यूपीए सरकार ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए थे तो आपको याद होगा कि जांच में घेरे में कौन लोग थे। चाहे कनिमोझी हों या ए राजा हों, दयानिधि मारन या फिर सुरेश कलमाड़ी और शीला दीक्षित, सिस्टम के भीतर का शख्स जांच के दायरे में था।
पी. चिदंबरम: मोदी सरकार के निशाने पर
मंगलवार की सुबह सीबीआई ने देश के गृह और वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के घर और कुछ प्रमुख शहरों में मौजूद उनके दफ्तरों में छापेमारी की। मामला मीडिया दिग्गज पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया में विदेश निवेश को कथित तौर पर गलत ढंग से मंजूरी दिलाने का था। ठीक इसी तरह के सनसनीखेज तरीके से आरजेडी चीफ लालू यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे पड़े।
चिदंबरम और लालू जैसे दिग्गज, मुखर और और तपे-तपाए नेताओं के खिलाफ सीबीआई, पुलिस और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के एक के बाद एक अभियानों ने साबित कर दिया है कि पीएम नरेंद्र मोदी के इरादे क्या हैं? मोदी एंड कंपनी का यह आजमाया हुआ पुराना स्टाइल है। विपक्ष को अवाम की निगाह में इतना बदनाम कर दो वह फिर सिर न उठा पाए। उनके नेताओं के खिलाफ मामलों को इतना सनसनीखेज बना दो कि लोगों को लगे कि ये तो देश के दुश्मन हैं। इनसे नफरत हो जाए।
लेकिन मोदी यह भूल गए हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई हमेशा सरकार के अंदर होती है। यूपीए सरकार ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए थे तो आपको याद होगा कि जांच में घेरे में कौन लोग थे। चाहे कनिमोझी हों या ए राजा हों या फिर सुरेश कलमाड़ी और शीला दीक्षित, सिस्टम के भीतर का शख्स जांच के दायरे में था। यह सवाल करना लाजिमी होगा कि यूपीए सरकार के वक्त भ्रष्टाचार के मामले में कौन जेल जा रहा था और अब कौन जेल जा रहा है?
यूपीए सरकार के दौर में सत्ता में रहे लोगों के कटघरे में खड़ा किया गया था। लेकिन मोदी सरकार विपक्ष के दिग्गजों के खिलाफ पुराने मामले उठा रही है। कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स का मामला दस साल पुराना है। आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को 2007 में मंजूरी दी गई थी।
तीन साल पहले मोदी लंबे-चौड़े वादों के साथ सत्ता में आए थे। उन्होंने देश का काला धन लाने का वादा किया था। हर साल एक करोड़ रोजगार पैदा करने के वादे किए थे। देश को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने का सपना दिखाया था। नौजवानों को हुनरमंद बनाने का जुमला उछाला था। सत्ता में भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का दावा किया था। तीन साल हो गए और लोगों ने देखा कि मोदी के वादे हवा हो चुके हैं। सरकार के खाते में नाम मात्र की उपलब्धियां हैं। खराब हालात के मद्देनजर देश में विपक्ष लामबंद हो रहा है। ऐसे में मोदी जी के लिए सबसे आसान तरीका है विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई, इनकम टैक्स और दूसरी जांच एजेंसियों के अभियान शुरू कर दिए जाएं। अवाम इतनी भी भोली नहीं है कि सरकार के इन कदमों को समझ न पाए।
बेहतर होगा कि मोदी विपक्षी नेताओं को कटघरे में खड़ा करने के बजाय सरकार के अंदर भ्रष्टाचार को काबू करने की कोशिश करें। बीजेपी शासित राज्यों में चल रहे भ्रष्टाचार के खुले खेल बंद करने के कदम उठाएं। मोदी जी, छोटी लकीर खींचने के बजाय बड़ी लकीर खींचने पर ध्यान दें।