कर्ज के बोझ के चलते 24 घंटे में तीन किसानों ने आत्महत्या कर ली। दो किसानों ने मंगलवार को होशंगाबाद और विदिशा में जबकि सीहोर में सोमवार को एक किसान ने आत्महत्या की। जहां सीहोर और होशंगाबाद में किसानों की आत्महत्या का कारण कर्ज बताया जा रहा है वहीं जबकि विदिशा में पटवारी द्वारा गलत सीमांकन करने के कारण किसान ने अपनी जान दे दी।

Image Courtesy: DNA
बताया जाता है कि जिस सोसायटी का कर्ज दो दिनों पहले चुकाया उसी के पास किसान ने मौत को गले लगा लिया। होशंगाबाद जिले के भैरोपुर गांव के रहने वाले माखनलाल लौवंशी ने मंगलवार की सुबह सोसाइटी के नजदीक आम के पेड़ पर फंदा डालकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। लौवंशी कर्ज के चलते जमीन बिकने से परेशान था। किसान के एक रिश्तेदार के मुताबिक कर्ज के बोझ के कारण उन्होंने आत्महत्या की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवपुर थाना प्रभारी मोहनिस बैस के अनुसार कर्ज चुकाने के लिए जमीन बिकने से लौवंशी परेशान था और उसने डिप्रेशन में यह कदम उठाया है।
किसान ने बैंक और सोसाइटी का करीब पांच लाख रुपए कर्ज हाल ही में जमीन बेचकर अदा किया था। इसके बावजूद उस पर लोगों का कर्ज बचा था। रिपोर्ट के मुताबिक लौवंशी ने दो दिन पहले ही बताया था कि कर्ज चुकाने के लिए जमीन बेचने को परेशान हूं। उसे जमीन इसलिए बेचनी पड़ी क्योंकि उसकी फसल पिछले कुछ सालों से अच्छी नहीं हो रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक पिछले कुछ साल में लौवंशी ने कर्ज चुकाने के लिए अपनी 10 एकड़ जमीन बेच दी। उसके पास अब सिर्फ पांच एकड़ जमीन ही बची है। लोगों के मुताबिक बैंक और सोसाइटी के अलावा अन्य लोगों का भी उन पर कर्ज था।
उधर विदिशा जिले के जीरापुर गांव में किसान हरिसिंह जाटव ने खेती की जमीन के सीमांकन में गड़बड़ी के चलते परेशान होकर सोमवार की रात को जहर खा ली। परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन मंगलवार की दोपहर को उसकी इलाज के दौरान भोपाल में मौत हो गई।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि पटवारियों ने मिलीभगत करके जमीन कम कर दी थी। जिससे हरिसिंह के हिस्से में कम जमीन बची थी। इसी के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।
मृतक हरिसिंह के भाई हरगोविंद ने बताया कि उनके और चाचा के परिवार के बीच संयुक्त खाते की जमीन थी। दो दिन पहले ही दो पटवारियों ने जमीन का सीमांकन कराया था। पटवारियों ने दूसरे पक्ष से मिलीभगत कर कुछ जमीन हरिसिंह के कब्जे में बता दिया। जिसके चलते चाचा पक्ष ने हरिसिंह की जमीन पर कब्जा कर लिया। सोमवार को खेत से लौटने के बाद हरिसिंह ने रात के समय जहर खा ली। परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे भोपाल भेजा गया लेकिन मंगलवार की दोपहर को हरिसिंह ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि पटवारियों की गड़बड़ियों के कारण ही हरिसिंह की मौत हुई है। उधर शमशाबाद के तहसीलदार इसरार खान के मुताबिक हरिसिंह और उसके चाचा जिट्टूलाल के बीच संयुक्त खाते के रूप में 1.700 हेक्टेयर जमीन थी। बंटवारा के लिए दोनों पक्षों ने आवेदन दिया था। इसी आवेदन के तहत 11 जून को पटवारी अभिषेक दीक्षित एवं अरविंद साहू ने जमीन का सीमांकन किया था। सीमांकन से हरिसिंह संतुष्ट नहीं था।
उधर सीहोर जिले के ग्राम जंजना के रहने वाले किसान दुलीचंद कीर की सोमवार को संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। परिजन के अनुसार कर्ज कारण दुलीचंद ने आत्महत्या कर ली। किसान पर पांच लाख का कर्ज था। मामले में पुलिस का कहना है कि फिलहाल मौत संदिग्ध है। इस बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार शरीर में न तो कोई जहरीला पदार्थ मिला और न ही शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान थे। परिजनों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से फसल अच्छी नहीं हो रही थी जिसके चलते काफी कर्ज हो गया था।

