आजाद भारत में पहली बार बिना मुस्लिम मंत्री के बिहार सरकार

Written by sabrang india | Published on: November 17, 2020
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में सोमवार 16 अक्टूबर को नीतीश कुमार ने चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नीतीश कुमार के साथ ही 14 मंत्रियों को भी राज्यपाल फागू चौहान ने शपथ दिलाई। इन 14 मंत्रियों में से 7 भाजपा के हैं जबकि जेडीयू के 5 और हम और वीआईपी के एक-एक मंत्री बनाए गए हैं। नीतीस की नई कैबिनेट में जातिगत समीकरणों का विशेष ध्यान रखा गया है जिसमें ब्राह्मण, भूमिहार, दलित, यादव और राजपूत जाति के नेताओं को जगह दी गई है। लेकिन आजाद भारत में यह शायद पहली बार है कि बिहार सरकार के कैबिनेट में एक भी मुस्लिम नेता को मंत्री के रूप में कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। 



बता दें कि बिहार की कुल जनसंख्या में 15 फीसदी आबादी मुसलमानों की है इसके बावजूद उन्हें को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। हालांकि अभी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है, लेकिन एनडीए से इस बार कोई भी मुस्लिम विधानसभा चुनाव जीतकर नहीं आया है। ऐसे में नीतीश कैबिनेट में किसी मुस्लिम को जगह दी जाती है तो विधान परिषद सदस्य को ही जगह मिल पाएगी। 

बिहार में इस बार के चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम विधायक चुन कर नहीं आया है। एनडीए में चार घटक दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जेडीयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से कोई भी जीत हासिल नहीं कर सका। पिछली सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे जेडीयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज भी इस चुनाव हार गए हैं। वहीं, बीजेपी के साथ साथ वीआईपी और हम पार्टी ने किसी मुसलमान उम्मीदवार को टिकट दिया ही नहीं था। 

नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल में किसी मुस्लिम विधायक के नहीं होने के चलते एमएलसी को ही मंत्री बनाने का विकल्प बचता है। विधान परिषद में जेडीयू के पास अच्छी खासी संख्या में मुसलमान एमएलसी हैं, जिनमें गुलाम रसूल बलियावी, कमर आलम, गुलाम गौस, तनवीर अख्तर और खालिद अनवर जैसे नाम शामिल हैं। ऐसे में नीतीश अपनी कैबिनेट का विस्तार आगे करते हैं तो किसी एक मुस्लिम एमएलसी को मंत्री बनाने का निर्णय कर सकते हैं। 

जेडीयू एमएलसी कमर आलम ने कहा कि अभी फिलहाल छोटे मंत्रिमंडल का गठन हुआ है। अभी इसका विस्तार होना बाकी है। हमारी पार्टी ने 11 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कोई नहीं जीत सका है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगे किसी मुस्लिम नेता को अपने मंत्रिमंडल में जरूर शामिल करेंगे। उन्होंने कहा कि ये हो ही नहीं सकता कि नीतीश कुमार अपनी सरकार में मुसलमानों को प्रतिनिधित्व नहीं दें, क्योंकि उन्होंने मुसलमानों के हक में बहुत काम किए हैं। 15 साल से बिहार में मुस्लिमों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की है। 

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