प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त: केंद्र और राज्य सरकारें आदेश जल्द लागू करें

Written by sabrang india | Published on: October 7, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करने से खुद को रोका और केंद्र तथा राज्य सरकारों को ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने का एक अंतिम अवसर दिया।


फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 4 अक्टूबर को कहा कि भूखे लोग इंतजार नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र प्रवासी श्रमिकों, विशेषकर निर्माण, सफाई आदि जैसे निपुणता रहित कामों में लगे श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने का आदेश दिया है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करने से खुद को रोका और केंद्र तथा राज्य सरकारों को ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने का एक अंतिम अवसर दिया।



न्यूजक्लिक की रिपोर्ट के अनुसार, भोजन का अधिकार अभियान ने ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत प्रवासी और असंगठित श्रमिकों को राशन कार्ड देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "भोजन का अधिकार अभियान ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत प्रवासी/असंगठित श्रमिकों को राशन कार्ड देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है।" यह आदेश प्रवासी मजदूरों की समस्याओं से संबंधित 20 अप्रैल 2023 को पारित किया गया था और इसका उद्देश्य इन श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

वर्तमान में, 28.60 करोड़ प्रवासी और असंगठित श्रमिक ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जिनमें से 20.63 करोड़ राशन कार्ड डेटा पर पंजीकृत हैं। लेकिन राशन कार्ड न होने के कारण कई प्रवासी और असंगठित मजदूर और उनके परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न और अन्य योजनाओं से वंचित हैं।

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) सरकारों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया है।

भोजन के अधिकार अभियान ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे ई-श्रम पर पंजीकृत 8 करोड़ प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करें। अभियान ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सभी प्रवासी और असंगठित श्रमिकों के लिए खाद्य सुरक्षा की भी मांग की है।

यह महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कवरेज को नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अपडेट किया जाना था। हालांकि, 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई है, जिसके चलते 10 करोड़ से अधिक लोग जिन्हें राशन कार्ड मिलना चाहिए था, खाद्य सुरक्षा नेटवर्क से बाहर हो गए हैं।

भोजन के अधिकार अभियान ने इस बात पर जोर दिया है कि ये लोग समाज के सबसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में से हैं और इन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संघर्ष कर रहे लाखों प्रवासी और असंगठित श्रमिकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की परेशानियों के संबंध में स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी और आदेश दिया था कि सरकारें प्रवासी मजदूरों को राशन दें। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में अदालत ने इसका दायरा बढ़ाते हुए उन प्रवासी और असंगठित मजदूरों को भी राशन कार्ड देने का निर्देश दिया जो ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत हैं लेकिन जिनके पास राशन कार्ड नहीं है और जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं।

अदालत ने कहा था कि भोजन का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है और इसके मनमाने हनन के विरुद्ध सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करता है।

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