विश्व आदिवासी दिवस: छत्तीसगढ़ सीएम ने टाइगर रिजर्व में दिए सामुदायिक वन अधिकार, PESA कानून भी लागू

Written by Navnish Kumar | Published on: August 10, 2022
विश्व आदिवासी दिवस पर रायपुर से अच्छी खबर आई है कि छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने टाइगर रिजर्व में सामुदायिक वन अधिकार प्रदान किए। साथ ही, राज्य में पेसा (PESA) कानून भी लागू कर दिया गया है।


छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री निवास में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के दो बड़े टाइगर रिज़र्व के कोर और बफर जोन में गांवों को सामुदायिक वन अधिकार प्रदान किया। वनाधिकारों की मान्यता कानून के तहत 10 ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रमाण पत्र दिए गए। जिनको यह अधिकार मिला है उसमें, अचानकमार टाइगर रिज़र्व एवं सीतानदी उदंती क्षेत्र की पांच-पांच ग्राम सभाएं शामिल हैं। अचानकमार टाइगर रिज़र्व और सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व में 12,500 हेक्टेयर वन क्षेत्र के अधिकार पत्र दिए गए हैं।

अचानकमार टाइगर रिज़र्व के जिन 5 ग्राम सभाओं के अधिकार प्रदान किए गए हैं। वो मुंगेली जिला के क्षेत्र हैं, जिसमें से 4 गांव कोर एवं 1 गांव बफर क्षेत्र का है, इनमें महामाई ग्राम सभा को 1384.056 हेक्टेयर, बाबूटोला ग्राम सभा को 1191.6 हेक्टेयर, बम्हनी ग्राम सभा को 1663 हेक्टेयर, कटामी ग्राम सभा को 3240 हेक्टेयर एवं मंजूरहा ग्राम सभा को 661.74 हेक्टेयर पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान किए गए हैं। 

अचानकमार टाइगर रिज़र्व से आनंद एक्का, फूलसिंह बैगा, तितरू सिंह मरावी, मानसिंह बैगा, दिलहरण टेकाम, अघन सिंह मरावी, मंगल सिंह एक्का, संतोष मरावी, नवल प्रजापति और फिरतुराम बैगा ने अधिकार पत्र मुख्यमंत्री से प्राप्त किया और शहद भेंटकर उनके प्रति आभार प्रकट किया।

इसी तरह सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व में राज्य में पहली बार एक साथ संयुक्त रूप से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार धमतरी जिले के सीतानदी टाइगर रिज़र्व की तीन ग्राम सभा लिखमा, बनियाडीह, मैनपुर को 1811.53 हेक्टेयर में अधिकार मान्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि बरसो से इनकी पारंपरिक सीमाए एक ही है, परन्तु आबादी बढ़ने के कारण इन्हें तीन गांवों में विभक्त कर दिया गया था, इसलिए वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के तहत इन्होने एक साथ वन संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन, परिरक्षण और प्रबंधन का निर्णय लिया है। अधिकार पत्र पर ग्राम सभा लिखमा, बनियाडीह व मैनपुरवासियों ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। सीतानदी से आये जिला पंचायत सदस्य मनोज साक्षी, दुलार सिंह समरथ, नरेश कुमार कश्यप और रमेश कुमार नेताम ने मुख्यमंत्री को महुआ की माला पहना कर उन्हें अधिकार पत्र मान्य करने के लिए धन्यवाद दिया।

टाइगर रिज़र्व के उदंती क्षेत्र के हिस्से में जो गरियाबंद जिले में पड़ता है, उसके बफर क्षेत्र में भी मुख्यमंत्री ने दो सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र प्रदान किये हैं, जिसमें विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के गोद लिए ग्राम कुल्हाड़ीघाट प्रमुख है जिसे 1321.052 हेक्टेयर पर अधिकार पत्र शामिल हैं। ग्राम सभा कठवा को भी 1254.57 हेक्टेयर के मुख्यमंत्री ने वन संसाधन अधिकार पत्र प्रदाय किया। कमार समाज के अध्यक्ष बनसिंह सोरी और धनमोती सोरी, दामोदर मरकाम और नोहर सिंह सोरी ने मुख्यमंत्री को विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए किए गए कार्याें के लिए कृतज्ञता व्यक्ति की और विशेष संरक्षित जनजाति समूह के युवाओं को शासकीय नौकरी प्रदान करने के निर्णय के लिए धन्यवाद दिया।

