IIFL Report: पूंजीवाद को पोषित करतीं महामारी? योगीराज में भी अरबपतियों की संख्या बढ़ी

Written by Navnish Kumar | Published on: September 26, 2022
यूपी के 25 अमीरों के पास 67,200 करोड़ की संपत्ति


Image Courtesy: Goodreturns

IIFL Wealth Hurun India: आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया की ओर से वर्ष 2022 के लिए जारी अरबपतियों की रिच लिस्ट में गौतम अडाणी 10.94 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ पहले स्थान पर काबिज हैं। जबकि पिछले वर्ष लिस्ट में पहले नंबर पर रहे मुकेश अंबानी इस वर्ष की लिस्ट में 7.94 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर हैं। यूपी में भी 25 अमीरों के पास 67,200 करोड़ की संपत्ति है।

हुरुन इंडिया की ओर से जारी लिस्ट में करोड़पतियों (Millionaires) के बारे में राज्यवार जानकारी दी गई है। लिस्ट के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा अमीर महाराष्ट्र में रहते हैं। महाराष्ट्र राज्य से इस लिस्ट में 335 अरबपतियों को जगह मिली है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 33 अधिक है। गौर करने वाली बात ये है कि वर्ष 2018 की लिस्ट में महाराष्ट्र से 271 अरबपतियों को शामिल किया गया था। महाराष्ट्र के बाद लिस्ट में सबसे ज्यादा अरबपति दिल्ली से हैं। पिछले वर्ष की तुलना में दिल्ली से लिस्ट में शामिल किए गए अरबपतियों में 18 लोग बढ़े हैं। देश की राजधानी से लिस्ट में 185 लोगों का नाम है। वहीं, लिस्ट के अनुसार कर्नाटक में 94, गुजरात में 86, तमिलनाडु में 79, तेलंगाना में 70, पश्चिम बंगाल में 38, हरियाणा में 29, उत्तर प्रदेश में 25, राजस्थान में 16, केरल में 15, आंध्र प्रदेश में 8, पंजाब में 7, मध्य प्रदेश में 6, झारखंड और बिहार में 4-4, छत्तीसगढ़ व ओडिसा में 3-3, उत्तराखंड में 2 व चंडीगढ़ में एक अरबपति हैं। हुरुन इंडिया की रिच लिस्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा 283 अमीर महाराष्ट्र के मुंबई रहते हैं।

यूपी में कौन है टॉप पर 

घड़ी समूह के मालिक मुरली बाबू इस बार भी यूपी के सबसे बड़े रईस घोषित किए गए हैं। इसी के साथ प्रदेश में 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति वाली हस्तियों की संख्या बढ़ गई है। अंतर्राष्ट्रीय हुरुन रिचलिस्ट में इस बार यूपी के 25 उद्योगपतियों को जगह मिली है। यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है। पिछली सूची में यह संख्या 22 थी। बता दें कि हुरुन की सूची में शामिल होने के लिए न्यूनतम 1000 करोड़ रुपये की नेटवर्थ होना जरूरी है। बुधवार 21 सितंबर को जारी सूची के मुताबिक यूपी में सबसे बड़े रईस के रूप में घड़ी समूह के मालिक मुरली बाबू अपने स्थान पर इस बार भी डटे रहे। हालांकि वह देश के अमीरों की लिस्ट में 149 वें पायदान पर हैं। पिछले साल की तुलना में उन्होंने 28 पायदान की छलांग मारी है। 2021 में उनकी नेटवर्थ 9800 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 12,000 करोड़ हो गई है। उनके भाई बिमल ज्ञानचंदानी दूसरे नंबर पर काबिज हैं, जिनकी नेटवर्थ 8,000 करोड़ रुपये है। पिछले साल वह 6600 करोड़ के साथ तीसरे नंबर पर थे। 

अरबपतियों के मामले में नोएडा टॉप और आगरा दूसरे नंबर पर

अरबपतियों की सूची में नोएडा के 8, आगरा के 6, कानपुर और लखनऊ के 5-5 उद्योगपतियों को जगह मिली है। पहली बार प्रयागराज ने भी अपनी जगह बनाई है। फिजिक्सवाला कोचिंग के अलख पांडेय ने 4400 करोड़ नेटवर्थ के साथ रिचलिस्ट में सीधे प्रवेश किया है। 25 उद्योगपतियों की सूची में पहली बार शामिल होने वाले कारोबारियों की संख्या 4 है। इनमें प्रयागराज के अलख पांडेय (फिजिक्सवाला), नोएडा से याशीष दहिया (फिनटेक) आगरा के मोहम्मद आशिक कुरैशी (एचएमएल एग्रो) और कानपुर की सुशीला देवी सिंघानिया (जेके सीमेंट) के नाम हैं। कानपुर के इरशाद मिर्जा(मिर्जा टेनर्स) को 5 साल बाद दोबारा सूची में जगह मिली है। 

