हेल्थ केयर वर्कर्स और मरीज़ों के ख़िलाफ़ हिंसा की निंदा करते हुए न्याय की मांग 

Written by SABRANGINDIA | Published on: August 16, 2024



कोलकाता के सरकारी अस्पताल में एक युवा महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या को लेकर मेडिको फ्रेंड सर्किल ने स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों के लिए व्यापक सुरक्षा और न्याय की मांग की है। संगठन ने मांग की है कि चिकित्सा क्षेत्र में सभी के लिए एक सुरक्षित, सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित किया जाए और सांस्थानिक हिंसा को रोका जाए। 

मेडिको फ्रेंड सर्किल (एमएफसी), हेल्थ प्रोफेशनल्स, एक्टिविस्ट और शोधकर्ताओं का एक समूह है जिसने पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक युवा प्रशिक्षु के साथ रेप और हत्या की जघन्य घटना की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है। भारी नाराजगी जताते हुए इस समूह ने पीड़ित परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और न्याय की मांग में संस्थान के रेजिडेंस्टस और हेल्थकेयर स्टाफ के साथ एकजुटता दिखाई। ज्ञात हो कि कोलकाता के साथ-साथ पूरे भारत में डॉक्टर न्याय की मांग करते हुए राज्य और केंद्र में चरमराई व्यवस्था के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

इस बयान में स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में सुरक्षा उपायों को बेहतर करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसमें अस्पतालों, ऑन-कॉल रूम और छात्रावासों में सुरक्षित वातावरण की मांग की गई है। एमएफसी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया है कि गुणवत्तापूर्ण रोगी देखभाल आंतरिक रूप से स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की बेहतरी से जुड़ी हुई है जिन्हें शारीरिक नुकसान और उत्पीड़न से बचाया जाना चाहिए। 

एमएफसी के बयान में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर हिंसा को बढ़ावा देने वाले व्यापक प्रणालीगत मुद्दों को भी रेखांकित किया गया है जिसमें पितृसत्तात्मक, जाति-आधारित और पूंजीवादी संरचनाएं शामिल हैं। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा सामना किए जाने वाले लगातार यौन उत्पीड़न की ओर इशारा किया और सभी अस्पतालों में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को तत्काल लागू करने की मांग की है। इसके अलावा एमएफसी ने मरीजों विशेष रूप से महिलाओं और गैर-विषमलैंगिक लोगों को हिंसा से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया जो अस्पतालों में असुरक्षित होते हैं। 

मेडिको फ्रेंड सर्किल के बयान में अधिक सुरक्षित, अधिक मानवीय हेल्थ केयर सिस्टम के लिए आह्वान किया गया है जो स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों दोनों की गरिमा और सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
 

 

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