अब बोलेगा महात्मा गांधी का हत्यारा, CIC ने गोडसे के बयान को सार्वजनिक करने का दिया आदेश

Published on: February 18, 2017
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे का बयान और इस केस से जुड़े सभी रिकॉर्ड को तुरंत राष्ट्रीय अभिलेखागार (नेशनल आर्काइव) की वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि कोई गोडसे और उनके सह-आरोपी से इत्तेफाक भले ही ना रखें, लेकिन हम उनके विचारों का खुलासा करने से इनकार नहीं कर सकते।



बता दें कि एक शख्स ने आरटीआई के जरिए केस की चार्जशीट, गोडसे का बयान और बाकी जानकारियां दिल्ली पुलिस से मांगी थीं। सीआईसी ने साथ ही अपने आदेश में यह भी कहा कि ना ही गोडसे और ना हीं उनके सिद्धांतों और विचारों को मानने वाला व्यक्ति किसी के सिद्धांत से असहमत होने की स्थिति में उसकी हत्या करने की हद तक जा सकता है।

याचिकाकर्ता आशुतोष बंसल ने दिल्ली पुलिस से इस हत्याकांड की चार्जशीट और गोडसे के बयान समेत अन्य जानकारियां मांगी हैं। जिस पर दिल्ली पुलिस ने उनके आवेदन को नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया के पास यह कहते हुए भेज दिया कि संबंधित रिकॉर्ड नेशनल आर्काइव्ज को सौंपे जा चुके हैं।
 
वहीं, नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया ने बंसल से कहा कि वह रिकॉर्ड देखकर खुद ही सूचनाएं हासिल कर लें। सूचना पाने में नाकाम रहने के बाद बंसल सीधे सीआईसी के दरवाजे पर पहुंचे। हालांकि, दिल्ली पुलिस और नैशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया ने सूचना सार्वजनिक करने में कोई आपत्ति नहीं जताई है।

सूचना आयुक्त ने नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि वह आवेदक को महात्मा गांधी मर्डर केस की चार्जशीट और गोडसे के बयान की प्रमाणित प्रति 20 दिन के भीतर उपलब्ध कराए। उन्होंने आदेश दिया कि फोटोकॉपी के लिए आवेदक से प्रति पेज 2 रुपये के हिसाब से लिए जाएं।

आचार्युलु ने कहा कि मांगी गई सूचना के लिए किसी छूट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि सूचना 20 वर्ष से ज्यादा पुरानी है, ऐसी स्थिति में यदि वह आरटीआई कानून के सेक्शन 8(1)(a) के तहत नहीं आता तो उसे गोपनीय नहीं रखा जा सकता। दक्षिणपंथी कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।
 

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