यूपी: वन अधिकारियों ने हाथियों से गिरवाए 3 वन निवासियों के घर, CM योगी से शिकायत

Written by sabrang india | Published on: September 30, 2019
वनों पर आश्रित लोगों को अपने आसरे को बचाए रखने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के 13 फरवरी के आदेश पर भले ही रोक लगा दी गई है लेकिन वन निवासियों का उत्पीड़न अभी जारी है। यूपी के बहराइच जिले के कतर्नियाघाट रेंज में गेरुआ तट पर बसे वन निवासियों के तीन घरों को डिप्टी रेंजर रामकुमार की अगुवाई में हाथी लगाकर गिरा दिया गया। इस मामले पर वनवासियों ने दुखद बताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को ईमेल से सूचित किया है। सीएम से मांग की गई है कि दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए। 


प्रतीकात्मक फोटो साभार- अमर उजाला

अमर उजाला में प्रकाशित फैज खान/मोनिश खान की रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता हिंदुस्तानी ने बताया कि 28 सितंबर को दोपहर में अचानक कतर्नियाघाट रेंज के डिप्टी रेंजर राम कुमार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट के 28 फरवरी के वनवासियों के खारिज दावे पर लगी रोक के आदेश की अवहेलना करते हुए कतर्नियाघाट के अत्यंत गरीब वन निवासियों के तीन घरों को हाथी लाकर रौंदवा दिया। 

घटना की जानकारी मिलने पर स्थानीय पत्रकारों के एक दल ने मौके का मुआयना किया और वहां घर उजाड़ रहे डिप्टी रेंजर से इस बाबत आदेशों की मांग की तो वे वहां से मुंह छिपाकर भागते नजर आए। साथ ही आनन फानन में सारी कार्यवाही रोक दी गई। लेकिन वन विभाग यहां बसे 14 परिवारों को लगातार घर छोड़ने के लिए धमका रहा है। वन विभाग की यह कार्यवाही पूरी तरह से नाजायज है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है जिसके खिलाफ उचित कार्यवाही की आवश्यकता है। 

बता दें कि कर्तनिया पार के 36 दावेदारों ने वन अधिकार समिति भवानीपुर के समक्ष अपने दावे प्रस्तुत किए थे जिसे ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति ने परीक्षण के बाद अधिकार पत्र दिए जाने योग्य पाया था। लेकिन बाद में उपखंड स्तरीय समिति ने बिना कोई सूचना दिए लोगों के दावे खारिज कर दिए जिस पर जिला स्तर की वन अधिकार समिति के समक्ष अपील की गई है जो सुनवाई हेतु लंबित है। 

केंद्रीय स्तर पर वाइल्ड लाइफ फर्स्ट बनाम भारत सरकार के द्वारा यह मुकदमा किया गया था कि लोगों के दावे खारिज किए गए हैं उन्हें वन भूमि से बेदखल कर दिया जाए। उसकी बात को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को बेदखली का आदेश पारित कर दिया था लेकिन भारत सरकार और 25 अन्य राज्य सरकारों तथा संस्थाओं के विरोध के बाद 28 फरवरी को अपने फैसले को वापस ले लिया और बेदखली संबंधी अंतरिम आदेश जारी कर दिया। 12 सितंबर की सुनवाई में भी अंतरिम आदेश को लगातार जारी रखने का आदेश दिया गया था। वन अधिकार कानून 2006 में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि जब तक मान्यता और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी भी व्यक्ति को बेदखल नहीं किया जाएगा और बिना ग्रामसभा की सहमति के उसकों विस्थापित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में वन विभाग द्वारा की गई यह कार्यवाही गैरकानूनी और अवैध है। 

वन विभाग द्वारा किए गए इस कृत्य से स्थानीय जनता में रोष व्याप्त हो गया है और वन निवासियों ने इस घटना पर रोष जताया है जिसका प्रभाव 21 अक्टूबर को होने वाले उप चुनाव पर भी पड़ सकता है। पूरे प्रकरण की जांच किसी अन्य विभाग से कराए जाने की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने वन निवासियों के घर गिराने और उन्हें धमकी देने की कार्यवाही करने वाले दोषियों के विरुद्ध तत्काल एवं प्रभावी कार्यवाही की मांग की है।  

 

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