भारतीय अर्थव्यवस्था का चमकता सितारा आईटी सेक्टर गहरे संकट में हैं।
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भारतीय अर्थव्यवस्था का चमकता सितारा आईटी सेक्टर गहरे संकट में हैं। मोटी कमाई करने वाले और बड़ी तादाद में रोजगार देने वाले इस इंडस्ट्री पर चौतरफा मार पड़ी है लेकिन मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है । हाल में ही सात आईटी कंपनियों ने कुल 56,000 इंजीनियरों की छंटनी का ऐलान किया है। लेकिन सरकार की नीति नियंता खामोश बैठे हैं।
नई टेक्नोलॉजी से तालमेल से बिठाने में नाकामी, उम्मीद से कम ग्रोथ, लागत में इजाफा और इंडस्ट्री में ऑटोमेशन की तेज रफ्तार की वजह से आईटी सेक्टर में नौकिरयां घटती जा रही हैं।
सबसे बड़ा संकट अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा पर कटौती के ऐलान से आया है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा आईटी मार्केट है और वहां वीजा कटौती की वजह से भारतीय आईटी इंजीनियरों का जाना काफी कम हो जाएगा।
दूसरे, देश में आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में सरकार की नाकामी की वजह से इस इंडस्ट्री का घरेलू बाजार बढ़ नहीं है। इस दोतरफा संकट की सबसे ज्यादा मार इंडस्ट्री की नौकरियों पर पड़ी है। बड़ी तादाद में लोग इस इंडस्ट्री से निकाले जा रहे हैं और कंपनियां लगातार छंटनी का ऐलान कर रही है।
लेकिन मोदी सरकार के मंत्री इस संकट को हल करने में दिलचस्पी नहीं दिख रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रंप की जीत पर खुशियां मनाने वाली मोदी सरकार अमेरिका से बातचीत के जरिये एचवन-बी वीजा संकट को हल कराने में नाकाम रही है। बेहतर डिप्लोमेसी के जरिये भारत अमेरिका से अपने लिए सहूलियत हासिल कर सकता था। लेकिन इस मोर्चे पर सरकार की काहिली इंडस्ट्री पर भारी पड़ी है।
आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद की इस संकट को हल करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखती। लिहाजा, आईटी कंपनियों को मजबूर होकर अब अमेरिका में वहां के महंगे आईटी इंजीनियरों को हायर करना पड़ा रहा है और एच-1बी वीजा पर काम कर रहे इंजीनियरों को लौटने के लिए कहा जा रहा है।
इऩ्फोसिस ने दो साल में 10000 अमेरिकी इंजीनियरों को नौकरी देने का ऐलान किया है और विप्रो पिछले डेढ़ साल में 2800 अमेरिकी नागरिकों को नौकरी दे चुकी है। जाहिर, इससे इन कंपनियों की लागत बढ़ रही हैं। बढ़ती लागतों की वजह से घटते मुनाफे की गाज भारतीय इंजीनियरों पर पड़ी है। उनकी नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है।
भारत को डिजिटल दुनिया में ले जाने का सपना देख रहे मोदी से अब इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं कि आईटी इंडस्ट्री की पतली हालत को सुधारने के लिए वे क्या कर रहे हैं। लेकिन हमेशा की तरह वह लोगों को सपने दिखाने में मशगूल हैं।