मध्यप्रदेश के सतना से भारतीय जनता पार्टी विधायक शंकर लाल तिवारी को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। शंकर लाल तिवारी ने 21 साल पहले 1997 में सतना सिटी कोतवाली में घुसकर पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की थी।

शंकर लाल तिवारी और 28 अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट और बलवा का मामला दर्ज था। उसके बाद से शंकर लाल तिवारी कभी अदालत में पेश नहीं हुए। वो चुनाव लड़कर विधायक भी बन गए लेकिन अदालत में हाजिर नहीं हुए। इसके बाद जब अदालत ने उन्हें फरार घोषित किया था। मंगलवार को विधायक तिवारी सड़क सुरक्षा सप्ताह को हरी झंडी दिखाने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
बाद में विधायक को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें 50 हजार के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया गया।
1997 में एक धरना-प्रदर्शन के दौरान शंकर लाल तिवारी ने सिटी कोतवाली में घुसकर पुलिस वालों की पिटाई की थी। पुलिसकर्मियों की शिकायत पर तिवारी समेत 28 लोगों के खिलाफ मारपीट व बलवा का मामला दर्ज किया गया था।
इसके बाद शंकर लाल तिवारी ने 2003, 2008, 2013 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। 2003 में भाजपा की सरकार बनने के बाद तिवारी ने कानून को ठेंगे पर रखा और अदालत जाने की जरूरत नहीं समझी। इस मामले में पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता रामदास मिश्रा, भाजपा पार्षद अजय समुंदर, कांग्रेस जिला महासचिव मनीष तिवारी, वालेस त्रिपाठी समेत 19 लोग अभी भी स्थायी रूप से फरार हैं।

शंकर लाल तिवारी और 28 अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट और बलवा का मामला दर्ज था। उसके बाद से शंकर लाल तिवारी कभी अदालत में पेश नहीं हुए। वो चुनाव लड़कर विधायक भी बन गए लेकिन अदालत में हाजिर नहीं हुए। इसके बाद जब अदालत ने उन्हें फरार घोषित किया था। मंगलवार को विधायक तिवारी सड़क सुरक्षा सप्ताह को हरी झंडी दिखाने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
बाद में विधायक को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें 50 हजार के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया गया।
1997 में एक धरना-प्रदर्शन के दौरान शंकर लाल तिवारी ने सिटी कोतवाली में घुसकर पुलिस वालों की पिटाई की थी। पुलिसकर्मियों की शिकायत पर तिवारी समेत 28 लोगों के खिलाफ मारपीट व बलवा का मामला दर्ज किया गया था।
इसके बाद शंकर लाल तिवारी ने 2003, 2008, 2013 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। 2003 में भाजपा की सरकार बनने के बाद तिवारी ने कानून को ठेंगे पर रखा और अदालत जाने की जरूरत नहीं समझी। इस मामले में पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता रामदास मिश्रा, भाजपा पार्षद अजय समुंदर, कांग्रेस जिला महासचिव मनीष तिवारी, वालेस त्रिपाठी समेत 19 लोग अभी भी स्थायी रूप से फरार हैं।