मानवाधिकार पर आधारित अमेरिकी रिपोर्ट में अमित शाह की आलोचना

Written by sabrang india | Published on: March 22, 2019
नई दिल्ली। मानवाधिकार पर आधारित अमेरिकी विदेश विभाग की "इंडिया 2018 ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट" के "फ्रीडम ऑफ मूवमेंट" चैप्टर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की आलोचना की गई है। इस रिपोर्ट में अमित शाह के एक बयान को लेकर आलोचना की गई है जो उन्होंने बीते साल सितंबर माह में राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक चुनावी रैली में दिया था। इस रैली में अमित शाह ने बांग्लादेशियों को "दीमक" करार दिया था। 

शाह ने कहा कि यह दीमक हमारे चुनाव व्यवस्था को खाए जा रहा था, लेकिन हमने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के जरिए 40 लाख घुसपैठियों को पहचानने का काम किया है।

बता दें कि भारत में ये पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रही है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की ड्राफ्ट सूची 30 जुलाई को प्रकाशित की गई थी, जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे। 1985 में राजीव गांधी की सरकार ने ऐलान किया था कि 24 मार्च 1971 के बाद कोई भी उचित दस्तावेज के बिना असम में आया तो उसको विदेशी घोषित कर दिया जाएगा।

40,70,707 लोगों को अंतिम मसौदा सूची से बाहर रखने के कारण इनकी स्थिति पर अनिश्चितता पैदा हो गई। इसमें से तो कोई ऐसे थे जिनके परिवार की कई पीढ़ियां राज्य में रह रही थीं। इन लोगों को भारतीय नागरिकों की अंतिम सूची में अपना नाम शामिल करने के लिए अपील की प्रक्रिया से गुजरना होगा।

अमित शाह ने दावा किया था कि 2019 के आम चुनावों के बाद बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आएगी और एक-एक घुसपैठियों को चुन-चुन कर मतदाता सूची से बाहर निकालेगी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए की सरकार को देश की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं थी।

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