सरकारी स्कूलों की बदहाली: न शिक्षक, न मिडडे मील, न भवन

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: June 22, 2018
मध्यप्रदेश में नया शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है और सरकारी तौर पर 15 जून से स्कूल खुल गए हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षक ही स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं तो छात्र-छात्राएं कैसे पहुंचेंगे।

MP Schools
Representation Image                                                     Image Courtesy: Hindustan Times

हर साल की तरह इस साल भी ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बदहाल ही रहनी है, इसके संकेत मिलने लगे हैं।

सरकारी स्तर पर स्कूल प्रवेशोत्सव मनाया गया और स्कूल चलें हम जैसे नारों के साथ रैलियां निकाली गईं, लेकिन उसके बाद सब कुछ पहले जैसा ही होने लगा।

15 जून से स्कूल खुलने के बाद भी छतरपुर जिले के ग्रामीण इलाकों के स्कूल सूने पड़े हैं। जिला और ब्लॉक मुख्यालयों में स्कूल जरूर खुल रहे हैं, लेकिन नईदुनिया की खबर के अनुसार महाराजपुर, नौगांव, गौरिहार, चंदला, लवकुशनगर, राजनगर, बिजावर, बड़ामलहरा, घुवारा, बकस्वाहा तहसील क्षेत्रों के दूर-दराज के गांवों में प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की मनमानी जारी है। शिक्षक स्कूल जाना जरूरी समझ ही नहीं रहे हैं। कभी-कभार वो औपचारिकता के लिए जाते हैं तो घंटे-दो घंटे में लौट आते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को पढ़ाना जरूरी नहीं समझते।

स्कूल में शिक्षकों के न रहने पर मिडडे मील बनाने वाले समूह संचालक भी मनमानी कर रहे हैं और बच्चों को भोजन बनाने की औपचारिकता किसी तरह से निभा रहे हैं। न वो गुणवत्ता का ख्याल रख रहे हैं और न मीनू का। ग्रामीण अगर उनकी शिकायत करते भी हैं तो स्कूल शिक्षक भी मिडडे मील बनाने वाले समूह संचालकों का ही पक्ष लेते हैं।

छतरपुर जिले में स्कूलों की व्यवस्था में और भी कई तरह की गड़बड़ियां हैं। सांझा चूल्हा योजना के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के भोजन की जिम्मेदारी भी समूह संचालकों के पास है, और वो स्कूलों में बचने वाले भोजन को ही आंगनवाड़ी केंद्रों में बांट देते हैं।

गौरिहार तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत प्रकाश बम्हौरी में हाईस्कूल के विद्यार्थियों के लिए नए भवन का निर्माण हो चुका है, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी स्कूल भवन का ह्स्तांतरण तक नहीं हो पा रहा है। बिल्डिंग का निर्माण इस कदर घटिया किया गया है कि हस्तांतरण के पहले ही वह जर्जर होने लगी है। विद्यार्थी अब भी पुराने भवन में ही बैठकर पढ़ते हैं।
 
 

बाकी ख़बरें