5 साल में गुजरात में 32% बढ़ा दलित उत्पीड़न, एसटी के खिलाफ हिंसा में 55% बढ़ोत्तरी- रिपोर्ट

Written by sabrang india | Published on: March 1, 2019
नई दिल्ली। साल 2014 में आमचुनाव से पहले गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात मॉडल दिखाकर जमकर वोट बटोरे। गुजरात के विकास मॉडल को भले ही राजनीतिक तौर पर प्रयोग किया गया हो लेकिन यहां जातीय हिंसा के सबसे संगीन मामले सामने आते रहे हैं। गुजरात के ऊना में मरी गाय की खाल उतारने पर चार दलितों को सरेआम बुरी तरह पीटा गया। अब कांग्रेस विधायक द्वारा विधानसभा में मांगी गई जातीय उत्पीड़न जानकारी का जवाब सामने आया है जो कि चौंकाने वाला है। 

कांग्रेस विधायक ने सितंबर 2018 सवाल पूछा था, जिसके जवाब में गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ईश्वर परमार ने रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि गुजरात में 2013 से 2017 के दौरान दलितों के खिलाफ 32% और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ क्राइम 55% बढ़ गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2013 से 2017 तक एससी और एसटी एक्ट के तहत कुल 6185 केस दर्ज किए गए। इन सभी मामलों में दलित पीड़ित थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में दलित उत्पीड़न के 1147 केस दर्ज हुए थे। वहीं, 2017 में दलित उत्पीड़न से संबंधित 1515 मामले दर्ज किए गए। वहीं, साल 2018 में मार्च तक दलित उत्पीड़न के 414 मामले सामने आए। इनमें से सबसे ज्यादा केस अहमदाबाद (49) दर्ज हुए। इनके बाद जूनागढ़ (34), भावनगर (25), सुरेंद्रनगर (24) और बनासकांठा (23) का नंबर आता है।

राज्य में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ क्राइम के मामले ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। 2013 से 2017 के दौरान 5 साल में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ क्राइम के मामले 55 प्रतिशत बढ़कर 1310 तक पहुंच गए। इसके अलावा साल 2018 के पहले 3 महीनों में ही ऐसे 89 मामले दर्ज हुए, जिसमें अनुसूचित जनजाति के लोग पीड़ित थे। इनमें सबसे ज्यादा केस भरूच (14), वडोदरा (11) और पंचमहल (10) में दर्ज हुए।

सरकार भले ही दलित उत्पीड़न पर लगाम लगाने में विफल साबित रही हो लेकिन पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। मंत्री ईश्वर परमार ने बताया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के खिलाफ क्राइम के अब तक दर्ज 5863 मामलों में गुजरात सरकार पीड़ितों को करीब 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दे चुकी है। उन्होंने बताया कि मार्च 2018 तक सिर्फ 28 पीड़ितों को मुआवजा देना बाकी रह गया है। गौरतलब है कि 28 फरवरी को गांधीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान दलितों को संबोधित करते हुए परमार ने कहा था कि 4,500 लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के माध्यम से 69 करोड़ रुपये की ऋण राशि बांटी गई है।

(जनसत्ता से इनपुट्स के साथ)

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