पत्रकार जतिंदर कौर तूर को खोजी पत्रकारिता के लिए वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला पत्रकार के लिए चमेली देवी जैन पुरस्कार मिला।

द कारवां की पत्रकार जतिंदर कौर तूर को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला पत्रकार के लिए चमेली देवी जैन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, 1980 में स्थापित चमेली देवी जैन पुरस्कार उन महिला पत्रकारों को सम्मानित करता है जो रिपोर्टिंग में उत्कृष्टता और साहस का प्रदर्शन करती हैं। इस अवॉर्ड का नाम स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक चमेली देवी जैन के नाम पर रखा गया है।
ज्ञात हो कि मीडिया फाउंडेशन द्वारा इस अवसर पर दो नए पत्रकारिता पुरस्कारों की भी शुरुआत की गई। इन दो नए पुरस्कारों में लैंगिक आधार पर पत्रकारिता के लिए कमला मानकेकर पुरस्कार और निर्भीक पत्रकारिता के लिए विश्व नाथ-दिल्ली प्रेस पुरस्कार शामिल हैं। बहनबॉक्स की प्रियंका तुपे को कमला मानकेकर पुरस्कार मिला, जबकि स्क्रॉल के रोकीबुज़ ज़मान को विश्व नाथ दिल्ली प्रेस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा बीबीसी हिंदी की दिव्या आर्य को उनकी दो वीडियो श्रृंखला हम, भारत के मुसलमान और हिंदू धर्म: मेरा मर्म के लिए सम्मानजनक उल्लेख मिला।
बता दें कि जतिंदर कौर तूर को मानवाधिकार उल्लंघन पर उनके खोजी पत्रकारिता के लिए यह अवॉर्ड दिया गया है। जिन रिपोर्टों के लिए कौर को यह अवॉर्ड मिला है वे निम्नलिखित हैं:
द मैन बिहाइंड अमृतपाल सिंग्स इलेक्शन कैंपेन फ्रॉम जेल
द रिलीजियस पैरानोया बिहाइंड पंजाब सैक्रिलेज किलिंग्स
वाई फार्मर्स इन हरियाणा एंड पंजाब डिसएलाउड द बीजेपी एंड अदर्स फ्रम कैंपेनिंग
आर्मी ऑफिसर्स टेस्टीफाई दट टू जनरल ओवरसॉ द टार्चर एंड मर्डर ऑफ सिविलियन्स इंन पूंछ
एंगर अमांग जम्मूस बिजनेस कम्यूनिटी इंपेरिल्स द बीजीपीस इलेक्शन प्रॉस्पेक्ट्स
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में कारवां पत्रिका को जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में भारतीय सेना के खिलाफ अत्याचार और हत्या के आरोपों पर अपनी रिपोर्ट हटाने के लिए कहा था। यह जतिंदर कौर तूर द्वारा लिखित रिपोर्ट थी, ‘स्क्रीम्स फ्रॉम द आर्मी पोस्ट’। यह रिपोर्ट 22 दिसंबर 2023 को अज्ञात सैनिकों द्वारा कथित तौर पर तीन नागरिकों की हत्या पर केंद्रित थी।
इन हत्याओं को मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि वे लोग सेना की हिरासत में मार दिए गए थे और उन्हें प्रताड़ित किए जाने के वीडियो भी वायरल हुए थे। सेना ने बस इतना कहा था कि मामले की जांच चल रही है। अपनी रिपोर्ट में कारवां ने मारे गए लोगों के परिवारों से बात की थी। इनमें एक ऐसा मृतक भी था, जिसके परिवार को सेना ने बिना किसी स्पष्टीकरण के 10 लाख रुपये दिए।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जहां तीन लोग मारे गए थे, वहीं बड़ी संख्या में लोगों को सेना ने उठा लिया था और प्रताड़ित किया था। रिपोर्ट में एक ब्रिगेडियर का भी जिक्र था जिसके बारे में कहा गया था कि इस घटना के आदेश उन्होंने ही दिए थे।
द कारवां ने इस मसले पर टिप्पणी के लिए पुलिस, सेना और जिला प्रशासन के कई अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन किसी ने भी सवालों का जवाब नहीं दिया था।

