सुदर्शन न्यूज के ‘यूपीएससी जिहाद’ शो के खिलाफ केंद्र आज जारी करेगा आदेश

Written by sabrang india | Published on: October 27, 2020
नई दिल्ली। सुदर्शन न्यूज के 'यूपीएससी जिहाद' शो से संबंधित मामले की 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में थोड़ी देर सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने इसकी सुनवाई के लिए 19 नवंबर अगली तारीख तय की। केंद्र को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदिरा बनर्जी और इंदु मल्होत्रा की बेंच को इस शो के ब्रॉडकास्ट पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फैसले के बारे में जानकारी देनी थी। मंत्रालय ने सुदर्शन टीवी चैनल को केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट 1995 के तहत कारण-बताओ नोटिस भेजा था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और इंदिरा बनर्जी सहित तीन जजों की बेंच को बताया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय सुदर्शन न्यूज के शो के खिलाफ विभिन्न शिकायतों पर अपना आदेश जारी करने के लिए तैयार है। सॉलिसिटर जनरल ने बेंच के समक्ष पेश किया आदेश आज यानी 27 अक्टूबर को दिया जा सकता है।




इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मंत्रालय का आदेश तैयार है और इसे 27 अक्टूबर को रिकॉर्ड पर रखा जाएगा।  

11 से 14 सितंबर तक, "यूपीएससी जिहाद" शो को चार एपिसोड के लिए चलाने की अनुमति दी गई थी क्योंकि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह देखते हुए टेलीकास्ट की अनुमति दी थी कि प्रोग्राम कोड के उल्लंघन पर निष्कर्ष पर आना संभव नहीं था। इससे पहले कि एपिसोड वास्तव में टेलीकास्ट होते थे। शिकायत का निस्तारण करते हुए, केंद्र ने तब सुदर्शन टीवी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि एपिसोड प्रोग्राम कोड का उल्लंघन न करें।

15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और के एम जोसेफ की तीन जजों वाली बेंच ने बचे हुए शो के प्रसारण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि शो की प्रकृति सांप्रदायिक है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था, "एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है। क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है। ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है।

5 अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया था कि इस मामले में उसने सुदर्शन न्यूज को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है और केंद्र सरकार ने एक इंटर-मिनिस्टीरियल कमेटी (IMC) का गठन किया है ताकि वह शिफारिशें देख सके और कमेटी ने 1 अक्टूबर को चैनल के प्रतिनिधि की बात सुनकर 4 अक्टूबर को अपनी सिफारिशें दी थीं।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कोर्ट को एक लेटर लिखकर बताया था कि आईएमसी की सिफारिशों के मुताबिक उन्हें सुदर्शन न्यूज एक दूसरी सुनवाई देनी होगी। ये सुनवाई 6 अक्टूबर को सुबह 11 बजे होनी थी।

याचिकाकर्ता फिरोज इकबाल खान समेत शो के खिलाफ इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर करने वाले कई लोगों ने कोर्ट से अपील की है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फैसले की परवाह किए बिना सुनवाई होती रहनी चाहिए। इन लोगों का कहना है कि सुदर्शन टीवी के केस में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हेट स्पीच को रेगुलेट किए जाने जैसे बड़े मुद्दे शामिल हैं।

केंद्र की पोजीशन ये है कि इस मामले से निपटने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट 1995 और 1994 केबल टीवी नियमों के तहत एक व्यवस्था मौजूद है। इसके अलावा मीडिया के पास खुद को रेगुलेट करने की व्यवस्था भी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दो हलफनामे दिए हैं, जिनमें कहा गया कि अगर कोर्ट मीडिया में हेट स्पीच पर गाइडलाइन बनाने का सोच रहा है तो उसे ऐसा पहले डिजिटल मीडिया के लिए करना चाहिए।  

सुदर्शन न्यूज को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था कि वे इस मामले में अदालत की चिंताओं को कैसे आत्मसात करेंगे। सुदर्शन न्यूज टीवी ने अपने 91 पन्नों के लंबे हलफनामे में दावा किया था कि वह "नागरिकों और सरकार को राष्ट्र विरोधी और असामाजिक गतिविधियों के बारे में जागृत करने के लिए खोजी पत्रकारिता" कर रहा है। चैनल के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने प्रस्तुत हलफनामे में जोर देकर कहा कि उनका किसी भी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ कोई बुरा व्यवहार नहीं है और न ही प्रसारित किए गए चार एपिसोड में किसी में भी यह संदेश था कि एक विशेष समुदाय को यूपीएससी में शामिल नहीं होना चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 19 नवंबर 2020 को होगी। 

बाकी ख़बरें