एक लाख योद्धा तैयार करने की व्यास संघ की चेतावनी क्या संविधान को चुनौती देने जैसा है?

Written by sabrang india | Published on: September 23, 2024
रविवार को हुए इस अधिवेशन में यह तय किया गया कि सनातन धर्म के खिलाफ अभियान चलाने वाले लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा। इसमें यह कहा गया कि पथराव की घटनाओं से निपटने के लिए एक लाख धर्मयोद्धा तैयार किए जाएंगे।


फोटो साभार : दैनिक भास्कर

अखिल भारतीय व्यास संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश भर के कथावाचक, धर्माचार्य और संत शामिल हुए। रविवार को हुए इस अधिवेशन में यह तय किया गया कि सनातन धर्म के खिलाफ अभियान चलाने वाले लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा। इसमें यह कहा गया कि पथराव की घटनाओं से निपटने के लिए एक लाख धर्मयोद्धा तैयार किए जाएंगे। वहीं, यदि सरकार पथराव की घटनाओं पर रोक नहीं लगाती, तो सड़क पर उतरने की बात कही गई। इस अधिवेशन में शामिल संतों और धर्माचार्यों ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान पर निंदा प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मठाधीश को माफिया कहा गया था।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धपीठ पातालपुरी मठ नरहरपुरा में रविवार को व्यास संघ का अधिवेशन हुआ। इसमें हिंदुओं के खिलाफ अघोषित लड़ाई (जैसे पथराव, थूक मसाज, यूरिन जूस, और धर्म परिवर्तन के लिए शादी) पर चिंता जताई गई। अध्यक्षता कर रहे महंत बालक दास महाराज ने कहा कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन यह धर्म के अपमान और हिंदुओं की बर्बादी की कीमत पर नहीं हो सकता।

कुछ मठाधीशों को माफिया बताया जा रहा है, जबकि अन्य देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं। कुछ वक्फ बोर्ड के नाम पर मंदिरों को हड़पने की साजिश रच रहे हैं। मस्जिदों से पत्थर फेंक कर हमें डराया जा रहा है। सरकार बताए कि हमें कब तक चुप रहना है? जल्द ही संत समाज कोई बड़ा निर्णय लेने के लिए बाध्य होगा। हम अपने आराध्य और अपनी संस्कृति को अपमानित होते हुए नहीं देख सकते।

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय अधिवेशन में वक्ताओं ने यह सवाल उठाया कि जब हिंदू उनके जुलूसों पर पथराव नहीं करते, तो वे हिंदुओं की धार्मिक यात्राओं पर पथराव करके किसे चुनौती दे रहे हैं? उन्होंने सरकार से अपील की कि इसे तुरंत रोका जाए, वरना संतों के नेतृत्व में लाखों लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। अधिवेशन में महंत श्रवण दास, महंत राघव दास, पं. दिनेश त्रिपाठी, पं. शिवानंद मिश्र, पं. अच्युदानंद पाठक, पं. गंगासागर पांडेय, पं. सुरेश मिश्र, और पं. राघवेंद्र पांडेय समेत देश भर के संत, महंत, कथावाचक और धर्माचार्य उपस्थित रहे।


निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया
  1. जिस मस्जिद या घर से हिंदुओं की धार्मिक यात्राओं पर पत्थर फेंके गए, उस पर तत्काल बुलडोजर चलाया जाए।
  2. मठाधीश को खुलेआम माफिया कहने वाले के खिलाफ सरकार कार्रवाई करे।
  3. वक्फ बोर्ड द्वारा हड़पी गई जमीन मुक्त कराई जाए।
  4. धर्मांतरण कराने वालों की संपत्ति जब्त की जाए।
  5. मंदिरों में स्थानीय धर्माचार्यों, पीठाधीश्वरों को संचालन समिति में रखा जाए।
  6. हिंदू धर्मस्थलों में पवित्रता का सिद्धांत लागू किया जाए। मांसाहारी को मंदिर परिसर में किसी कीमत पर न जाने दिया जाए।
  7. हिंदू देवी देवताओं पर टिप्पणी करने और किसी तरह की फिल्म बनाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। सनातन धर्म का मजाक उड़ाने वालों के विरुद्ध कड़े कानून बनाए जाएं।
  8. व्यास संघ के सदस्य दलित बस्तियों के उद्धार के लिए रामकथा का आयोजन करेंगे और दलित समाज के उत्थान हेतु कार्य करेंगे ।
  9. सनातन के विरोधियों का खुलकर विरोध किया जाएगा और लाखों हिंदुओं को जागरूक किया जाएगा।
  10. सनातन धर्म और संस्कृति के अपमान करने वालों को बहिष्कार किया जाएगा ।
  11. बांग्लादेशी हिंदुओं की जान और सम्मान की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र लिखेंगे।
  12. सरकार वेदपाठी बटुकों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू करे ताकि वेद को घर घर तक पहुंचाया जा सके।
  13. हिंदू मंदिरों को वापस न देना पड़े, इसके लिए वर्शिप एक्ट बनाया गया है। इसको पूरी तरह खत्म किया जाए।
  14. व्यासपीठ पर बैठकर जो मर्यादा तार-तार करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
  15. जिन मंदिरों को आक्रांताओं ने तोड़ा है, उसकी फिर से प्राण प्रतिष्ठा कराई जाए ।
  16. सांस्कृतिक पहचान को पुनः कायम करने की दिशा में व्यास संघ लोगों को जागरूक करेगा।
किसी एक धार्मिक समुदाय द्वारा दूसरे धर्म के धार्मिक जुलूसों या धर्म से जुड़े कार्यक्रमों को निशाना बनाना या उन पर पथराव करना प्राकृतिक न्याय या संविधान के खिलाफ है। ऐसा करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस प्रस्ताव में देश में किसी भी आरोपी की संपत्ति को बुलडोजर कार्रवाई में रातों-रात जमींदोज करने की मांग की गई है, लेकिन इसके लिए अभी कोई कानून नहीं है। फिर भी, कई राज्यों में आरोपियों की संपत्तियां ढहाई गई हैं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कथित बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी है।

दैनिक भास्कर की पड़ताल में पाया गया कि पिछले 7 साल में 7 राज्यों में 1,935 आरोपियों की संपत्तियों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। इसमें 1,535 कार्रवाई केवल उत्तर प्रदेश में हुईं। बुलडोजर कार्रवाई में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे पर हरियाणा है।

यूपी में 2017 से बुलडोजर कार्रवाई

उत्तर प्रदेश में साल 2017 में बुलडोजर कार्रवाई की शुरुआत 13 बाहुबली हिस्ट्रीशीटरों के मकानों को ढहाकर की गई थी। 2020 में बिकरू कांड में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे की 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। सभी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को कार्रवाई का कारण बताया गया।

माफिया मुख्तार अंसारी की 300 करोड़ की संपत्तियों को भी बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। गैंगरेप के मामले में जब समाजवादी पार्टी के नेता मोइन खान गिरफ्तार हुए, तो अयोध्या में उनके शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की 40 दुकानों को बुलडोजर से ढहाया गया। कन्नौज गैंगरेप के आरोपी पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव के कोल्ड स्टोरेज को भी ढहाया गया।

एमपी में सबसे ज्यादा कार्रवाई मुस्लिम आरोपियों पर

मध्य प्रदेश में पिछले ढाई साल में 259 आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई हुई है। इनमें 160 आरोपी मुस्लिम थे और 99 हिंदू। यह जानकारी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक सुनवाई के दौरान दी गई।

बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि बिना हमारी अनुमति एक्शन न लें। इस मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि यह निर्देश अवैध निर्माण पर लागू नहीं होगा। साथ ही, सभी पक्षों को सुनकर जल्द दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद चला बुलडोजर

टीवी9 भारतवर्ष के अनुसार, राजस्थान के राजसमंद, नाथद्वारा नगर की एक बस्ती में 17 सितंबर को एक मकान पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने इस मकान को बनाने में करीब 25 लाख रुपये खर्च किए थे, जो उन्होंने कर्ज लेकर जुटाए थे। इस घटना का कांग्रेसी नेताओं ने भी विरोध किया। राजसमंद के पूर्व जिलाध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर ने कहा कि पालिका ने सिर्फ एक नोटिस देकर साजिश रचकर आधी रात को पूरा मकान तोड़ दिया, जो न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है।

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