दो आरोपियों, अमित बड्डी और गणेश मिश्किन को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। हुबली के दाजीबनपेट में तुलजा भवानी मंदिर के पास हत्या के आरोपियों का स्वागत करते हुए एक बैनर लगाया गया, जिसमें उन्हें 'हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए लौट रहे हिंदू शेर' कहा गया।
फोटो साभार : हिंदुस्तान टाइम्स
पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के दो आरोपियों को जमानत पर रिहा किए जाने के बाद हुबली में कुछ लोगों ने उनका स्वागत किया और उन्हें 'हिंदू शेर' बताया।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना रविवार को हुई जब दो आरोपी अमित बड्डी और गणेश मिश्किन जमानत पर रिहा होने के बाद हुबली पहुंचे। कुछ युवाओं ने उनका स्वागत कद्दू तोड़कर किया और उन्हें अपनी गाड़ियों में बैठाकर सिद्धारूढ़ स्वामी मठ ले गए, जहां उनके परिवार के सदस्यों ने पूजा की।
हुबली के दाजीबनपेट में तुलजा भवानी मंदिर के पास हत्या के आरोपियों का स्वागत करते हुए एक बैनर लगाया गया, जिसमें उन्हें 'हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए लौट रहे हिंदू शेर' कहा गया।
हालांकि, जब खबर फैली तो मंदिर के अधिकारियों ने खुद ही अज्ञात व्यक्तियों द्वारा लगाए गए बैनर को हटा दिया। बैनर पर दोनों आरोपियों की तस्वीरें थीं, साथ ही शिवाजी महाराज और सोमवंश सहस्त्रार्जुन महाराज और दो बाघों के चित्र भी थे। सूत्रों ने बताया कि खबर फैलते ही मंदिर में पूजा करने वाले आरोपियों ने अपना दौरा रद्द कर दिया।
बता दें कि अक्टूबर 2024 में गौरी लंकेश की हत्या के दो अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा होने पर उनके गृहनगर विजयपुरा में सम्मानित किया गया।
एक्टिविस्ट-पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गणेश मिश्किन पर परशुराम वाघमोर को गौरी के घर ले जाने का आरोप है, जहां उसने कथित तौर पर उन्हें गोली मार दी थी।
कन्नड़ विश्वविद्यालय, हम्पी के लेखक और पूर्व कुलपति एमएम कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में उनके घर पर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
गौरी की हत्या के लिए जिन चार लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है, उन पर कलबुर्गी की हत्या का भी मुकदमा चलाया जा रहा है। इसमें गौरी की हत्या का कथित मास्टरमाइंड अमोल काले, अमित बड्डी, गणेश मिश्किन और वासुदेव सूर्यवंशी शामिल हैं।
अमित बड्डी ने गौरी की हत्या को लेकर हथियार के लिए कूरियर का काम किया, गणेश मिश्किन वह व्यक्ति था जिसने परशुराम वाघमोर को गौरी के घर पहुंचाया, जहां उसने उन्हें गोली मार दी और वासुदेव सूर्यवंशी ने मोटरसाइकिल चुराई जिसका इस्तेमाल मिश्किन और वाघमोर ने किया था।
द न्यूज मिनट ने पुलिस जांच के हवाले से लिखा, 18 आरोपी एक "संगठित आपराधिक सिंडिकेट" का हिस्सा थे, जो सनातन संस्था के नेता विनोद तावड़े के मार्गदर्शन में 2010 के आसपास आकार लेना शुरू हुआ था। आरोप पत्र में कहा गया, संस्था के एक अन्य नेता शशिकांत राणे (2018 में मृत्यु हो गई) ने भी इस सिंडिकेट का मार्गदर्शन किया था और अमित देगवेकर के जरिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
सभी 18 आरोपी सनातन संस्था या हिंदू जनजागृति समिति के पूर्व या वर्तमान सदस्य हैं और वे 'क्षात्र धर्म साधना' नामक एक पुस्तक से प्रभावित थे, जो समाज के "हिंदू विरोधी" तत्वों को "दुर्जन" (दुष्ट व्यक्ति) के रूप में बताती है और उनके सफाए का आह्वान करती है।
