अच्छी खबर: अवैध रूप से घर ढहाने के खिलाफ प्रयागराज का नागरिक समाज आगे आया

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 17, 2022
स्थानीय नागरिकों के समूह ने यूपी में चल रहे तथाकथित "पुलिस राज" को लेकर अधिकारियों के खिलाफ आवाज बुलंद की।


 
उत्तर प्रदेश में चल रहे बुलडोजर राज और अवैध रूप से लोगों के घर ढहाने के पुलिस प्रशासन के तानाशाहीपूर्ण रवैये के खिलाफ संगम नगरी इलाहाबाद से अच्छी खबर आई है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए वहां का (स्थानीय) नागरिक समाज आगे आया है। 

10 जून की हिंसा के बाद प्रयागराज (इलाहाबाद) में कथित दंगाइयों के घरों को ढहाने के प्रशासन के निर्णयों की निंदा करते हुए, स्थानीय नागरिकों का समूह "नागरिक समाज" आगे आया है और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट से इस तरह से घरों के धवस्तीकरण को रोके जाने की अपील की है। 

16 जून गुरुवार को डीएम को दिए पत्र में नागरिक समूह ने शुक्रवार (10 जून) के विरोध प्रदर्शनों पर अधिकारियों ने जिस तरह प्रतिक्रिया दी, उस पर हैरानी व्यक्त की। खास तौर से 10 और 11 जून की रात में कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद, उनकी पत्नी और बेटी की अवैध हिरासत की निंदा की गई। मोहम्मद को जिले के अटाला क्षेत्र में हुई हिंसा के "मास्टरमाइंड" के रूप में पेश किया गया था, जहां शुक्रवार का विरोध हिंसक हो गया था। उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, अधिकारियों ने मुस्लिम कार्यकर्ता के घर को ध्वस्त करने के लिए एक नोटिस भी जारी किया और रविवार तक घर मलबे में तब्दील कर दिया गया। हालांकि, नागरिक समाज ने प्रशासन पर मोहम्मद का नाम लेने वाले दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया जबकि वास्तव में घर उनकी पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर था।

“बिना सुनवाई या उचित प्रक्रिया के, फातिमा का घर गिरा दिया गया। उनकी बेटी सुमैया फातिमा को भी बिना वारंट या प्राथमिकी के दो दिन के लिए हिरासत में रखा गया। इससे हुए कष्ट के मुआवजे के रूप में, पत्र में, जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) से फातिमा के परिवार को घर के पुनर्निर्माण के लिए ₹ 5 करोड़ दिए जाने की अपील की गई। इसके अलावा, अचानक विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किए जाने की भी मांग की गई। समूह ने बताया कि डॉ आशीष मित्तल, शाह आलम, उमर खालिद, जीशान रहमानी और अन्य जैसे अन्य नागरिकों पर भी हिंसा का आरोप लगाया गया है, जबकि वास्तव में ये व्यक्ति घटना से जुड़े नहीं हैं। ये नेता सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलनों में प्रमुख नेता हैं। इसलिए समूह ने मांग की कि इन नामों को शिकायत से तुरंत हटाया जाए।

विरोध वाले दिन अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा (AIKMS) के महासचिव आशीष मित्तल ने, नागरिक समाज और अधिवक्ता मंच द्वारा आयोजित 1857 के स्वतंत्रता सेनानी मौलवी लियाकत अली के सम्मान समारोह में भाग लिया। उन्होंने लोगों से भाजपा आरएसएस के सांप्रदायिक फासीवादी कार्यक्रम का विरोध करने की अपील की। बावजूद इसके मित्तल पर भड़काऊ बयानों का आरोप लगाया गया जो कानपुर दंगों के संबंध में धार्मिक घृणा फैलाते थे। उधर, एआईकेएमएस ने कहा, "असली कारण यह है कि AIKMS ने सरकार द्वारा एनआरसी और सीएए को लागू करने का विरोध किया था और इस कारण से सरकार हमारे नेताओं को निशाना बना रही है।" 

इसी तरह, मित्तल ने भी बयान जारी किया जो इस प्रकार था: “मैंने (डॉ आशीष मित्तल ने) प्रयागराज जोन के एडीजी प्रेम प्रकाश के टीवी चैनलों को दिए बयान में, यह कहते हुए सुना है कि मैं 10 जून को अटाला क्षेत्र में पथराव की घटना से जुड़ा था। यह पूरी तरह से मनगढ़ंत और बनावटी आरोप है। न तो मेरा और न ही एआईकेएमएस के किसी व्यक्ति का इस घटना से कोई संबंध है और हम सरकार को चुनौती देते हैं कि वह मेरे या हमारे संगठन के जुड़ाव का कोई सबूत सामने लाए। शुक्रवार को मेरा पूरा दिन एसीएम 2, इलाहाबाद की अदालती कार्यवाही में बीता। इस मामले में भी मेरा नाम कानपुर दंगों से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, यह दावा करते हुए कि मैंने इन दंगों पर कुछ बयान दिया है, जो मेरे पास नहीं है और जिसके साथ मेरा कोई संबंध नहीं है।

मुस्लिम समुदाय द्वारा शुक्रवार को किए गए विरोध प्रदर्शन, निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम के बारे में की गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ थे। इलाहाबाद में इन विरोध प्रदर्शनों का अंत अटाला क्षेत्र में हुई हिंसा के साथ हुआ। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर प्राथमिकी में पुलिस आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया। स्थानीय पुलिस पहले ही कम से कम 92 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। कुल मिलाकर, पूरे भारत में 417 से अधिक गिरफ्तारियां की गई हैं।

नागरिक समाज ने कहा कि मुस्लिम क्षेत्रों से इस तरह से अचानक से ढहाए जाने वाले घरों को सूचीबद्ध करके पुलिस प्रशासन एक तरह से "पुलिस राज" आने का ही संकेत दे रहा है। इसी एसबी को लेकर नागरिक समूह ने डीएम से शुक्रवार की हिंसा की निष्पक्ष जांच कराने और लक्षित तोड़फोड़ में शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की।

Related:
"नूपुर शर्मा पर होती कार्रवाई तो नहीं सुलगता देश"

बाकी ख़बरें