FICCI ने कहा- देश की आर्थिक हालात बेहद चिंताजनक, मोदी के सामने बड़ी चुनौती

Written by sabrang india | Published on: May 28, 2019
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत ने आम चुनाव 2019 में धमाकेदार जीत दर्ज करने वाली मोदी सरकार से अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। उद्योग जगत ने अर्थव्यवस्था को दोबारा रफ्तार देने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स और बाकी करों में तुरंत राहत देने की भी मांग की है। 

बता दें कि जीडीपी की दर अक्टूबर से दिसंबर 2018 की तिमाही में महज 6.6 प्रतिशत रही, जो बीती पांच तिमाही में सबसे कम है। इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि जब 31 मई को केंद्रीय सांख्यिकी विभाग चौथी और अंतिम तिमाही के आंकड़े जारी करेगा तो हालात और खराब हो सकते हैं। आशंका है इस तिमाही में जीडीपी की दर 6.4 पर्सेंट तक रह सकती है।

केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने पहले ही 2018-19 में विकास दर को लेकर अपनी भविष्यवाणी को संशोधित करते हुए इसे 7 पर्सेंट कर दिया है। इससे पहले जनवरी में उन्होंने 7.2 प्रतिशत के विकास दर का अनुमान पेश किया था। बता दें कि देश के औद्योगिक उत्पादन की दर में मार्च में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी। 

हालांकि, इससे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि औद्योगिक उत्पादन दर को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में भी 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जनवरी से मार्च वाली तिमाही में अर्थव्यवस्था के सुस्त आंकड़ों को लेकर पहले ही चिंता जताई जा चुकी है। अब भारतीय उद्योग जगत संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री यानी FICCI ने एक बयान में कहा, ‘इकोनॉमी में सुस्ती के लक्षण न केवल निवेश और एक्सपोर्ट में धीमी रफ्तार से जुड़ा है, बल्कि इसकी वजह कमजोर पड़ता कंजम्पशन डिमांड भी है।’

फिक्की ने सलाह दी है कि आने वाले बजट में सरकार को कई कदम उठाने होंगे। फिक्की ने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है और अगर इसे तत्काल नहीं हल किया गया तो इसके दूरगामी असर होंगे।’

बता दें कि उद्योग जगत से जुड़े आंकड़ों यह बात सामने आई है कि न केवल कार और टू वीलर्स के सेल में गिरावट आई है, बल्कि हवाई यात्रियों की संख्या में भी करीब पांच साल में पहली बार साढ़े 4 पर्सेंट की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा, टेलिकॉम सेक्टर में भी प्रति ग्राहक रेवेन्यू घटा है।

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