उत्तर प्रदेश के बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। बीजेपी विधायक का मानना है कि जहां मुस्लिम और ईसाई ज्यादा होते हैं वहां भारत की संस्कृति दुर्बल है।
बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि देश सबल वहीं पर है जहां पर हिंदूवादी सोच के लोग ज्यादा है, जहां भी मुस्लिम/ईसाई सोच के लोग अधिक हैं, वहां पर भारत के सिद्धांत और भारत की संस्कृति दुर्बल है। भारत और भारतीयता पर विश्वास करने वाले कम हैं।
यही नहीं सुरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भगवान का अवतार बता डाला। उन्होंने आगे कहा कि इसकी दवा मोदी जी और योगी जी अवतार के रूप में भगवान ने भेज दिया है। मैं तो कह रहा हूं बार-बार, मान लीजिए देश के काया-कल्प के लिए, हिंदुस्तान को हिंदुत्व विचारधारा से रंगीन बनाए रखने के लिए,भगवान ने योगी जी और मोदी जी को भेज दिया है।'
बीजेपी विधायक का यह पहला मामला नहीं है जब बयानों से चर्चा में आए हों। विवादित बयानों की उनकी लंबी श्रृंखला है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुस्लिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि‘आपको पता है मुस्लिम धर्म में लोग 50 पत्नियां रख सकते हैं और 1,050 बच्चे पैदा कर सकते हैं। यह कोई परंपरा नहीं है यह पशुवादी प्रवृत्ति है।’
बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि देश सबल वहीं पर है जहां पर हिंदूवादी सोच के लोग ज्यादा है, जहां भी मुस्लिम/ईसाई सोच के लोग अधिक हैं, वहां पर भारत के सिद्धांत और भारत की संस्कृति दुर्बल है। भारत और भारतीयता पर विश्वास करने वाले कम हैं।
यही नहीं सुरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भगवान का अवतार बता डाला। उन्होंने आगे कहा कि इसकी दवा मोदी जी और योगी जी अवतार के रूप में भगवान ने भेज दिया है। मैं तो कह रहा हूं बार-बार, मान लीजिए देश के काया-कल्प के लिए, हिंदुस्तान को हिंदुत्व विचारधारा से रंगीन बनाए रखने के लिए,भगवान ने योगी जी और मोदी जी को भेज दिया है।'
बीजेपी विधायक का यह पहला मामला नहीं है जब बयानों से चर्चा में आए हों। विवादित बयानों की उनकी लंबी श्रृंखला है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुस्लिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि‘आपको पता है मुस्लिम धर्म में लोग 50 पत्नियां रख सकते हैं और 1,050 बच्चे पैदा कर सकते हैं। यह कोई परंपरा नहीं है यह पशुवादी प्रवृत्ति है।’