बंगाल चुनाव: भाजपा के पास उम्मीदवारों का टोटा नहीं है तो ऐसा करने की क्या जरूरत थी?

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: March 16, 2021
स्वपन दासगुप्ता राज्यसभा के नामांकित सदस्य हैं। विशेष योग्यता वाले 12 लोगों को राष्ट्रपति नामांकित करते हैं। यह नामांकन सरकार की सिफारिश पर होता है। संविधान के अनुच्‍छेद 80(3) में उपबंध है कि राज्‍य सभा में राष्‍ट्रपति द्वारा नामित किए जाने वाले सदस्‍यों को साहित्‍य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों का विशेष ज्ञान अथवा व्‍यावहारिक अनुभव होना चाहिए। स्वपन दासगुप्ता विशेष योग्यता वाले कोटे से हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कानून के जानकार की विशेष योग्यता वाले हैं। इस कोटे से पहले केटीएस तुलसी सदस्य थे और उनका कार्यकाल पूरा होने पर गोगोई को उनकी जगह राज्य सभा सदस्य बनाया गया। वे भाजपा के सदस्य नहीं हैं। 



इसी तरह स्वपन दासगुप्ता विशेष योग्यता वाले हैं। वे भी घोषित रूप से भाजपा समर्थक होते हुए नामांकित बताए गए हैं। ऐसे सदस्यों के नाम के साथ पार्टी नहीं लिखी जाती है। (देखें सूची)। आज अखबारों में खबर थी कि उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा उम्मीदवार बनाया गया है। जाहिर है, भाजपा उम्मीदावर उसी को बनाया जाएगा जो भाजपा का सदस्य होगा। इसका मतलब हुआ राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए हैं। 

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है कि भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। स्वपन गुप्ता का कार्यकाल 24 अप्रैल 2022 तक है और अभी एक साल से कुछ ज्यादा समय बचता है। हो सकता है पार्टी ने यह सब देखकर उन्हें मैदान में उतारा हो। जीतने के बाद तो इस्तीफा देना ही था। दबाव पड़ने पर एक साल की सदस्यता जाएगी। बचे हुए कार्यकाल के लिए शायद किसी और का नामांकन भी संभव हो सकता है। 

ऐसी हालत में स्वपन इस्तीफा दें या नहीं - पार्टी के पास सदस्यों का टोटा है इसमें कोई शक नहीं है। कायदे से उन्हें इस्तीफा देकर नामांकन भरना चाहिए लेकिन ऐसा करने पर पार्टी के लोकसभा सदस्यों से भी यही अपेक्षा की जाती। इसलिए ऐसा नहीं किया गया होगा। मगर पार्टी उम्मीदवारों के मामले में अपनी कमजोरी का प्रदर्शन ऐसे क्यों कर रही है? 

महुआ मोइत्रा ने नियम भी पोस्ट किए हैं। इसके अनुसार नामांकन के छह महीने के अंदर अगर सदस्य पार्टी ज्वाइन कर ले तो ठीक है (ऐसा लिखा नहीं है) पर लिखा यह है कि छह महीने बाद अगर सदस्य किसी राजनीतिक दल की सदस्यता स्वीकार करता है तो वह सदस्यता से अयोग्य हो जाएगा। हो सकता है भाजपा के पास कोई काट भी हो। लेकिन इससे सदस्यों के टोटे की बात तो बनी रहती है।  कहने की जरूरत नहीं है कि विशेष योग्यता के लिए नामांकित किए जाने का अपना महत्व है। और सरकारी पार्टी का सदस्य नहीं बनने या मानने का तो है ही। सब गुड़ गोबर किया जा रहा है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह लेख उनकी फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित किया गया है।)

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