परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा और उसके चेहरे और पेट पर राइफल से वार किया।
बिहार के किशनगंज में सोमवार को 30 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति हसीबुल हक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा और उसके चेहरे और पेट पर राइफल से वार किया। हेट डिटेक्टर ने इस मामले को प्रकाशित किया है।
इस घटना को लेकर बिहार कांग्रेस सेवा दल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीड़ित परिवार का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, बिहार का डबल इंजन पूरी तरह फुल गियर में है। 30 वर्षीय हसीबुल हक की हिरासत में पुलिस की लाठी और राइफलों से पीटाई के बाद मौत हो गई। मानवाधिकारों को ‘विकास, शासन’ के लिए पीछे रखना चाहिए, है न? अब समय है वास्तविक जांच का, न कि सिर्फ एक और लीपापोती का।
ज्ञात हो कि पुलिस हिरासत में मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल जुलाई महीने में बिहार के गया जिले में चोरी के प्रयास के संदेह में भीड़ द्वारा पीटे गए 24 वर्षीय व्यक्ति की अगले दिन पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
गया शहर की पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रेरणा कुमार ने कहा था कि मृतक मोहम्मद शहजाद को 6 जुलाई को बांके गली इलाके से कोतवाली पुलिस ने इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि उसे शुक्रवार आधी रात के बाद 4-5 लोगों ने चोरी करते हुए पकड़ा था।
इस समूह ने कथित तौर पर उसे पुलिस को सौंपने से पहले उसकी पिटाई की थी। पुलिस ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए शहजाद के खिलाफ प्रवीण खातून ने चोरी और घर में सेंधमारी का मामला दर्ज कराया था।
शहजाद के पिता मोहम्मद इलियास ने अपने बेटे को पकड़ने और पीटने वाले लोगों को उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने उसे समय पर इलाज की सुविधा देने में लापरवाही बरती। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके बेटे को चोरी के मामले में झूठा फंसाया गया। उन्होंने बताया था कि शहजाद शुक्रवार आधी रात को अपनी दादी के घर जा रहा था, तभी चार-पांच लोगों ने उसे पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा।
बता दें कि इसी साल बिहार के समस्तीपुर जिले में 30 साल से फरार चल रहे हत्या के एक 55 वर्षीय आरोपी की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद मौत हो गई थी। उसके परिवार ने आरोप लगाया था कि पुलिस हिरासत में उसे प्रताड़ित किया गया।
पुलिस ने आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि कृष्ण भगवान झा उर्फ टुन्ना झा की हालत गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई।
यह आरोप लगाते हुए कि झा को पुलिस हिरासत में पीटा गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई, उसके परिजन और स्थानीय लोगों ने जिला अस्पताल के पास विरोध प्रदर्शन किया था और दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
बिहार के किशनगंज में सोमवार को 30 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति हसीबुल हक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा और उसके चेहरे और पेट पर राइफल से वार किया। हेट डिटेक्टर ने इस मामले को प्रकाशित किया है।
इस घटना को लेकर बिहार कांग्रेस सेवा दल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीड़ित परिवार का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, बिहार का डबल इंजन पूरी तरह फुल गियर में है। 30 वर्षीय हसीबुल हक की हिरासत में पुलिस की लाठी और राइफलों से पीटाई के बाद मौत हो गई। मानवाधिकारों को ‘विकास, शासन’ के लिए पीछे रखना चाहिए, है न? अब समय है वास्तविक जांच का, न कि सिर्फ एक और लीपापोती का।
ज्ञात हो कि पुलिस हिरासत में मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल जुलाई महीने में बिहार के गया जिले में चोरी के प्रयास के संदेह में भीड़ द्वारा पीटे गए 24 वर्षीय व्यक्ति की अगले दिन पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
गया शहर की पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रेरणा कुमार ने कहा था कि मृतक मोहम्मद शहजाद को 6 जुलाई को बांके गली इलाके से कोतवाली पुलिस ने इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि उसे शुक्रवार आधी रात के बाद 4-5 लोगों ने चोरी करते हुए पकड़ा था।
इस समूह ने कथित तौर पर उसे पुलिस को सौंपने से पहले उसकी पिटाई की थी। पुलिस ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए शहजाद के खिलाफ प्रवीण खातून ने चोरी और घर में सेंधमारी का मामला दर्ज कराया था।
शहजाद के पिता मोहम्मद इलियास ने अपने बेटे को पकड़ने और पीटने वाले लोगों को उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने उसे समय पर इलाज की सुविधा देने में लापरवाही बरती। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके बेटे को चोरी के मामले में झूठा फंसाया गया। उन्होंने बताया था कि शहजाद शुक्रवार आधी रात को अपनी दादी के घर जा रहा था, तभी चार-पांच लोगों ने उसे पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा।
बता दें कि इसी साल बिहार के समस्तीपुर जिले में 30 साल से फरार चल रहे हत्या के एक 55 वर्षीय आरोपी की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद मौत हो गई थी। उसके परिवार ने आरोप लगाया था कि पुलिस हिरासत में उसे प्रताड़ित किया गया।
पुलिस ने आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि कृष्ण भगवान झा उर्फ टुन्ना झा की हालत गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई।
यह आरोप लगाते हुए कि झा को पुलिस हिरासत में पीटा गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई, उसके परिजन और स्थानीय लोगों ने जिला अस्पताल के पास विरोध प्रदर्शन किया था और दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।