झारखण्ड : खूंटी गैंगरेप से लेकर 20 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह के मुकदमे तक प्रशासन की हर साजिश को उजागर करती जाँच दल की रिपोर्ट.

Written by Sangharsh Samvad | Published on: August 23, 2018
झारखण्ड के खुंटी में हुए गैंग रेप की घटना और उससे जुड़े मामले, घाघरा और आस-पास के गांवों में पुलिसिया दमन, खूंटी में चल रहे पत्थलगढ़ी की प्रक्रिया को माओवाद का नाम देकर प्रशासन द्वारा किया गया आदिवासियों का बर्बर दमन, टाईगर रिर्जव अभयारण्य में प्रशासन और सरकार द्वारा जबरन आदिवासियों का दमन और विस्थापन और झारखण्ड में विभिन्न लोगों पर हुए राजद्रोह के मुकदमे-एक के बाद एक घटी इन घटनाओं के बीच की वास्तविकता तथा इनका आपस में कोई संबंध है या यह संयोग मात्र है यह जानने के लिए यौन हिंसा व दमन के खिलाफ महिलाएँ (WSS) तथा सी डी आर ओ के एक संयुक्त स्वतंत्र जाँच दल ने 17 से 19 अगस्त 2018 तक घटना स्थल का दौरा किया। जांच दल ने इस दौरे के दौरान बहुत से ऐसे तथ्यों का पता लगाया जो अभी तक हमारी आपकी नजरों से छुपे हुए थे। पेश है जाँच दल की विस्तृत रिपोर्ट;

फैक्ट फांडिंग की तारीख: 17/08/2018 से 19/08/2018

विषयः खूंटी में हुए गैंग रेप की घटना, घाघरा और आस-पास के गांवों में प्रशासन के दमन, बेतला टाईगर रिर्जव में प्रशासन और सरकार द्वारा विस्थापन और 20 सामाजिक कार्यकताओं पर राजद्रोह के मुकदमें को लेकर फैक्ट फांडिंग की रिपोर्ट

महोदया्/महोदय,

17 से 19 अगस्त के बीच 10 लोगों की डब्लू एस एस और सी डी आर ओ और स्थानीय सामाजिक कार्यकताओं की 10 सदस्यीय फैक्ट फांडिंग टीम झारखण्ड में विभिन्न जगहो पर हो रहे मानवाधिकारों के हनन के मामले को लेकर जगह-जगह गई और जांच किया। इस फैक्ट फांडिंग में मुख्यतः चार मुद्दों पर जंाच की गई हैः 1, खुंटी में हुए गैंग रेप की घटना और उससे जुड़े मामले, 2, घाघरा और आस-पास के गांवों में प्रशासन के दमन, 3, बेतला टाईगर रिर्जव में प्रशासन और सरकार द्वारा विस्थापन, और 4, झारखण्ड में विभिन्न लोगों पर हुए राजद्रोह के मुकदमे

खुंटी गैंग रेप और संबंधित मामलों में फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्यः

20 जून को पुलिस को गैंग रेप की घटना की जानकारी मिली, लेकिन एफ आइ आर या मीडिया में चल रहे खबरों के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि, उन्हें घटना की जानकारी कहां से मिली। फैक्ट फांडिंग की टीम द्वारा पुलिस अधिकारी से पूछ-ताछ करने पर यह पता चला कि यहां तक कि महिला थाना को घटना की जानकारी एस पी ऑफिस से मिली थी। एस पी से इसके बारे में पूछने पर उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। 20 जून की रात से ही पुलिस ने पीड़िताओं से संर्पक साधने की कोशिश की। पर, वे 21 जून को पीड़िताओं तक पहुंच पाए।

गैंग रेप से जूझ रही पांचों महिलाओं को पुलिस द्वारा उनकी रक्षा करने के नाम पर, गैर कानूनी रुप से पुलिस कि हिरासत में काफी समय तक (तीन हफ्ते तक) रखा गया। पुलिस की हिरासत में 3 हफ्ते तक उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा था, केवल एन सी डब्लू की टीम उनसे मिल पाई। यहां तक की, एक पीड़िता के परिजनों के अनुसार उनको भी पीड़िता से घटना के दो-तीन दिन बाद केवल थाने में पुलिस वालों की मौजूदगी में पांच-दस मिनट के लिए मिलने दिया गया। प्रशासन की इस कार्यवाई को एस पी ने दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सही बताया है। महिलाओं को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की बात प्रशासन द्वारा की गई थी, पर परिवार और एस पी से बात करने पर पता चला कि अभी तक केवल एक लाख रुपये दिए गए थे।

फादर आलफान्स पर एफ आई आर में षडयंत्र करना, जबदस्ती रोककर रखना और गैंग रेप के जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। फादर के बारे में एफ0 आई0 आर0 में यह आरोप लगाया गया है कि, उन्होंने नन को रोक लिया जबकि बांकि लड़कियों को जानबूझ कर मोटर साइकिल पर सवार चार लोगों के साथ जंगल में जाने दिया। पर, फैक्ट फांडिंग टीम को अन्य सूत्रों से यह पता चला है कि फादर खुद उस परिस्थिति में डरे हुए थे। मामले में बिना ठोस आधार के इतने गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।

इस मामले में संजय शर्मा का कोई पता नहीं चला है, कि वह कहां है। मामले में घटना के दिन महिलाओं के साथ गई दोनों सिस्टर का भी कोई पता नहीं है। वह भी काफी डरे हुए हैं और किसी से बात नहीं कर रहे। इसके अलावा, इस मामले में पत्थलगढ़ी आंदोलन को भी गैर कानूनी दबाव बना करके दबाया जा रहा है। 26 जून को घाघरा में पुलिस के जवानों ने यह कहकर अंदर घुसने की कोशिश कि, की वहां रेप के मामले के आरोपी पत्थलगढ़ी में शामिल होने वाले हैं। जबकि घाघरा गांव में पत्थलगढ़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी जहां आस-पास के गांव के लोग आए थे। वहां पुलिस और गांव वालों के बीच झड़प हुई जिसके कारण एक व्यक्ति कि मौत हो गई और कई घायल हैं, जबकि कई महिलाओं पर यौन हिंसा हुई है। घाघरा में भी पुलिस ने करीब दो हफ्तों तक कैम्प किया था और आज भी पुलिस की गश्त उस इलाके में होती रहती है। साथ ही, कोचांग में अर्धसैनिक बलों के पांच कैम्प लगाए गए थे जिसमें से तीन कैम्प अभी भी वहां है। कोचांग में गैंग रेप की घटना के बाद, फिलहाल कैम्प कोचांग के स्कूल में लगा है जिसके कारण गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कैम्प लगाने के लिए गांव के लोगों के उपर जमीन देने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट के अंर्तगत गैर आदिवासियों को जमीन नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं करने पर गांव वालों को धमकाया जा रहा है कि कैम्प के लिए जमीन नहीं देने पर उनपर मुकदमा कर दिया जाएगा। कोचांग और आस-पास के इलाकों में ग्राम प्रधान और गांव वालों पर राजद्रोह और अन्य धाराओं के अंर्तगत कई एफ आई आर डाले गए हैं। पर आज तक उनके खिलाफ वारेंट नहीं निकला है। इन सभी घटनाक्रमों के कारण पूरे इलाके में डर का माहौल है। पुलिस लोगों पर फर्जी मुकदमा करके उन्हें चुप्पी साधने पर मजबूर कर रही है।

( यह रिपोर्ट पहले संघर्ष संवाद में प्रकाशित की गयी थी. )
 

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