छत्तीसगढ़ : धमतरी में वन विभाग ने जला डालीं 20 आदिवासियों की झोपड़ियां, माकपा ने की कार्रवाई की मांग

Written by sabrang india | Published on: October 24, 2020
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के दुगली के आश्रित ग्राम दिनकरपुर में वन विभाग के लोगों (वन ग्राम समिति, पंचायत के सरपंच और सचिव) ने कथित तौर पर 20 आदिवासियों के घरों को तोड़ा और उन्हें आग के हवाले किया, यही नहीं इन आदिवासियों की फसल को भी जानवरों से चरवा दी गई और इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया गया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने और पीड़ित आदिवासियों के नुकसान की भरपाई सरकार द्वार पूरी करने और पीड़ितों को वन भूमि पर पट्टा देने की मांग की है। 



आदिवासी परिवारों के घरों में की गई आगजनी की तस्वीरों को जारी करते हुए यहां एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि 13 अक्टूबर को प्रशासन द्वारा उन्हें उजाड़े जाने के बाद पीड़ित आदिासी परिवार पिछले पांच दिनों से बाल बच्चों सहित धमतरी जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन प्रशासन चुप है। 

माकपा सचिव समीर कुरैशी के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित आदिवासियों से मिला। पीड़ितों के अनुसार वे 1993-94 से वन रक्षक क्रमांक 266 की वन भूमि पर काबिज हैं और खेती कर रहे हैं। 

साढ़े तीन साल पहले भी इस पंचायत के ताकतवर लोगों ने उन लोगों पर हमला करके उनकी झोपड़ियों को नष्ट कर दिया था। तब यदि हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई होती तो अब दोबारा हमला नहीं होता। उन्होंने बताया कि उनके वनाधिकार के दावों को बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया है। 

माकपा नेता ने उन पीड़ित परिवारों के नामों का भी जिक्र किया है जिनके घरों को तोड़कर आग के हवाले किया गया है। इसमें पंचायत के एख पूर्व सरपंच राकेश पराते और एक वर्तमान पंच गीताबाई कोर्राम की झोपड़ी भी शामिल है। 

अन्य नाम इस प्रकार हैं : बीरबल सोनवानी, प्रताप सिंह मंडावी, रमुला बाई चक्रधारी, राधिका सोनवानी, कीर्तन मरकाम, बालेन्द्र नेताम, राम सोरी, सुनीता बाई, प्रेम बाई, चमेली बाई, हरीश कुमार, मताबाई, भिखारी राम, दिनेश, भीखम सिंह आदि।  

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