केवल एक अधिनायकवादी सरकार ही चुपचाप लोगों को नोटबंदी जैसे संकट को झेलने के लिए छोड़ सकती हैः अमर्त्य सेन

Published on: November 26, 2016
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने पीएम मोदी के नोटबंदी फैसले को निरंकुश कार्रवाई के सामान बताया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला सरकार की अधिनायकवादी प्रकृति को दर्शाता है और केवल एक अधिनायकवादी सरकार ही चुपचाप लोगों को इस संकट में झेलने के लिए छोड़ सकती है।

Amartya Sen

पीएम मोदी के फैसले 500 व 1000 के नोटों को बंद किए जाने पर भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार विजेता और दिग्गज अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इंडियन एक्सप्रेस से विशेष बातचीत करते हुए नोटबंदी के फैसले पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि “लोगों को अचानक यह कहना कि आपके पास जो करेंसी नोट हैं वो किसी काम का नहीं है, उसका आप कोई इस्तेमाल नहीं कर सकते, यह अधिनायकवाद की एक अधिक जटिल अभिव्यक्ति है, जिसे कथित तौर पर सरकार द्वारा जायज ठहराया जा रहा है क्योंकि ऐसे कुछ नोट कुछ कुटिल लोगों द्वारा काला धन के रूप में जमा किए गए है।
 
नोटबंदी से लोगों को हो रही मुश्किलों पर उन्होंने कहा, “केवल एक अधिनायकवादी सरकार ही चुपचाप लोगों को इस संकट में झेलने के लिए छोड़ सकती है। आज लाखों निर्दोष लोगों को अपने पैसे से वंचित किया जा रहा है और अपने स्वयं के पैसे वापस लाने की कोशिश में उन्हें पीड़ा, असुविधा और अपमान सहना पड़ रहा है। सरकार की इस घोषणा से एक ही झटके में सभी भारतीयों को कुटिल करार दे दिया गया जो वास्तव में ऐसे नहीं हैं।”

जनसत्ता की खबर के अनुसार, जब उनसे पूछा गया कि क्या नोटबंदी का कुछ सकारात्मक असर दिखेगा जैसा कि प्रधानमंत्री दावा कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, “यह मुश्किल लगता है। यह ठीक वैसा ही लगता है जैसा कि सरकार ने विदेशों में पड़े काला धन भारत वापस लाने और सभी भारतीयों को एक गिफ्ट देने का वादा किया था और फिर सरकार उस वादे को पूरा करने में असफल रही।”

आगे उन्होंने कहा, जो लोग काला धन रखते हैं उन पर इसका कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है लेकिन आम निर्दोष लोगों को नाहक परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने हर आम आदमी और छोटे कारोबारियों को सड़कों पर ला खड़ा किया है।

Courtesy: Janta Ka Reporter
 

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