तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ फिर मीडिया ट्रायल - बदला लेने के लिए चलाई जा रही नफरत की आंधी

Written by Teesta Setalvad | Published on: January 25, 2017

खुद को आजाद पत्रकारिता का दावा करने वाले एक इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल की ओर जो जहर फैलाया जा रहा है, यह उसका जवाब है। खासकर टाइम्स नाऊ (Times Now) की ओर से सोमवार की रात न्यूज आवर में जो झूठ फैलाया गया, उसका यहां जवाब दिया जा रहा है।



 
सबरंग ट्रस्ट के सभी लोग खास कर मैं निजी तौर पर उन जहरीले आरोपों के जाल का जोरदार खंडन करती हूं, जो हम सब या मेरे इर्द-गिर्द बुना जा रहा है। मेरे ऊपर सत्ता के ऊपरी स्तर की ओर से जो आरोप झोंके जा रहे हैं मैं उनका भी जोरदार खंडन करती हूं। पत्रकार और चैनल जिस तरह से सत्ताधारी लोगों के हाथ कठपुतली बन कर नाच रहे हैं, उस देख कर भी हमें तरस आता है।

 वर्ष 1990 से खोज प्रोजेक्ट के तहत जो काम चल रहा है उसका संबंध भारतीय संविधान के दृष्टिकोण से जुड़े अहम मुद्दों से है। स्कूली पाठ्यक्रमों और टीचर ट्रेनिंग मैनुअल के जरिये संविधान के इन दृष्टिकोण का प्रसार ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। यह काम मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 2010-2014 के बीच जारी किए गए अनुदान के जरिये संभव हुआ है। यह काम प्रख्यात इतिहासकारों से मिलकर की जा रही ‘खोज’ की कोशिश का ही विस्तार है।

हमारे इस काम को नफरत फैलाने वाला करार देना सचमुच दयनीय है। खास कर वैसे दौर में जब सरकार, कैबिनेट और पार्लियामेंट के सदस्य देश के लोगों के बांटने के लिए नफरत भरे भाषणों और लेखन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हों। 2014 के बाद ऐसा करने वाले लोग सरकार और संसद में अहम जगहों पर बैठे हुए हैं।

सबरंग ट्रस्ट / तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ लगाए गए आरोपों के जवाब देने की जिस तरह से की मांग की जा रही है, उसे लेकर हमारी बेहद गंभीर चिंताएं हैं। ये आरोप केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक पैनल की ओर से तैयार एक रिपोर्ट के आधार पर लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट (बारी कमेटी रिपोर्ट) को हमने अभी देखा भी नहीं है।

हम मीडिया के एक वर्ग की ओर से अपनाए जा रहे पत्रकारीय आचारसंहिता पर सवाल उठा रहे हैं। मीडिया का यह वर्ग इस कथित रिपोर्ट के आधार पर लगाए गए आरोपों का जवाब तो हमसे चाहता है लेकिन यह हमारे साथ पूरी रिपोर्ट साझा करने के भी तैयार नहीं है।
  

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And listen (audio): The Navika Kumar, Timesnow (Times of India) reporter & Nira Radia Tape below::

अक्टूबर, 2016 में एक और न्यूज चैनल, न्यूज एक्स भी हमारे खिलाफ ऐसे ही आरोप लेकर मैदान में कूद पड़ा था। उस दौरान न्यूज एक्स ने भी टाइम्स नाऊ की तरह ही आरोप लगाने शुरू किए थे। दोनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों के पास यह रिपोर्ट है। लेकिन विडंबना देखिये कि  पब्लिक डोमेन से यह नदारद है।

लगातार और धमकाने वाली मीडिया रिपोर्टों से ऐसा लगता है कि मेरे खिलाफ एक और झूठी आपराधिक शिकायत चस्पा करने का माहौल तैयार किया जा रहा है। इस बार यह सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के इशारे पर हो रहा है। मीडिया के इन हमलों के बाद मैंने (तीस्ता सीतलवाड़) ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को चिट्ठी ( इस चिट्ठी की स्कैन कॉपी यहां संलग्न है) लिखी है। अफसोस कि जिन अखबारों ने मेरे खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने की संभावना जताते हुए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट छापी थी, उन्होंने भी बारी कमेटी की रिपोर्ट की मांग करती हुई हमारी चिट्ठी को छापने की जरूरत नहीं समझी ( अखबारों के लिंक यहां मौजूद हैं)।


 
In October 2016 another news channel, NewsX indulged in a similar exercise, today it is Times Now. Both electronic channels had copies of the report which ironically is not available in the public domain.
 
