कृषि कानून के मसले पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा प्रदर्शन जारी है। ऐसे में किसान नेताओं की तरफ से कहा गया है कि, "हम सरकार के साथ बातचीत करने के तैयार हैं, वहीं किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय।" हालांकि इस बैठक के लिए किसानों द्वारा कुछ मुद्दे भी तय किये गए हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को किसानों को संबोधित किया था। ठीक एक दिन बाद यानी शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, इस बैठक में किसानों की अगली रणनीति क्या होगी, इस पर विचार विमर्श किया गया। वहीं शाम साढ़े 5 बजे किसान संगठनों के नेताओं ने प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें भविष्य की रणनीतियों के बारे में जिक्र किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किसान नेताओं ने लिखा है कि, केंद्र सरकार के 24 दिसंबर 2020 को मिले पत्र के जवाब में किसानों की ओर से चिठ्ठी भेजी जा रही है और इस चिट्ठी में लिखा गया है कि, "अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी।"
इन्होंने कहा कि, "हमने पहली बातचीत से ही लगातार एमएसपी का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ऐसे दिखाती है मानो हम इस मुद्दे को पहली बार उठा रहे हैं। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।"
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि, "सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार हैं, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं और हमारा प्रस्ताव है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय।"
किसानों द्वारा बैठक का एजेंडा भी तय कर लिया गया है। इस एजेंडे के अनुसार 4 बिंदुओं को किसानों ने रखा है जिसमें पहला, तीनों कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि। वहीं दूसरा सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान हों।
तीसरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। चौथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव।
इस प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने कहा कि, "हम फिर दोहराना चाहते हैं कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे है और रहेंगे।"
हालांकि इस दौरान किसान नेताओं द्वारा कहा गया कि, "27 और 28 दिसंबर को गुरुगोबिंद जी के छोटे साहब जादे के शहादत के उर्स को सभी बॉर्डरों पर मनाया जाएगा। वहीं 30 दिसंबर को एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च करेंगे। साथ ही 1 जनवरी को दिल्ली और आसपास के लोगों से अपील करते हैं कि आप हमारे साथ नया साल मनाएं और बॉर्डर पर चल रहे लंगर को आकर चखें।"
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किसान नेताओं ने लिखा है कि, केंद्र सरकार के 24 दिसंबर 2020 को मिले पत्र के जवाब में किसानों की ओर से चिठ्ठी भेजी जा रही है और इस चिट्ठी में लिखा गया है कि, "अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी।"
इन्होंने कहा कि, "हमने पहली बातचीत से ही लगातार एमएसपी का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ऐसे दिखाती है मानो हम इस मुद्दे को पहली बार उठा रहे हैं। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।"
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि, "सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार हैं, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं और हमारा प्रस्ताव है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय।"
किसानों द्वारा बैठक का एजेंडा भी तय कर लिया गया है। इस एजेंडे के अनुसार 4 बिंदुओं को किसानों ने रखा है जिसमें पहला, तीनों कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि। वहीं दूसरा सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान हों।
तीसरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। चौथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव।
इस प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने कहा कि, "हम फिर दोहराना चाहते हैं कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे है और रहेंगे।"
हालांकि इस दौरान किसान नेताओं द्वारा कहा गया कि, "27 और 28 दिसंबर को गुरुगोबिंद जी के छोटे साहब जादे के शहादत के उर्स को सभी बॉर्डरों पर मनाया जाएगा। वहीं 30 दिसंबर को एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च करेंगे। साथ ही 1 जनवरी को दिल्ली और आसपास के लोगों से अपील करते हैं कि आप हमारे साथ नया साल मनाएं और बॉर्डर पर चल रहे लंगर को आकर चखें।"