इन 25 उद्योगपतियों के पास 67,200 करोड़ रुपए 

रिचलिस्ट में शामिल यूपी के 25 उद्योगपतियों के पास कुल 67,200 करोड़ रुपये की संपत्ति है। पिछले साल इस लिस्ट में 22 कारोबारी थे, जिनके पास कुल 67,100 करोड़ की संपत्ति थी। साफ है कि अरबपतियों की संख्या तो बढ़ी है, मगर पूंजी में खास इजाफा नहीं हुआ। इसीलिए उद्योगपतियों की संख्या बढ़ने के बावजूद कुल संपत्ति में इजाफा केवल 100 करोड़ रुपए ही हुआ है। स्टार्टअप की बढ़ी धाक 'हुरून रिचलिस्ट' में सूर्या एग्रो फूड को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। ब्रजेश अग्रवाल देश में 531वें स्थान पर हैं, जबकि पिछले साल उनकी रैंक 296 थी। इसी तरह आगरा के पीएनसी इंफ्राटेक के जैन बंधु भी 176 पायदान नीचे खिसक गए हैं। एपको इंफ्राटेक के वीके सिंह 194 रैंक नीचे आ गए हैं। अर्बन कंपनी के राघव चंद्रा ने सीधे 98 रैंक की उछाल मारी है। इस बार वह देश के 711वें रईस हैं, जबकि पिछले साल 809वें स्थान पर थे। मुरली बाबू ने भी 28 स्थानों की तरक्की की है।

कोरोना ने बढ़ाई अमीरी-गरीबी की खाई! अरबपतियों ने 23 साल जितना कोरोना के 2 साल में कमाया

कोरोना महामारी एक ओर तबाही और गरीबी लेकर आईं। करोड़ों लोगों की नौकरियां छीन लीं, करोड़ों परिवारों की बचत खत्म हो गई। अपना और अपनों का इलाज करवाने के लिए लोगों को कर्ज लेना पड़ा, तब दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्हें इस महामारी में झोली भरकर फायदा हुआ। कोरोना के 24 महीनों में अरबपतियों ने इतनी कमाई की है, जितना उन्होंने 23 साल में नहीं कमाया था। कोरोना ने अमीरों को और अमीर तथा गरीबों को और गरीब बनाया है। यह दावा ऑक्सफैम इंटरनेशनल की इसी साल जारी रिपोर्ट में भी किया गया है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में इस समय 2,668 अरबपति हैं जो सामूहिक रूप से 12.7 ट्रिलियन डॉलर यानी 984.95 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। इनके पास जितनी संपत्ति है, वो दुनिया की जीडीपी का 14% हिस्सा है। कोरोना महामारी में 573 नए अरबपति बढ़े है, यानी हर 30 घंटे में एक नया अरबपति बना। यही नहीं, कोरोना महामारी में अरबपतियों की संपत्ति भी 42% बढ़ गई है।

ऑक्सफैम रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें...

1. अमीर और अमीर हुआः महामारी आने के बाद दुनिया में 573 अरबपति बढ़ गए। यानी हर 30 घंटे में एक अरबपति बढ़ा। इन अरबपतियों की संपत्ति महामारी के दौर में 42 फीसदी यानी 293.16 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। दुनिया के 3.1 अरब लोगों के पास इतनी संपत्ति नहीं है, जितनी संपत्ति 10 सबसे अमीर लोगों के पास है।

2. गरीब और गरीब हुआः कोरोना महामारी के कारण दुनिया के 99 फीसदी लोगों की कमाई में गिरावट आई है। अकेले 2021 में ही 12.5 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गईं। 2021 में सबसे गरीब 40 फीसदी लोगों की कमाई में गिरावट आई। महामारी से पहले औसतन 6.7 फीसदी लोगों की कमाई गिर रही थी।

3. कंपनियां हुईं मालामालः महामारी में दवा कारोबार से जुड़े 40 लोग अरबपति बन गए। मॉडर्ना और फाइजर जैसी कंपनियों ने हर सेकंड 1 हजार डॉलर (77,555 रुपये) का मुनाफा कमाया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फार्मा कंपनियों ने सरकारों से जेनरिक प्रोडक्शन के लिए 24 गुना ज्यादा चार्ज लिया।