Following intermittent and threatening media reports of the possibility of yet another false criminal complaint against me, this time instigated by senior echelons of the government, I, Teesta Setalvad had written to the Minister for Human Resources Development (MHRD) Mr Prakash Javdekar, on the issue (attached here is a scanned copy of the letter). Unfortunately even the newspapers that had carried ‘exclusives’ about the possibility of a criminal complaint did not see it fit to carry our request to the minister for a copy of the said report (see links of newspapers)
 

Email to Minister MHRD:
 ---------- Forwarded message ----------
From: Teesta Setalvad<teestateesta@gmail.com>
Date: Wed, Dec 28, 2016 at 12:28 PM
Subject: Communication (28.12.2016) to Hon Minister Prakash Javdekar from Teesta Setalvad
To: minister.hrd@gov.in

Dear Sir,
Good Morning. Attached is a letter for Hon MHRD Minister, Mr Prakash Javdekar which I would request is placed before him at the earliest.
The letter (scanned and attached) has been dispatched in the original by registered post and also faxed to the Ministry.

Yours Sincerely,
Teesta Setalvad
Activist, Journalist & Educationist

फर्जी आरोपों के जवाब

हम पर जो फर्जी और झूठे आरोप हैं, उनके जवाब यहां पेश हैं -

- सबरंग ट्रस्ट की ओर से जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में अनुदान के लिए आवेदन किया गया था तो उसे ट्रस्ट की एक डीड की एक कॉपी सौंपी गई थी। सबरंग ट्रस्ट के ट्रस्टी लगातार अपने इस विचार पर कायम रहे हैं कि इसके लक्ष्य और उद्देश्यों में शैक्षणिक गतिविधियां शामिल हैं, लिहाजा यह अनुदान के लिए आवेदन करने की योग्यता रखता है।
  • अनुदान जारी किए जाने से पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक मूल्यांकन टीम ने खोज प्रोजेक्ट का मूल्यांकन किया। इस टीम में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग के एक-एक अधिकारी शामिल थे। जिस दौरान खोज को अनुदान जारी था, उस दौरान यानी जनवरी, 2012 में ऐसी  ही एक संयुक्त मूल्यांकन टीम (जेईटी) ने इसका मध्यावधि मूल्यांकन किया था। जेईटी ने अन्य टिप्पणी के अलावा जो अहम टिप्पणी दर्ज की उसके मुताबिक – खोज प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे कार्य और अपनाई जा रही गतिविधियां निश्चित तौर पर तारीफ के लायक हैं। इनका काम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस परियोजना के तहत धर्मनिरपेक्षता और शांति की शिक्षा के प्रसार (जो बेहद जरूरी है) की जैसी कोशिश हो रही है वैसी पहल मुख्यधारा के स्कूलों में शायद ही हो रही हो। मुख्यधारा के स्कूलों में दी जा रही शिक्षा में धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों और उद्देश्यों को बढ़ावा देने का काम दुर्लभ दिख रहा है। खोज के शिक्षकों ने इन मूल्यों और उद्देश्यों की सीख देने के दौरान जो अनुभव जेईटी के साथ साझा कि उनसे शहरों के गरीब इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए इसकी अहमियत का पता चलता है। ट्रेनिंग के दौरान के कुछ उदाहरणों से इनके महत्व का पता चलता है। 
  • यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि बहुलतावादी भारत को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई खोज परियोजना को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ‘स्कीम्स ऑफ असिसस्टेंस फॉर इनोवेटिव एंड एक्सपेरिमेंटल एजुकेशनल प्रोग्राम्स’ के तहत अनुदान दिया था। यह अनुदान सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्वैच्छिक संगठनों को दिए जाने  वाले फंड के तहत आता है। 
  • कहा जा रहा है कि अनुदान एनसीईआरटी के विरोध में जारी किया गया। हम इस बारे में हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एनसीईआरटी के बीच अगर कोई संवाद हुआ हो तो हमें इसकी जानकारी नहीं है।
  • यह आरोप लगाया जा रहा है कि तीस्ता के ट्रस्ट की ओर से प्रकाशित की गई ट्रेनिंग और अध्ययन सामग्री आपत्तिजनक है। यह नफरत फैलाती है और सामाजिक एकता और शांति के लिहाज से जहर फैलाने वाली है। लेकिन हम इस आरोप का पुरजोर खंडन करते हैं। हमने ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित नहीं की है जिससे समाज में नफरत फैले या जिससे माहौल जहरीला हो। 
  • इन सवालों के मद्देनजर तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए और 153 बी, के तहत जो प्रथम दृष्टया आरोप लगाए गए हैं, वे राजनीति से प्रेरित होने के अलावा और कुछ नहीं हैं।

बैकग्राउंड
 
यह लगभग दो साल से चली आ रही कहानी है। मार्च, 2015 के आसपास गुजरात सरकार की ओर से हमें गिरफ्तार करने की कोशिश नाकाम हो गई थी। ( हमारे खिलाफ एक और झूठा आरोप लाद दिया गया था और इसके आधार पर मुझे और जावेद आनंद को फंसाने की योजना थी)। इस मामले में जरूरत से ज्यादा उत्साही एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरंग ट्रस्ट के खिलाफ मंत्रालय की ओर से जांच का ऐलान कर दिया था। जांच बहुलतावादी भारत कार्यक्रम के तहत खोज एजुकेशन के एक प्रोजेक्ट के खिलाफ होनी थी। इस कार्यक्रम को एक विस्तार मिला था और यह 2010-2014 तक चला। अब हमारे खिलाफ फासिस्ट अंदाज में फंड के दुरुपयोग के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब यह हमारे खिलाफ नफरत फैलाने के स्तर तक पहुंच गया है। चूंकि हमारे खिलाफ इस तरह का आरोप साबित नहीं हो पाया सो अब आरएसएस और मुरली मनोहर जोशी (इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक) पर तीस्ता सीतलवाड़ के विचार को लेकर हमें निशाना बनाया जा रहा है।
 
एक चीज जो बेहद सुविधाजनक तरीके से नजरअंदाज की जा रही है वह यह कि जाकिया जाफरी मामले के जोर पकड़ने ( 2010,2011,2013,2015) के बाद हमारे खिलाफ झूठे आरोप तेजी से लगाए जाने लगे। ये सभी आरोप सरकार ने नहीं सिटीजन फॉर पीस के असंतुष्ट कर्मचारी रईस खान ने लगाए थे। रईस खान को इसका पुरस्कार मिला और उन्हें मोदी सरकार ने सेंट्रल वक्फ बोर्ड में पदाधिकारी के पद से नवाजा।

(फरवरी, 2016 में स्मृति ईरानी ने हमेशा की तरह गलत तथ्यों के आधार पर आरोप लगाया कि 2001 में खोज प्रोजेक्ट के तहत इस्तेमाल और तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से लिखा गया टीचर्स रीडर कपिल सिब्बल के एचआरडी मिनिस्टर रहने के दौरान आया था। जबकि हकीकत यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का यह प्रोजेक्ट 2010 में शुरू हुआ था)।
 
बहरहाल खोज ने शिवाजी, ज्योतिबा फूले और बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षा की जो व्याख्या की  थी, वह भारत के सर्वश्रेष्ठ इतिहासकारों के मत और लेखन से प्रेरित थी। इसमें शिवाजी के गैर ब्राह्मण मूल की तलाश थी। यह पुरोहितों के मन में शिवाजी के प्रति वैर भाव को दर्शाती थी। याद रहे कि पुरोहितों ने उनका राज्याभिषेक करने से इनकार कर दिया था क्योंकि वे किसान जाति के थे।


झूठे आरोपों का मकसद
 
यह साफ लगता है कि गुजरात पुलिस तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद की ओर से सबरंग ट्रस्ट के फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाने में नकाम रही रही है। हमने अपने समर्थन में 20000 से ज्यादा दस्तावेजी सबूत सौंपे है।  केंद्रीय गृह मंत्रालय के इशारे पर सबरंग ट्रस्ट के दफ्तर और हमारे घर पर सीबीआई की 22 घंटे की रेड चली। अब एक और मंत्रालय को फर्जी आरोपों के आधार पर तीस्ता सीतलवाड़ और सबरंग ट्रस्ट की छवि खराब करने के लिए उनके पीछे छोड़ दिया गया है।

जब से मोदी सरकार ने केंद्र में सत्ता संभाली है तब से बदला लेने वाली तीन तरह की कार्रवाइयां हो रही हैं। इसके पहले भी गुजरात में तीस्ता के खिलाफ बदलने की भावना से सरकार कार्रवाई करती रही है। उनके खिलाफ झूठे आपराधिक मामले  लादे गए हैं। पहली कार्रवाई के तहत गुजरात क्राइम ब्रांच झूठ आपराधिक आरोप लगाती है। दूसरी तरह की कार्रवाई के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय बदले और पीछे पड़ने की रणनीति के तहत काम करता है। इसके तहत पहले सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट दोनों को पहले एफसीआरए रिन्युअल की मंजूरी दी जाती है और फिर इसे रद्द कर दिया जाता है। तीसरी तरह की कार्रवाई में सीबीआई को लगाया जाता है। इसमें सबरंग कम्यूनिकेशन के खिलाफ एफसीआरए एक्ट के तहत आपराधिक मामले दायर किए जाते हैं। (ऐसे मामले में बहुत थोड़े लोगों और संगठनों के खिलाफ ही मामले दर्ज किए गए हैं । अगर किए भी गए हैं तो सिविल चार्ज के तौर पर। और यह बताने की जरूरत भी नहीं है कि सीबीआई सीधे पीएमओ के तहत काम करती है।) । इन तरीकों को आजमाने के बाद तीस्ता और सबरंग ट्रस्ट के खिलाफ एक और नया अभियान शुरू हो गया है।

 
(गुजरात पुलिस की ओर से तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ प्रताड़ना और झूठे मामले जारी हैं। खास कर ट्विटर मामले को लेकर, जबकि ट्वीट जारी करने के 40 मिनट बाद ही इसके लिए माफी मांग ली गई थी।)

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