बिहार में सामने आया 100 करोड़ से ज्यादा का बॉडीगार्ड घोटाला, CAG की रिपोर्ट ने खोली पोल

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 20, 2021
बिहार में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) रिपोर्ट आने के बाद हंगामा मच गया है। बिहार में वर्दी और भर्ती घोटाले के बाद अब बॉडीगार्ड घोटाला होने की जानकारी मिली है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के जरिये कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।



कैग की रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार में सिस्टम की मिलीभगत से बॉडीगार्ड घोटाला कर राज्य सरकार को 100 करोड़ से अधिक का राजस्व का चूना लगाया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने सूचना के अधिकार कानून के तहत बड़ी संख्या में लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराने के मामले में जानकारी मांगी थी। राय की आईटीआर के जवाब में कैग की ओर से दी जानकारी में प्रदेश के दर्जनों जिलों में वित्तीय गडबड़ियों की जानकारी सामने आई है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने अरवल जिले में सबसे ज्यादा 1.24 करोड़ रुपये बॉडीगार्ड पर खर्च किए हैं। वहीं अररिया में भी 1 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी की गई। इसके अलावा समस्तीपुर में 1 करोड़, पटना में 87 लाख, गया में 73 लाख और बक्सर में 44 लाख रुपये बॉडीगार्ड पर खर्च किए गए हैं। 

इसके अलावा भी कई जिले हैं, जिनमें बॉडीगार्ड पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। इससे सरकार को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।
माफियाओं को मुहैया कराए बॉडीगार्ड 
आरटीआई कार्यकर्ता ने शिवप्रकाश राय नियमों का हवाला देते हुए बताया, पटना हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट है कि सरकार उन लोगों पर ही बॉडीगार्ड के मद से पैसे खर्च कर सकती है, जो सामाजिक सरोकार से जुड़े हों या उनकी जान को खतरा हो। लेकिन कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत कई आपराधिक प्रवृत्ति और माफिया किस्म के लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराए गए हैं और इसके बदले में कोई राशि नहीं वसूली गई है। 

आरटीआई कार्यकर्ता राय ने कहा कि अगर इस धनराशि की वसूली नहीं होती है, तो वह सरकार के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। 
बॉडीगार्ड आवंटन में यह घोटाला वर्ष 2017 से लेकर 2021 के बीच किया गया है। कैग की इस रिपोर्ट के बारे में बिहार पुलिस मुख्यालय को भी जानकारी है। इस रिपोर्ट पर कार्रवाई होने के बाद कई जिलों के डीएम और एसपी भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि निजी स्वार्थ में इन्होंने सरकार के राजस्व का नुकसान कराया है। 

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