आरोप पत्र में कहा गया, "वे समान विचारधारा वाले लोग हैं जो हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना चाहते हैं, और इसे आतंक के माध्यम से प्राप्त करने के लिए... वे कानून का उल्लंघन करते हुए इकट्ठा हुए हैं और एक गुप्त व बेनाम संगठित अपराध सिंडिकेट स्थापित किया है।"
फोटो साभार : हिंदुस्तान टाइम्स
पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के दो आरोपियों को जमानत पर रिहा किए जाने के बाद हुबली में कुछ लोगों ने उनका स्वागत किया और उन्हें 'हिंदू शेर' बताया।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना रविवार को हुई जब दो आरोपी अमित बड्डी और गणेश मिश्किन जमानत पर रिहा होने के बाद हुबली पहुंचे। कुछ युवाओं ने उनका स्वागत कद्दू तोड़कर किया और उन्हें अपनी गाड़ियों में बैठाकर सिद्धारूढ़ स्वामी मठ ले गए, जहां उनके परिवार के सदस्यों ने पूजा की।
हुबली के दाजीबनपेट में तुलजा भवानी मंदिर के पास हत्या के आरोपियों का स्वागत करते हुए एक बैनर लगाया गया, जिसमें उन्हें 'हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए लौट रहे हिंदू शेर' कहा गया।
हालांकि, जब खबर फैली तो मंदिर के अधिकारियों ने खुद ही अज्ञात व्यक्तियों द्वारा लगाए गए बैनर को हटा दिया। बैनर पर दोनों आरोपियों की तस्वीरें थीं, साथ ही शिवाजी महाराज और सोमवंश सहस्त्रार्जुन महाराज और दो बाघों के चित्र भी थे। सूत्रों ने बताया कि खबर फैलते ही मंदिर में पूजा करने वाले आरोपियों ने अपना दौरा रद्द कर दिया।
बता दें कि अक्टूबर 2024 में गौरी लंकेश की हत्या के दो अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा होने पर उनके गृहनगर विजयपुरा में सम्मानित किया गया।
एक्टिविस्ट-पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गणेश मिश्किन पर परशुराम वाघमोर को गौरी के घर ले जाने का आरोप है, जहां उसने कथित तौर पर उन्हें गोली मार दी थी।
कन्नड़ विश्वविद्यालय, हम्पी के लेखक और पूर्व कुलपति एमएम कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में उनके घर पर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
गौरी की हत्या के लिए जिन चार लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है, उन पर कलबुर्गी की हत्या का भी मुकदमा चलाया जा रहा है। इसमें गौरी की हत्या का कथित मास्टरमाइंड अमोल काले, अमित बड्डी, गणेश मिश्किन और वासुदेव सूर्यवंशी शामिल हैं।
अमित बड्डी ने गौरी की हत्या को लेकर हथियार के लिए कूरियर का काम किया, गणेश मिश्किन वह व्यक्ति था जिसने परशुराम वाघमोर को गौरी के घर पहुंचाया, जहां उसने उन्हें गोली मार दी और वासुदेव सूर्यवंशी ने मोटरसाइकिल चुराई जिसका इस्तेमाल मिश्किन और वाघमोर ने किया था।
द न्यूज मिनट ने पुलिस जांच के हवाले से लिखा, 18 आरोपी एक "संगठित आपराधिक सिंडिकेट" का हिस्सा थे, जो सनातन संस्था के नेता विनोद तावड़े के मार्गदर्शन में 2010 के आसपास आकार लेना शुरू हुआ था। आरोप पत्र में कहा गया, संस्था के एक अन्य नेता शशिकांत राणे (2018 में मृत्यु हो गई) ने भी इस सिंडिकेट का मार्गदर्शन किया था और अमित देगवेकर के जरिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
सभी 18 आरोपी सनातन संस्था या हिंदू जनजागृति समिति के पूर्व या वर्तमान सदस्य हैं और वे 'क्षात्र धर्म साधना' नामक एक पुस्तक से प्रभावित थे, जो समाज के "हिंदू विरोधी" तत्वों को "दुर्जन" (दुष्ट व्यक्ति) के रूप में बताती है और उनके सफाए का आह्वान करती है।
आरोप पत्र में कहा गया, "वे समान विचारधारा वाले लोग हैं जो हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना चाहते हैं, और इसे आतंक के माध्यम से प्राप्त करने के लिए... वे कानून का उल्लंघन करते हुए इकट्ठा हुए हैं और एक गुप्त व बेनाम संगठित अपराध सिंडिकेट स्थापित किया है।"