द कारवां की पत्रकार जतिंदर कौर तूर को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला पत्रकार के लिए चमेली देवी जैन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, 1980 में स्थापित चमेली देवी जैन पुरस्कार उन महिला पत्रकारों को सम्मानित करता है जो रिपोर्टिंग में उत्कृष्टता और साहस का प्रदर्शन करती हैं। इस अवॉर्ड का नाम स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक चमेली देवी जैन के नाम पर रखा गया है।
ज्ञात हो कि मीडिया फाउंडेशन द्वारा इस अवसर पर दो नए पत्रकारिता पुरस्कारों की भी शुरुआत की गई। इन दो नए पुरस्कारों में लैंगिक आधार पर पत्रकारिता के लिए कमला मानकेकर पुरस्कार और निर्भीक पत्रकारिता के लिए विश्व नाथ-दिल्ली प्रेस पुरस्कार शामिल हैं। बहनबॉक्स की प्रियंका तुपे को कमला मानकेकर पुरस्कार मिला, जबकि स्क्रॉल के रोकीबुज़ ज़मान को विश्व नाथ दिल्ली प्रेस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा बीबीसी हिंदी की दिव्या आर्य को उनकी दो वीडियो श्रृंखला हम, भारत के मुसलमान और हिंदू धर्म: मेरा मर्म के लिए सम्मानजनक उल्लेख मिला।
बता दें कि जतिंदर कौर तूर को मानवाधिकार उल्लंघन पर उनके खोजी पत्रकारिता के लिए यह अवॉर्ड दिया गया है। जिन रिपोर्टों के लिए कौर को यह अवॉर्ड मिला है वे निम्नलिखित हैं:
द मैन बिहाइंड अमृतपाल सिंग्स इलेक्शन कैंपेन फ्रॉम जेल
द रिलीजियस पैरानोया बिहाइंड पंजाब सैक्रिलेज किलिंग्स
वाई फार्मर्स इन हरियाणा एंड पंजाब डिसएलाउड द बीजेपी एंड अदर्स फ्रम कैंपेनिंग
आर्मी ऑफिसर्स टेस्टीफाई दट टू जनरल ओवरसॉ द टार्चर एंड मर्डर ऑफ सिविलियन्स इंन पूंछ
एंगर अमांग जम्मूस बिजनेस कम्यूनिटी इंपेरिल्स द बीजीपीस इलेक्शन प्रॉस्पेक्ट्स
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में कारवां पत्रिका को जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में भारतीय सेना के खिलाफ अत्याचार और हत्या के आरोपों पर अपनी रिपोर्ट हटाने के लिए कहा था। यह जतिंदर कौर तूर द्वारा लिखित रिपोर्ट थी, ‘स्क्रीम्स फ्रॉम द आर्मी पोस्ट’। यह रिपोर्ट 22 दिसंबर 2023 को अज्ञात सैनिकों द्वारा कथित तौर पर तीन नागरिकों की हत्या पर केंद्रित थी।
इन हत्याओं को मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि वे लोग सेना की हिरासत में मार दिए गए थे और उन्हें प्रताड़ित किए जाने के वीडियो भी वायरल हुए थे। सेना ने बस इतना कहा था कि मामले की जांच चल रही है। अपनी रिपोर्ट में कारवां ने मारे गए लोगों के परिवारों से बात की थी। इनमें एक ऐसा मृतक भी था, जिसके परिवार को सेना ने बिना किसी स्पष्टीकरण के 10 लाख रुपये दिए।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जहां तीन लोग मारे गए थे, वहीं बड़ी संख्या में लोगों को सेना ने उठा लिया था और प्रताड़ित किया था। रिपोर्ट में एक ब्रिगेडियर का भी जिक्र था जिसके बारे में कहा गया था कि इस घटना के आदेश उन्होंने ही दिए थे।
द कारवां ने इस मसले पर टिप्पणी के लिए पुलिस, सेना और जिला प्रशासन के कई अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन किसी ने भी सवालों का जवाब नहीं दिया था।