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बताया जाता है कि जिस सोसायटी का कर्ज दो दिनों पहले चुकाया उसी के पास किसान ने मौत को गले लगा लिया। होशंगाबाद जिले के भैरोपुर गांव के रहने वाले माखनलाल लौवंशी ने मंगलवार की सुबह सोसाइटी के नजदीक आम के पेड़ पर फंदा डालकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। लौवंशी कर्ज के चलते जमीन बिकने से परेशान था। किसान के एक रिश्तेदार के मुताबिक कर्ज के बोझ के कारण उन्होंने आत्महत्या की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवपुर थाना प्रभारी मोहनिस बैस के अनुसार कर्ज चुकाने के लिए जमीन बिकने से लौवंशी परेशान था और उसने डिप्रेशन में यह कदम उठाया है।
किसान ने बैंक और सोसाइटी का करीब पांच लाख रुपए कर्ज हाल ही में जमीन बेचकर अदा किया था। इसके बावजूद उस पर लोगों का कर्ज बचा था। रिपोर्ट के मुताबिक लौवंशी ने दो दिन पहले ही बताया था कि कर्ज चुकाने के लिए जमीन बेचने को परेशान हूं। उसे जमीन इसलिए बेचनी पड़ी क्योंकि उसकी फसल पिछले कुछ सालों से अच्छी नहीं हो रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक पिछले कुछ साल में लौवंशी ने कर्ज चुकाने के लिए अपनी 10 एकड़ जमीन बेच दी। उसके पास अब सिर्फ पांच एकड़ जमीन ही बची है। लोगों के मुताबिक बैंक और सोसाइटी के अलावा अन्य लोगों का भी उन पर कर्ज था।
उधर विदिशा जिले के जीरापुर गांव में किसान हरिसिंह जाटव ने खेती की जमीन के सीमांकन में गड़बड़ी के चलते परेशान होकर सोमवार की रात को जहर खा ली। परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन मंगलवार की दोपहर को उसकी इलाज के दौरान भोपाल में मौत हो गई।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि पटवारियों ने मिलीभगत करके जमीन कम कर दी थी। जिससे हरिसिंह के हिस्से में कम जमीन बची थी। इसी के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।
मृतक हरिसिंह के भाई हरगोविंद ने बताया कि उनके और चाचा के परिवार के बीच संयुक्त खाते की जमीन थी। दो दिन पहले ही दो पटवारियों ने जमीन का सीमांकन कराया था। पटवारियों ने दूसरे पक्ष से मिलीभगत कर कुछ जमीन हरिसिंह के कब्जे में बता दिया। जिसके चलते चाचा पक्ष ने हरिसिंह की जमीन पर कब्जा कर लिया। सोमवार को खेत से लौटने के बाद हरिसिंह ने रात के समय जहर खा ली। परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे भोपाल भेजा गया लेकिन मंगलवार की दोपहर को हरिसिंह ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि पटवारियों की गड़बड़ियों के कारण ही हरिसिंह की मौत हुई है। उधर शमशाबाद के तहसीलदार इसरार खान के मुताबिक हरिसिंह और उसके चाचा जिट्टूलाल के बीच संयुक्त खाते के रूप में 1.700 हेक्टेयर जमीन थी। बंटवारा के लिए दोनों पक्षों ने आवेदन दिया था। इसी आवेदन के तहत 11 जून को पटवारी अभिषेक दीक्षित एवं अरविंद साहू ने जमीन का सीमांकन किया था। सीमांकन से हरिसिंह संतुष्ट नहीं था।
उधर सीहोर जिले के ग्राम जंजना के रहने वाले किसान दुलीचंद कीर की सोमवार को संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। परिजन के अनुसार कर्ज कारण दुलीचंद ने आत्महत्या कर ली। किसान पर पांच लाख का कर्ज था। मामले में पुलिस का कहना है कि फिलहाल मौत संदिग्ध है। इस बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार शरीर में न तो कोई जहरीला पदार्थ मिला और न ही शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान थे। परिजनों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से फसल अच्छी नहीं हो रही थी जिसके चलते काफी कर्ज हो गया था।