सांप्रदायिक हिंसा के मामलों की कवरेज को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। EGI की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कुछ न्यूज चैनलों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ने राष्ट्रीय संवाद को बेहद घटिया स्तर पर और दोनों समुदायों के बीच की खाई का न पाटे जाने तक की स्थिति में पहुंचा दिया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने महज व्यूअरशिप बढ़ाने और लाभ कमाने के लिए इन चैनलों ने ऐसे व्यवहार को रोकने और आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी है। ईजीआई ने हालिया कानपुर हिंसा के संदर्भ में यह बात कही है।
ईजीआई ने ऐसे मामले में प्रसारकों और पत्रकारों निकायों की ओर से कड़ी निगरानी रखने पर जोर दिया है। संस्था के अनुसार, कानपुर में हिंसा की हाल की घटना से देश को अनावश्यक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। यदि न्यूज चैनल्स को धर्मनिरपेक्षता के लिए देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के प्रति जागरूक किया जाता तो इससे बचा जा सकता था।
गौरतलब है कि बीजेपी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा की एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी ने देश के सामने असहज स्थिति पैदा कर दी। इसके फलस्वरूप शु्क्रवार की नमाज के बाद कानपुर शहर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी और दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए थे।
इस विवाद के कारण देश को विदेशों में भी शर्मसार होना पड़ रहा है। एडिटर्स गिल्ड के बयान में कहा गया है, " EGI कुछ राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के गैर जिम्मेदाराना आचरण से परेशान है जो जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जिससे कमजोर समुदायों के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाया जा रहा है।"
टीवी चैनलों की रेडियो रवांडा से तुलना
एडिटर्स गिल्ड (EGI) ने अपने बयान में कुछ टीवी चैनलों की तुलना 'रेडियो रवांडा' से की है। बयान में कहा गया है कि, "कुछ चैनल व्यूअरशिप बढ़ाने और प्रॉफिट कमाने के लिए रेडियो रवांडा के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसकी वजह से अफ्रीकी देशों में नरसंहार हुए थे।"
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रवांडा नरसंहार के दौरान जिन प्रमुख लोगों को मारा जाना था उनके नाम रेडियो पर प्रसारित किए गए। 100 दिन के इस नरसंहार में लगभग 8 लाख तुत्सी और उदारवादी हूतू मारे गए थे।
बता दें कि नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी की क्लिप फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की थी। इस वीडियो क्लिप में शो की होस्ट भी नूपुर शर्मा को रोकती नजर नहीं आ रहीं। वीडियो वायरल होने के बाद इस्लामिक देशों में भारी प्रतिक्रिया हुई और करीब 20 देशों ने भारत सरकार को अपने प्रवक्ताओं पर कार्रवाई करने व हेट स्पीच को रोकने का प्रेशर बनाया।
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ईजीआई ने ऐसे मामले में प्रसारकों और पत्रकारों निकायों की ओर से कड़ी निगरानी रखने पर जोर दिया है। संस्था के अनुसार, कानपुर में हिंसा की हाल की घटना से देश को अनावश्यक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। यदि न्यूज चैनल्स को धर्मनिरपेक्षता के लिए देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के प्रति जागरूक किया जाता तो इससे बचा जा सकता था।
गौरतलब है कि बीजेपी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा की एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी ने देश के सामने असहज स्थिति पैदा कर दी। इसके फलस्वरूप शु्क्रवार की नमाज के बाद कानपुर शहर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी और दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए थे।
इस विवाद के कारण देश को विदेशों में भी शर्मसार होना पड़ रहा है। एडिटर्स गिल्ड के बयान में कहा गया है, " EGI कुछ राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के गैर जिम्मेदाराना आचरण से परेशान है जो जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जिससे कमजोर समुदायों के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाया जा रहा है।"
टीवी चैनलों की रेडियो रवांडा से तुलना
एडिटर्स गिल्ड (EGI) ने अपने बयान में कुछ टीवी चैनलों की तुलना 'रेडियो रवांडा' से की है। बयान में कहा गया है कि, "कुछ चैनल व्यूअरशिप बढ़ाने और प्रॉफिट कमाने के लिए रेडियो रवांडा के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसकी वजह से अफ्रीकी देशों में नरसंहार हुए थे।"
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रवांडा नरसंहार के दौरान जिन प्रमुख लोगों को मारा जाना था उनके नाम रेडियो पर प्रसारित किए गए। 100 दिन के इस नरसंहार में लगभग 8 लाख तुत्सी और उदारवादी हूतू मारे गए थे।
बता दें कि नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी की क्लिप फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की थी। इस वीडियो क्लिप में शो की होस्ट भी नूपुर शर्मा को रोकती नजर नहीं आ रहीं। वीडियो वायरल होने के बाद इस्लामिक देशों में भारी प्रतिक्रिया हुई और करीब 20 देशों ने भारत सरकार को अपने प्रवक्ताओं पर कार्रवाई करने व हेट स्पीच को रोकने का प्रेशर बनाया।
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