वाराणसी: संस्कृति की रक्षा के लिए संविधान पर्याप्त है, धर्मयोद्धा तैयार करने की जरूरत क्यों?

Written by sabrang india | Published on: October 19, 2024
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में, संविधान अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है। ये मौलिक अधिकार सरकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने से रोकते हैं और नागरिकों के अधिकारों की समाज द्वारा अतिक्रमण से रक्षा करने का दायित्व भी राज्य पर डालते हैं।



प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तर प्रदेश के काशी में संस्कृति की रक्षा के लिए एक लाख धर्मयोद्धा तैयार करने की घोषणा की गई है, जो संवैधानिक मूल्यों को नजरअंदाज करता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में, संविधान अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है। ये मौलिक अधिकार सरकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने से रोकते हैं और नागरिकों के अधिकारों की समाज द्वारा अतिक्रमण से रक्षा करने का दायित्व भी राज्य पर डालते हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए काशी में एक लाख धर्मयोद्धाओं को तैयार किया जाएगा। काशी को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करने की पहल शुरू हो चुकी है। धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर राम की पूजा करने और सनातन को समझने वाले लोग धर्मयोद्धा बन सकते हैं। पातालपुरी सनातन रक्षक परिषद और रामपंथ ने इस कार्य की शुरुआत कर दी है।

रिपोर्ट के अनुसार, रामपंथ के पंथाचार्य डॉक्टर राजीव श्रीगुरु ने बताया कि संयुक्त परिवार की प्रणाली अब समाप्त हो जाने से सामाजिक और सांस्कृतिक विघटन तेजी से हो रहा है। इसी को ध्यान में रखकर धर्मयोद्धा तैयार किया जा रहा है। इसकी पहल काशी से शुरू की गई है। एक लाख परिवार जब एकजुट हो जाएंगे, तो इसके बाद इस प्रयोग को पूरे देश में लागू करने की योजना है। इसके तहत न्यूनतम आयु 14 वर्ष और अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है।

इन धर्मयोद्धाओं को वेदों और शास्त्रों के साथ-साथ विपरीत परिस्थितियों से निपटने और आपस में जुड़ने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। हर 100 परिवारों पर एक आचार्य नियुक्त किया जाएगा, जो नियमित रूप से कार्य करेंगे। अब तक 10 से अधिक मुसलमानों को भी इस पहल में शामिल किया गया है। रामनवमी और गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी धर्मयोद्धा काशी में एकत्र होंगे। रामनवमी पर लमही में और गुरु पूर्णिमा पर पातालपुरी मठ में गुरु का आशीर्वाद लेंगे। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने बताया कि भगवान राम के मार्ग पर चलकर ही देश की संस्कृति, परिवार और समाज को सुरक्षित रखा जा सकता है।

ज्ञात हो कि मौजूदा समय में राजनीतिक और गैर-राजनीतिक मंचों से दिए जाने वाले नफरती बयानों ने समाज के ताने-बाने को तबाह कर दिया है। काशी में धर्मयोद्धाओं को तैयार करने की योजना उसी नफरती बयानों का परिणाम है, जो समाज में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के बीच की खाई को पाटने के बजाय और बढ़ा सकता है। आए दिन देश में विभिन्न समुदायों और जातियों के बीच टकराव की खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती हैं।

हाल ही में देखा गया है कि देशभर में जुलूस के दौरान होने वाले हिंसक टकराव में कई लोगों की मौत हो गई और अन्य कई लोग घायल हो गए। हाल में उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुए हिंसात्मक टकराव में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मूर्ति विसर्जन के दौरान भगवा झंडा लिए एक व्यक्ति दूसरे समुदाय के व्यक्ति के घर पर चढ़कर उस पर लगा हरा झंडा उतार रहा था। झंडा उतारने के दौरान वह पाइप रेलिंग समेत गिर गया, और इसी दौरान गोली लगने से उसकी मौत हो गई। इसके बाद इलाके में दंगा भड़क गया और आगजनी की घटनाएं हुईं, जिसमें कई लोगों के दुकान और मकानों को भारी नुकसान हुआ।

बाकी ख़बरें