कोरोना पॉजिटिव डोनाल्ड ट्रंप के एक सप्ताह के भीतर ठीक होने की असल कहानी क्या है?

Written by Girish Malviya | Published on: October 11, 2020
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कोरोना पॉजिटिव होने से ज्यादा उनके इतने जल्दी ठीक होने से दुनियाभर में लोग हैरान हैं। लगभग हफ्ते भर में ही वह रिकवरी कर गए लोगो के मन मे सवाल है कि नॉर्मल कोरोना मरीज को ठीक होने में कम से कम तीन हफ्ते का समय लग रहा है तो आखिरकार ट्रंप एक ही हफ्ते में कोरोना से कैसे रिकवर हो गए?



मैं शुरू से ही कोरोना में बिग फार्मा के रोल के बारे में आपको आगाह कर रहा हूं....... ट्रम्प के जल्द ठीक होने का संबंध भी बिग फार्मा के हितरक्षण से ही जुड़ा हुआ है। ट्रम्प ने स्वंय एक वीडियो के जरिए यह बताया कि किस दवाई की वजह से वह कोरोना से इतनी जल्द रिकवर हो गए। ट्रंप के मुताबिक, 'कोरोना के इलाज के लिए कई दवाओं के साथ Regeneron की REGN-COV2 एंटीबॉडी ड्रग भी दी गई। उन्होंने बताया कि यह सबसे अहम थी और इससे उन्हें काफी अच्छा महसूस हुआ। राष्ट्रपति ने वीडियो में कहा, 'मैं चाहता हूं कि आपको भी वही दवा मिले जो मुझे मिली और मैं उसे मुफ्त में उपलब्ध कराना चाहता हूं। हम इसे जल्द से जल्द अस्पताल में उपलब्ध कराएंगे।'

बिल गेट्स भी इस तरह की एंटीबॉडी दवाओ को प्रमोट कर रहे हैं कह रहे हैं कि ये दवाएं कोविड -19 से मृत्यु दर को काफी कम कर सकती हैं। अब यह नयी दवा क्या है यह भी समझ लीजिए। इस दवा में चूहे और कोरोना से रिकवर हुए मरीज की एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया गया है। कम्पनी का दावा है, दोनों एंटीबॉडी मिलकर कोरोना को न्यूट्रिलाइज करने में मदद करेंगी। यह एक तरह से आर्टिफिशियल एंटीबॉडी है जो शरीर की कोशिकाओं में मौजूद कोरोना वायरस से चिपकर कर उसपर आत्मघाती हमला करती है। इससे कोरोनावायरस की वो शक्ति खत्म हो जाती है, जिससे वह स्वस्थ्य कोशिकाओं को संक्रमित कर सके। दोनों एंटीबॉडी कोरोना वायरस से बाहरी हिस्से में लगे कांटेदार प्रोटीन को पिघला कर अंदर के आरएनए को खत्म कर देती हैं।

अभी तक कोरोना का सबसे कारगर इलाज कोवैलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी को माना जाता है लेकिन प्लाज्मा थेरेपी को जानबूझकर पीछे किया जा रहा है, ICMR भी प्लाजा थेरेपी के बारे में अपने रिजल्ट घोषित नही कर रहा है, WHO भी प्लाज्मा थेरेपी के फायदों के बारे में पूछे जाने पर टाल जाता है।
 
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना की बीमारी से ठीक हुए इंसान के शरीर से प्लाज्मा यानी एंटीबॉडी लेकर बीमार व्यक्ति को दिया जाता है, ताकि कोविड19 वायरस से बचाने वाली एंटीबॉ़डी उसके शरीर में भी पैदा हो और वह बीमारी को हरा सके।

इस नई ऐंटीबॉडी दवा का मूल भी यही है बिग फार्मा चाहता है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को हतोत्साहित किया जाए लेकिन उसी तकनीक से बनी ऐंटीबॉडी दवा का खूब प्रमोशन किया जाए ताकि बिग फार्मा कंपनियों को जबरदस्त फायदा पुहंचे।

इस दवा पर भी सवाल उठे हैं। डेलीमेल की एक रिपोर्ट के अनुसार जिन दो मरीजों का ट्रीटमेंट इस REGN-COV2 ड्रग से हुआ है, उनमें साइडइफेक्ट दिखे हैं। लेकिन अमेरिकी कम्पनी रीजेनेरन ने यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की। 

इस नई एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी के लिए अमेरिका पहले ही जुलाई में ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत इस दवा की निर्माता कंपनी रीजेनेरॉन फार्मा के साथ करार कर चुका है। अमेरिका ने इस दवा कंपनी के साथ 450 मिलियन डॉलर्स यानी करीब 3367 करोड़ रुपए की डील की है। यानी डील भी पहले ही की जा चुकी है। 

अब असली बात समझिए यानी बिग फार्मा से जुड़ी..दरअसल इस दवा को बनाने वाली कम्पनी रीजेनेरॉन का ज्यादातर काम फ्रांसीसी दवा कंपनी सनोफी के साथ साझेदारी में रहा है। ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के मुताबिक सनोफी में राष्ट्रपति ट्रम्प से जुड़े शेयरधारक और वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी भी हैं स्वंय ट्रम्प का भी फ्रांस की दवा कंपनी सनोफी में थोड़ा निजी वित्तीय हित है।

साफ है कि जहां से और जिससे बिग फार्मा कंपनियों को फायदा पुहंचे उसी का मीडिया और राजनेता ओर परोपकारी लोग प्रमोशन करते हैं। महंगी दवाओं को ही बढ़ावा दिया जाता है।

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