियां कीं और इसकी वजह से बाकी लोगों ने भी उनका माखौल उड़ाया. प्रोफेसर संजय मित्तल ने कहा कि ऐसे लोगों के आने की वजह से इंस्टिट्यूट का स्तर बिल्कुल नीचे चला गया है. इन टिप्पणियों की वजह से डॉक्टर सदेरला सेमिनार में ही रो पड़े. 

सुब्रह्मण्यम सदेरला ने 1 जनवरी, 2018 को आईआईटी कानपुर के एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट में एसिस्टेंट प्रोफेसर पद पर ज्वाइन किया. 4 जनवरी को डिपार्टमेंट का गेट टुगेदर था और उसमें एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने यह टिप्पणी की कि जो नई नियुक्ति हुई है, उससे डिपार्टमेंट का स्तर गिर गया है. यह बात सदेरला को बेहद अपमानजन लगी.

4 जनवरी को ही फेकल्टी यानी टीचरों की मीटिंग में सदेरला की नियुक्ति पर चर्चा हुई और कई सीनियर प्रोफेसरों ने यह समझाने की कोशिश की कि सदेरला की नियुक्ति गलत तरीके से हुई है, क्योंकि वे सही कैंडिडेट नहीं हैं.

एक टीचर प्रोफेसर शेखर ने आईआईटी कानपुर के टीचरों के एक मेलग्रुप, जिसमें 188 सदस्य हैं, को एक मेल भेजा कि सदेरला की एकेडेमिक योग्यता संदिग्ध है और वे टीचर बनने के काबिल नहीं हैं. इस मेल का शीर्षक था- “आईआईटी कानपुर के लिए अभिशाप.”

जब डॉक्टर सदेरला ने इसकी शिकायत की तो आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मणींद्र अग्रवाल ने तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी, जिसमें एकेटीयू के कुलपति विनय पाठक को अध्यक्षता का जिम्मा दिया गया.

इस कमेटी ने तमाम संबंधित पक्षों से बात करने की कोशिश की. एयरोनोटिक्स इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर ए.के. घोष ने माना कि प्रोफेसर संजय मित्तल, प्रोफेसर ईशान शर्मा, प्रोफेसर सी.एस. उपाध्याय, प्रोफेर देबोपम दास और प्रोफेसर सी. वेंकटेशन ने डॉक्टर सदेरला का उत्पीड़न किया. प्रोफेसर उपाध्याय ने डॉक्टर सदेरला के बारे में गलत जानकारी देते हुए डायरेक्टर और चेयरमैन को पत्र लिखा कि सदेरला किस तरह इस पद के उपयुक्त नहीं हैं.

प्रोफेसर संजय मित्तल ने अपनी सफाई में कहा कि वे नहीं जानते थे कि डॉक्टर सदेरला एससी या एसटी हैं. उन्होंने कहा कि वे सदेरला के सलेक्शन के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन चयन प्रक्रिया से उन्हें शिकायत है. उन्होंने माना कि गेट टुगेदर में उन्होंने इंस्टिट्यूट का स्तर गिरने की बात कही थी, लेकिन उनका इशारा डॉक्टर सदेरला की ओर नहीं था. बल्कि वे तो इस सेमेस्टर में क्लास कैसे लगेगी, इस पर बात कर रहे थे.

इसके बाद कमेटी प्रोफेसर उपाध्याय से मिली. उन्होंने कहा कि यह सही है कि उन्होंने डॉक्टर सदेरला की क्षमता पर सवाल उठाने वाला मेल भेजा. उपाध्याय के हिसाब से सदेरला को एम.टेक में हासिल सीपीआई 7.25 कम है. जबकि आईआईटी कानपुर में 7 सीपीआई को फर्स्ट क्लास माना जाता है. लेकिन उपाध्याय अपनी बात को सही ठहराने की कोशिश करते रहे. वे खुद के आईआईटी कानपुर का खुदा मानते हैं. उनका कहना है कि उन्हें हर स्तर पर अपनी बात रखने का अधिकार है.

प्रोफेसर ईशान शर्मा ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने सेमिनार में डॉक्टर सदेरला का मजाक उड़ाया. उनके मुताबिक उन्हें सेमिनार में अपनी पसंद का सवाल पूछने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर सदेरला उन सवालों का जवाब नहीं दे पाए जो वे अपने सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स से पूछते हैं और उनकी राय में डॉक्टर सदेरला छात्रों को पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. दरअसल ईशान शर्मा को एससी-एसटी फेकल्टी के खाली पदों को भरने की स्पेशल ड्राइव से ही दिक्कत है.
प्रोफेसर आर. शेखर ने माना कि उन्होंने डॉक्टर सदेरला की क्षमता पर सवाल उठाते हुए एक मेल आईआईटी के प्रोफेसरों के मेल ग्रुप पर भेजा था. इस मेल में उन्होंने सदेरला की नियुक्ति को संस्थान के लिए अभिशाप बताया.

सारी पड़ताल के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें कहा गया है कि 

1. डॉक्टर सदेरला की नियुक्ति नियमों के तहत हुई है और नियुक्ति कमेटी ने आम राय से उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी. ज्यादातर प्रोफेसर भी ऐसा ही मानते हैं.
2. इस प्रोफेसर सीएस उपाध्याय, आर. शेखर और ईशान शर्मा ने मुद्दा बनाया. उनकी हरकतों से डॉक्टर सदेरला को पीड़ा पहुंची. इनके अलावा प्रोफेसर संजय मित्तल की हरकतों से भी डॉक्टर सदेरला को मानसिक कष्ट हुआ.
3. इंस्टिट्यूट के प्रबंधन को इन चारों प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई करनी चाहिए.

दिलचस्प बात यह है कि जांच कमेटी की स्पष्ट सिफारिश के बावजूद इन चारों प्रोफेसरों पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है. आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की 19 मार्च की बैठक में जांच कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई, ताकि आगे की कार्रवाई हो सके. लेकिन बोर्ड ने कोई भी फैसला नहीं लिया.

अब भी वे प्रोफेसर आईआईटी कानपुर में मौजूद हैं, जिन्होंने एक एससी टीचर का सिर्फ जाति के आधार पर अपमान किया. इस अपमान के सारे सबूत मौजूद हैं और जांच कमेटी द्वारा उन्हें चिन्हित का जा चुका है. 

सवाल उठता है कि क्या आईआईटी कानपुर चाहता है कि रोहित वेमुला कांड वहां भी दोहराया जाए? डॉक्टर सदेरला को रोहित वेमुला बनने से बचाना चाहिए. 

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