यूपी में दलितों पर बढ़ते हमले से उनके अंदर गुस्सा पनप रहा है। मुसलमानों को निशाना बनाने के बाद अब दलितों के खिलाफ हमले बढ़ने शुरू हुए हैं।
यूपी में जातीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के आते ही दलितों पर दबंग जातियों के हमले में तेजी आ गई है। ठाकुरों ने सहारनपुर के बाद अब आगरा में दलितों को निशाना बनाया है। बुधवार को आगरा के केशोपुर जौफारी गांव में नाली बनाने को लेकर हुए दलितों और ठाकुरों के संघर्ष में दस लोग बुरी तरह घायल हो गए।झगड़ा उस वक्त शुरू हुआ, जब ठाकुर जाति के सुरेश सिंह ने दलित चंद्रपाल के घर के सामने से नाली बनाना शुरू कर दिया। गंदे पानी के इस नाली के निर्माण पर चंद्रपाल ने आपत्ति जताई। इस विरोध से नाराज ठाकुरों ने चंद्रपाल समेत गांव के दलितों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। दोनों जातियों के लोगों के झगड़े के बीच गांव के कुछ ऊंची जाति के लोग आसपास के घरों की छत पर चढ़ गए और गोलियां चलाने लगे। गोलियों से चंद्रपाल, सत्यवीर सिंह, विकास, रूपेश, बिंदू, मुकेश, रेशमा, राजेंद्री और गंभीर देवी बुरी तरह घायल हो गए। ये सभी दलित हैं। पुलिस ने हालात काबू किए। गांव में अब भारी तनाव है और आसपास के गांवों में इस संघर्ष को लेकर तनाव पैदा होने की खबरें हैं। केशोपुर जौफारी में पीएसी तैनात कर दी गई है।
दलितों का कहना है पुलिस उनकी नहीं सुनती। आदित्यनाथ सरकार में पुलिस वाले सीधे-सीधे ऊंची जाति के लोगों का पक्ष ले रहे हैं। आदित्यनाथ, ठाकुर बिरादरी के हैं। ठाकुरों का इससे मन बढ़ गया है। ठाकुरों ने कई दफा खुल कर कहा है कि अब तो अपना राज है, जो मन करेगा, करेंगे। गांव में नाली को लेकर संघर्ष की स्थिति पहले ही पैदा हो गई थी।
चंद्रपाल के बेटे संजय ने कहा कि पुलिस को इसकी जानकारी दे दी गई थी। शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया। दलितों का कहना है कि नाली जिस जमीन पर बनाई जा रही थी उसे ठाकुर अपना मान रहे थे। जबकि दलितों का कहना है कि यह जमीन ग्राम पंचायत की है।
यूपी में दलितों पर बढ़ते हमले से उनके अंदर गुस्सा बढ़ता जा रहा है। मुसलमानों को निशाना बनाने के बाद अब दलितों के खिलाफ हमले बढ़ने शुरू हुए हैं। उन इलाकों में दलित दबंग जातियों का विरोध कर रहे हैं, जहां वे मजबूत स्थिति में हैं। लेकिन यूपी के ज्यादातर गांवों में दलितों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत नहीं है। इस वजह से वे दबंग जातियों का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय झगड़ों में भी पुलिस दबंगों का पक्ष लेती है।
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