कोरबा जिले में दर्जनों गांव पिछले 40 दिनों से बिजली संकट झेल रहे हैं। ग्रामीणों के कई बार शिकायत करने के बाद भी बिजली व्यवस्था सही नहीं की जा रही है। बिजली न रहने से रात में भी लोग डर के साए में रह रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है।

पत्रिका के अनुसार, सर्वाधिक प्रभाव रामपुर विधान सभा क्षेत्र के कुदमुरा और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ रहा है। समस्या केवल इतनी ही नहीं है, बल्कि ग्रामीणों को भारी-भरकम बिजली के बिल भी दिए जा रहे हैं। इसका कारण एवरेज बिलिंग बताई जा रही है। इस तरह से कम बिजली इस्तेमाल करने वालों को भी ज्यादा बिजली बिल चुकाना पड़ता है।
ग्रामीणों ने ट्रांसफार्मर और बिजली की लाइनें जर्जर होने की शिकायत भी की है। इस कारण कारण आए दिन हादसा होने की आशंका रहती है। बिजली विभाग मेंटेनेंस के कार्य में दिलचस्पी नहीं लेता। कुदमुरा सहित आसपास के कई गांवों में रायगढ़ जिले के हाटी सबस्टेशन से बिजली दी जाती है।
जो गांव बिजली कटौती से सबसे ज्यादा परेशान हैं, उनमें से कुदमुरा, तौलीपाली, बैगामार, धोबनीमार, चचिया, लुदुखेत, धौराभाठा, जिल्गा, कटकोना, बरपाली, शनिडेरा, बसीन, सोलवां शामिल हैं। कई गांवों में तो पिछले कई दिनों से बिजली के दर्शन ही नहीं हुए हैं। सबसे बुरा असर बच्चों की पढ़ाई पर पढ़ रहा है। शाम के बाद बच्चे पढ़ाई कर ही नहीं पा रहे हैं।

पत्रिका के अनुसार, सर्वाधिक प्रभाव रामपुर विधान सभा क्षेत्र के कुदमुरा और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ रहा है। समस्या केवल इतनी ही नहीं है, बल्कि ग्रामीणों को भारी-भरकम बिजली के बिल भी दिए जा रहे हैं। इसका कारण एवरेज बिलिंग बताई जा रही है। इस तरह से कम बिजली इस्तेमाल करने वालों को भी ज्यादा बिजली बिल चुकाना पड़ता है।
ग्रामीणों ने ट्रांसफार्मर और बिजली की लाइनें जर्जर होने की शिकायत भी की है। इस कारण कारण आए दिन हादसा होने की आशंका रहती है। बिजली विभाग मेंटेनेंस के कार्य में दिलचस्पी नहीं लेता। कुदमुरा सहित आसपास के कई गांवों में रायगढ़ जिले के हाटी सबस्टेशन से बिजली दी जाती है।
जो गांव बिजली कटौती से सबसे ज्यादा परेशान हैं, उनमें से कुदमुरा, तौलीपाली, बैगामार, धोबनीमार, चचिया, लुदुखेत, धौराभाठा, जिल्गा, कटकोना, बरपाली, शनिडेरा, बसीन, सोलवां शामिल हैं। कई गांवों में तो पिछले कई दिनों से बिजली के दर्शन ही नहीं हुए हैं। सबसे बुरा असर बच्चों की पढ़ाई पर पढ़ रहा है। शाम के बाद बच्चे पढ़ाई कर ही नहीं पा रहे हैं।