4. महिलाएं हुईं बेरोजगारः महामारी से पहले जेंडर पे का अंतर 100 साल में खत्म होने का अनुमान था, लेकिन अब इसमें 136 साल लग सकते हैं। 2020 में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लेबर फोर्स से बाहर होने की दर 1.4 गुना ज्यादा थी। 2019 के मुकाबले 2021 में नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या 1.3 करोड़ कम थी जबकि कामगार पुरुषों की संख्या 2019 के स्तर पर पहुंच गई।

5. गरीब जीयेंगे भी कमः अमीर देशों में रहने वाले लोगों की औसत उम्र गरीब देशों में रहने वालों की तुलना में 16 साल ज्यादा है। हर साल 56 लाख लोग स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने के कारण मर जा रहे हैं। इस हिसाब से हर दिन 15 हजार मौतें। ब्राजील के साउ पोलो के अमीर इलाकों में रहने वाले लोग गरीब इलाकों में रहने वालों की तुलना में 14 साल ज्यादा जीयेंगे।

घोर पूंजीवाद की चपेट में भारत

इस वर्ष 7 सितंबर को भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 5वें स्थान पर पहुँच गयी, और दो दिन बाद ही प्रकाशित ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में हमारा देश कुल 191 देशों में 132वें स्थान पर लुढ़क गया। हमारे प्रधानमंत्री और दूसरे नेता लगातार हरेक भाषण में, वक्तव्य में, पांचवीं अर्थव्यवस्था की बात बताना नहीं भूलते, पर क्या आपने इन्हीं लोगों के किसी भी भाषण में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित मानव विकास इंडेक्स के बारे में सुना है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भारत समेत लगभग पूरी दुनिया चरम पूंजीवाद की चपेट में है, जहां सारी योजनायें केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई जाती हैं, और जाहिर है ऐसी व्यवस्था आम आदमी को एक बोझ से अधिक नहीं समझती है। 

यही कारण है दुनिया में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और सामान्य आदमी पहले से भी अधिक गरीब होता जा रहा है। जब अमीरों की बढ़ती संपत्ति के बारे में प्रश्न होता है तब कोई जवाब नहीं मिलता, पर भुखमरी और बेरोजगारी की चर्चा में कोविड 19, वैश्विक आर्थिक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध को कारण बताया जाता है। शायद ही किसी को समझ आता हो कि सारी समस्याओं के बीच पूंजीपतियों की संपत्ति कैसे बढ़ती है और इन्हीं कारणों से सामान्य आबादी कैसे गरीब हो जाती है?। 

कभी भी गरीबी का समाधान नहीं करता पूंजीवाद

हाल में ही वर्ल्ड डेवलपमेंट नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पूंजीवाद कभी भी गरीबी का समाधान नहीं करता है और इससे जीवन स्तर का पतन होता है और मानव विकास उल्टी दिशा में होने लगता है। इस अध्ययन को स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ बार्सिलोना के इंस्टिट्यूट ऑफ़ एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलिया के मच्कुँरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर प्रकाशित किया है। इसके अनुसार पूंजीवाद में सामान्य आबादी की आय एक बेहतर जिन्दगी के गुजारे से कम हो जाती है, शारीरिक तौर पर आबादी कमजोर होती है और आकस्मिक मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

गरीबी और बढ़ेगी!

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल खाने के सामान की कीमतें 33.6% बढ़ी थी. इस साल भी कीमतों में 23% का उछाल आने की आशंका है। खाने की बढ़ती कीमतों से दुनिया में और गरीबी बढ़ेगी। इस साल 26.3 करोड़ लोग बहुत गरीब हो सकते हैं। इस हिसाब से इस साल हर 33 घंटे में 1 करोड़ लोग और गरीब हो जाएंगे।

कैसे मिटेगी ये खाई?

ऑक्सफैम ने अमीर और गरीब के बीच ये खाई मिटाने के लिए टैक्स बढ़ाने का सुझाव दिया है। जिन लोगों के पास 5 मिलियन डॉलर की संपत्ति है, उनसे 2% और जिनके पास 50 मिलियन डॉलर की संपत्ति है, उनसे 3% टैक्स लिया जाए। वहीं, 1 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति मालिकों पर 5% का टैक्स लगाया जाए। टैक्स बढ़ाने से दुनियाभर के अमीरों से हर साल 2.52 ट्रिलियन डॉलर (195.44 लाख करोड़ रुपये) का टैक्स आएगा, जिससे दुनिया के 2.3 अरब लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिलेगी।

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