अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कश्मीर में करीब 4000 लोग गिरफ्तार हुए: मीडिया रिपोर्ट

Written by sabrang india | Published on: August 19, 2019
श्रीनगर: दो हफ्ते पहले 5 अगस्त को केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के बाद अशांति फैलने के डर से राज्य में हजारों लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। सरकारी सूत्रों ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी को इसकी जानकारी दी।

एएफपी से बात करते हुए एक मजिस्ट्रेट ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस दौरान कम से कम 4000 लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया है। जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) एक ऐसा विवादित कानून है जिसके तहत प्रशासन को किसी को भी दो साल तक बिना किसी आरोप या सुनवाई के हिरासत में रखने का अधिकार मिल जाता है। 

मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘इनमें से अधिकतर को कश्मीर से बाहर की जेलों में भेजा गया है क्योंकि यहां के जेलों की क्षमता खत्म हो गई है।’ उन्होंने यह संख्या राज्य के अपने सहयोगियों से संपर्क करके जुटाई है। प्रशासन द्वारा संचार माध्यमों पर पूरी तरह लगाई गई पाबंदी के बीच इसके लिए उन्होंने सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया, जो उन्हें सरकार की तरफ से मिला है।

हालांकि, इस दौरान प्रशासन हिरासत में लिए गए लोगों की वास्तविक संख्या उपलब्ध कराने से लगातार इनकार कर रहा है। प्रशासन ने केवल 100 से अधिक राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की है जिन्हें 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा छीनने के कुछ दिनों के अंदर ही हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए एहतियातन कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है, जो कि पिछले तीन दशकों से सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं।’

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के प्रवक्ता रोहित कंसल ने इससे पहले कहा था कि हिरासत में लिए गए लोगों की कोई केंद्रीकृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, एएफपी ने पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ श्रीनगर में कई सरकारी अधिकारियों से बात की जिन्होंने बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों की पुष्टि की।

अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा, हिरासत में लिए जाने के बाद श्रीनगर के कई जगहों पर करीब 6000 लोगों का मेडिकल परीक्षण कराया गया। पहले तो उन्हें श्रीनगर के केंद्रीय कारागार में ले जाया गया और बाद में सैन्य एयरक्राफ्ट में यहां से बाहर ले जाया गया। एक अन्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘हजारों लोगों को जेल भेजा गया लेकिन उन लोगों के आंकड़े नहीं शामिल हैं जिन्हें हिरासत में लिए जाने को पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं किया गया है।’

यह खुलासा ऐसा समय में हुआ है जब किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी प्रतिबंधों के बीच बीते हफ्ते एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आठ लोग घायल हो गए थे। बता दें कि, एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार ही 16 अगस्त को श्रीनगर में सैकड़ों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे। इसके जवाब में पुलिस आंसू गैस के गोले छोड़े और पेलेट गन से गोलीबारी की थी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच यह संघर्ष तब हुआ जब कई हजार लोग श्रीनगर की सड़कों पर रैली निकाल रहे थे।

हालांकि, दो हफ्ते पहले लगाई गई संचार पाबंदी और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती को प्रशासन धीरे-धीरे कम कर रहा है। लेकिन शनिवार को अनेक जगहों पर संघर्षों के बाद कुछ जगहों पर पाबंदियों को बढ़ा दिया गया। इससे पहले, प्रशासन किसी भी तरह के हिंसा या तनाव को खारिज कर रहा था और कह रहा था कि कश्मीर घाटी में शांति है।

शनिवार को राज्य सरकार के प्रवक्ता कंसल ने कहा था कि संघर्षों में आठ लोग घायल हुए हैं लेकिन उन्होंने इसके आगे की कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई। रविवार को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने एएफपी को बताया था कि रविवार की शाम तक कई अन्य टेलीफोन एक्सचेंज काम करने लगेंगे। वहीं, सोमवार को कई इलाकों में स्कूल भी खुल गए।

साभार- द वायर

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