ऊंची जाति के लोगों के सामने दलित ग्राम प्रधान को कुर्सी पर बैठना महंगा पड़ा। दबंग ने प्रधान को कुर्सी से गिराकर बुरी तरह पीटा।
साभार : हिंदुस्तान
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां ऊंची जाति के लोगों के सामने एक दलित ग्राम प्रधान को कुर्सी पर बैठने की सजा मिली। दबंग लोगों ने प्रधान को बुरी तरह पीटा। साथ ही यह भी कहा कि उसके सामने कुर्सी पर बैठने की हिम्मत कैसे हुई। इस मामले के बाद प्रधान ने थाने में शिकायत की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना किशनपुर थाना के एकडला का है। ग्राम प्रधान कमलेश सोनकर के अनुसार वह गुरुवार रात करीब आठ बजे अपने घर के बाहर कुर्सी डालकर बैठे थे। इस बीच छयआना मोहल्ला सरौली के रहने वाला विपिन सिंह उनके दरवाजे के सामने से निकला और जाति सूचक गालियां देने लगा। साथ ही उसने कहा कि उसके सामने कुर्सी में बैठने की हिम्मत कैसे हुई। जब ग्राम प्रधान ने गाली का विरोध किया तो विपिन सिंह ने कुर्सी से गिराकर लात-घूंसों से पीटना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पड़ोस के लोग मौके पर पहुंचे तो विपिन जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से चला गया।
ग्राम प्रधान ने इसकी सूचना थाने में देते हुए विपिन सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया। वहीं, इस मामले में थाना प्रभारी निरीक्षक हेमंत मिश्रा ने बताया कि दोनों के बीच मारपीट का मामला है। तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया गया है, ग्राम प्रधान के आरोपों की जांच की जा रही है।
बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं जब दलित समाज के लोगों के साथ उच्च जाति के लोगों ने इस तरह का बर्ताव किया है। आए दिन देश भर से इस तरह की घटनाओं की खबरें आती रहती हैं।
पिछले महीने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दलित सरपंच को बंधक बनाकर पीटने का मामला सामने आया था जहां गांव के सरपंच को अपने घर पर बुलाकर दबंगों ने उसे बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा था। दलित सरपंच दिलीप अनुरागी का कहना था कि वह निवाड़ी ग्राम पंचायत सरपंच है और बाकायदा चुनाव जीतकर सरपंच बना है। गांव के दबंग उसे सरपंची नहीं करने दे रहे हैं। वे कहते हैं कि चूंकि पंचायत आरक्षित थी तो तुम भले ही जनता द्वारा चुन लिए गए पर सरपंची तो हम ही चलाएंगे और हमारे हिसाब से काम करोगे, जिसके लिए उसने मना किया और उनसे कहा कि जो काम शासन द्वारा दिए जाते हैं, मैं उन्हें पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी से करता हूं और जब मैं सरपंच हूं तो मैं ही सरपंची करूंगा तो उन्होंने उसे बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा।
इसी साल जून महीने में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक दलित सरपंच को कथित तौर पर एक पेड़ से बांधकर पीटा गया, जिससे उसे अपना पैतृक गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। सरपंच पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था कि पिछले दो साल से गुंडे उसे परेशान कर रहे थे, बदमाश चाहते थे कि वह अपना पद छोड़ दे और साथ ही अपना ‘डोंगल’ सौंप उन्हें दें, जिसमें उसका ‘डिजिटल सिग्नेचर पासवर्ड’ था।
सामाजिक न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में दलित उत्पीड़न के 12,287 मामले उत्तर प्रदेश में, 8,651 मामले राजस्थान में और 7,732 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए।
साभार : हिंदुस्तान
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां ऊंची जाति के लोगों के सामने एक दलित ग्राम प्रधान को कुर्सी पर बैठने की सजा मिली। दबंग लोगों ने प्रधान को बुरी तरह पीटा। साथ ही यह भी कहा कि उसके सामने कुर्सी पर बैठने की हिम्मत कैसे हुई। इस मामले के बाद प्रधान ने थाने में शिकायत की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना किशनपुर थाना के एकडला का है। ग्राम प्रधान कमलेश सोनकर के अनुसार वह गुरुवार रात करीब आठ बजे अपने घर के बाहर कुर्सी डालकर बैठे थे। इस बीच छयआना मोहल्ला सरौली के रहने वाला विपिन सिंह उनके दरवाजे के सामने से निकला और जाति सूचक गालियां देने लगा। साथ ही उसने कहा कि उसके सामने कुर्सी में बैठने की हिम्मत कैसे हुई। जब ग्राम प्रधान ने गाली का विरोध किया तो विपिन सिंह ने कुर्सी से गिराकर लात-घूंसों से पीटना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पड़ोस के लोग मौके पर पहुंचे तो विपिन जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से चला गया।
ग्राम प्रधान ने इसकी सूचना थाने में देते हुए विपिन सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया। वहीं, इस मामले में थाना प्रभारी निरीक्षक हेमंत मिश्रा ने बताया कि दोनों के बीच मारपीट का मामला है। तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया गया है, ग्राम प्रधान के आरोपों की जांच की जा रही है।
बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं जब दलित समाज के लोगों के साथ उच्च जाति के लोगों ने इस तरह का बर्ताव किया है। आए दिन देश भर से इस तरह की घटनाओं की खबरें आती रहती हैं।
पिछले महीने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दलित सरपंच को बंधक बनाकर पीटने का मामला सामने आया था जहां गांव के सरपंच को अपने घर पर बुलाकर दबंगों ने उसे बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा था। दलित सरपंच दिलीप अनुरागी का कहना था कि वह निवाड़ी ग्राम पंचायत सरपंच है और बाकायदा चुनाव जीतकर सरपंच बना है। गांव के दबंग उसे सरपंची नहीं करने दे रहे हैं। वे कहते हैं कि चूंकि पंचायत आरक्षित थी तो तुम भले ही जनता द्वारा चुन लिए गए पर सरपंची तो हम ही चलाएंगे और हमारे हिसाब से काम करोगे, जिसके लिए उसने मना किया और उनसे कहा कि जो काम शासन द्वारा दिए जाते हैं, मैं उन्हें पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी से करता हूं और जब मैं सरपंच हूं तो मैं ही सरपंची करूंगा तो उन्होंने उसे बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा।
इसी साल जून महीने में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक दलित सरपंच को कथित तौर पर एक पेड़ से बांधकर पीटा गया, जिससे उसे अपना पैतृक गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। सरपंच पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था कि पिछले दो साल से गुंडे उसे परेशान कर रहे थे, बदमाश चाहते थे कि वह अपना पद छोड़ दे और साथ ही अपना ‘डोंगल’ सौंप उन्हें दें, जिसमें उसका ‘डिजिटल सिग्नेचर पासवर्ड’ था।
सामाजिक न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में दलित उत्पीड़न के 12,287 मामले उत्तर प्रदेश में, 8,651 मामले राजस्थान में और 7,732 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए।