सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के बिना महिलाओं की तरक्की की चर्चाएं बेमानी: दिल्ली हाईकोर्ट

Written by sabrang india | Published on: March 4, 2025
"अगर हम वास्तव में महिलाओं के आगे बढ़ने की आकांक्षा रखते हैं, तो ज़रूरी है कि हम सबसे पहले ऐसा माहौल बनाएं जहां वे सुरक्षित हों।"


फोटो साभार : इंडियन एक्सप्रेस (फाइल फोटो)

दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की असुरक्षा को लेकर सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने इन स्थानों को असुरक्षित बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है और कहा है कि जब तक उत्पीड़न और भय मुक्त वातावरण नहीं बनाया जाता, तब तक महिलाओं की तरक्की पर सभी तरह की चर्चाएं बेमानी हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि वास्तविक सशक्तिकरण वही है, जब महिलाएं बिना किसी डर के जीने और स्वतंत्र रूप से घूमने के अधिकार को पा लेंगी।

अदालत ने यह टिप्पणी 28 फरवरी को दिए गए एक फैसले में कीं। यह मामला 2015 में एक सार्वजनिक बस में अपनी महिला सह-यात्री के साथ यौन उत्पीड़न के लिए सजा पाए हुए व्यक्ति से जुड़ा था। हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया।

साल 2019 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत दंडनीय अपराध के लिए एक साल के साधारण कारावास और धारा 509 (महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत छह महीने की सजा सुनाई। अपील के बाद ट्रायल कोर्ट ने भी इसी फैसले को बरकरार रखा था।

इस मामले में किसी भी तरह की नरमी बरतने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त कानूनों के बावजूद सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के उत्पीड़न का सामना करने पर गहरी चिंता और दुख जाहिर किया।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में सार्वजनिक परिवहन पीड़िता के लिए असुरक्षित जगह बन गया और अनुचित इशारे करने वाला और महिला को जबरन चूमने वाला आरोपी जो मौके पर ही पकड़ा गया था, उसके प्रति कोई भी अनुचित नरमी भविष्य के अपराधियों को प्रोत्साहित करेगी।

अदालत ने कहा, ‘मामले के तथ्य और आरोपी के कृत्य दर्शाते हैं कि लड़कियां आज भी सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित नहीं हैं। मामले के तथ्य यह भी दर्शाते हैं कि यह एक कड़वी सच्चाई है।’

अदालत ने आगे कहा कि, ‘ऐसे मामलों में फैसले समाज और समुदाय को संदेश भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं… कि अगर हम वास्तव में महिलाओं की तरक्की, उनके आगे बढ़ने की आकांक्षा रखते हैं, तो यह जरूरी है कि हम सबसे पहले ऐसा माहौल बनाएं जहां वे सुरक्षित हों – उत्पीड़न, अपमान और भय से मुक्त हों- और जो लोग सार्वजनिक स्थानों को असुरक्षित बनाते हैं, उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। जब तक ऐसा नहीं होता, महिलाओं की प्रगति पर सभी चर्चाएं सतही ही रहेंगी।

कोर्ट ने कहा कि यह मामला एक ‘दुर्लभ उदाहरण’ है जहां बस कंडक्टर और एक अन्य सह-यात्री जैसे पीड़ित के लिए अपरिचित लोगों ने अभियोजन पक्ष के समर्थन में पुलिस और ट्रायल कोर्ट के सामने खुलकर गवाही देते हुए ‘सराहनीय साहस’ दिखाया।

कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे उदाहरण महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सामूहिक जिम्मेदारी के महत्व को मजबूत करते हैं; समाज के हर व्यक्ति को उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में महिलाएं, युवती व नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका की गई। पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने महिला सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए 25 महिला अधिवक्ताओं स्टिंग ऑपरेशन गत फरवरी महीने में करवाया था। इन वकीलों को सुरक्षा के इंतजामों की पड़ताल के लिए भेजा गया। महिला अधिवक्ताओं ने बाजार, पार्क, स्कूल, कॉलेज की जांच की। महिला सुरक्षा को लेकर किए गए इंतजाम की हकीकत से न्यायालय को अवगत कराया गया।

हुजरात कोतवाली इलाके में अधिवाक्ताओं को महिलाओं ने बताया कि वह असुरक्षा का अहसास करती हैं। वहीं माधौगंज इलाके में महिलाओं में असुरक्षा का भाव था। नई सड़क के पास महिलाओं ने अधिवक्ताओं से कहा कि इस सड़क पर मंदिर के पास ही शराब की दुकान है। इनके पास से बच्चे व महिलाएं बाजार जा रही थीं। शराब की दुकान से महिलाएं असुरक्षा का हसास कर रही थीं।

बता दें कि महिलाएं पुरूष दर्जी को कपड़े की माप देने में असुरक्षा महसूस करती हैं ऐसे में उत्तर प्रदेश में अब पुरुष दर्जियों को महिलाओं के कपड़ों के माप लेने से रोकने की तैयारी चल रही है। नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने यह दिशा निर्देश प्रस्तावित किए हैं जिससे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा को अधिक बेहतर बनाया जा सके। महिला आयोग ने इसके साथ ही जिम, योग सेंटर तथा स्कूल बसों में भी महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कुछ नए कदम उठाने का प्रस्ताव रखा है।

खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का कहना है कि राज्य के जिम और योग सेंटर में महिला ट्रेनर जरूर होनी चाहिए। साथ ही सीसीटीवी कैमरे तथा डीवीआर भी होना चाहिए। महिला आयोग की तरफ से कहा गया कि स्कूल बस में या तो महिला टीचर हो या फिर महिला सुरक्षा कर्मी। साथ ही महिलाओं के बुटीक में महिला दर्जी के साथ ही सीसीटीवी भी जरूर हो। कोचिंग सेंटर में भी सीसीटीवी तथा महिलाओं के लिए शौचालय होना चाहिए। 

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