उधर, छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस से एक दिन पहले अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत अधिकारों का विस्तार-PESA नियम-2022 लागू कर दिया। इसके साथ ही यह कानून छत्तीसगढ़ में लागू हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा, छत्तीसगढ़ में PESA अधिनियम को लेकर नियम बन चुका है। इससे आदिवासी अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे।

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, मुख्यमंत्री रायपुर के पं. दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में सर्व आदिवासी समाज की ओर से आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, आदिवासियों के हितों को संरक्षण देने के लिए राज्य में PESA कानून लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा। नए नियम से ग्राम सभा के 50% सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे। इस 50% में से भी 25% महिला सदस्य होंगी। अब गांवों के विकास में निर्णय लेने और आपसी विवादों के निपटारे का भी उन्हें अधिकार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, आदिम संस्कृति, छत्तीसगढ़ की पहचान है और आदिवासियों का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। हम आदिवासियों के सारे योगदान को सहेज कर रखना चाहते हैं। इसके लिए समुदाय की भाषा, संस्कृति सभी कुछ सहेजने का काम किया जा रहा है।

विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश भर से लोग राजधानी पहुंचे थे। अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार के अब तक के काम भी गिनाए। उन्होंने कहा, उनकी सरकार बनने के बाद पहली बार विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई। आदिवासियों को वन अधिकार के पट्टे दिए गए जिसके तहत अभी तक 5 लाख पट्टे दिए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य सरकार 65 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रही है। यही वजह है कि बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अपने गांवों के लिए बैंक खोलने की मांग कर रहे हैं। समारोह में आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनुसूचित जन जाति आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, अनुसूचित जन जाति आयोग की उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान, विधायक सत्यनारायण शर्मा, शिशुपाल सोरी, बृजमोहन अग्रवाल, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष भारत सिंह समेत हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।

क्या है आदिवासी क्षेत्रों का PESA कानून
दरअसल 1992 में संविधान का 73वां संशोधन कर ग्राम पंचायतों को संविधानिक मान्यता दी गई। यह कानून 1993 से लागू हुआ। लेकिन उस समय इस कानून से पांचवी अनुसूची में शामिल आदिवासी बहुल क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया था। पांचवी अनुसूची में आदिवासी बाहुल्य जनसंख्या वाले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, प. बंगाल, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। बाद में संसद ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों का विस्तार अधिनियम- PESA 1996 बनाया। 24 दिसम्बर को यह अधिसूचित हो गया। छत्तीसगढ़ में सरकार पिछले 22 सालों में इसके नियम नहीं बना पाई थी। इसकी वजह से आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतों को स्वायत्त बनाने वाला यह कानून बेकार पड़ा हुआ था। कांग्रेस ने 2018 के चुनावी घोषणापत्र में इसका वादा किया था। सरकार बनी तो इस पर कवायद शुरू हुई। अब सरकार ने इसके नियम बनाकर राजपत्र में प्रकाशित कर दिए हैं।

स्वास्थ्य-शिक्षा पर भी बात की
राज्य सरकार आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए लगातार काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि मलेरिया के मामलों में 65% की कमी आई है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक से भी लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। हमने बस्तर के 300 बंद स्कूलों को शुरू किया है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राज्य में 10 हजार नए शिक्षकों की भर्ती भी होने जा रही है।

काफी टेबल बुक आदि विद्रोह सहित 44 पुस्तिकाओं का विमोचन
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदि विद्रोह सहित 44 पुस्तकों, पुस्तिकाओं, पाठ्य सामग्रियों का विमोचन किया। इनका प्रकाशन आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थानने किया है। मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरुकता अभियान के कैलेण्डर, अभियान गीत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (चारगांव जिला कांकेर) पर आधारित एक प्रचार फिल्म का भी विमोचन किया।

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