IIT-BHU: सस्पेंड छात्रों का निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर मार्च और सभा का आयोजन

Written by sabrang india | Published on: October 8, 2024
निलंबित छात्रों ने कहा कि न केवल उन्हें विश्वविद्यालय से सस्पेंड किया गया है, बल्कि उन्हें हॉस्टल और लाइब्रेरी से भी वंचित किया गया है। नोटिस में उन्हें अशिष्ट, आदतन अपराधी और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला बताया गया है।



आईआईटी-बीएचयू में गैंगरेप के खिलाफ आवाज उठाने वाले 13 छात्रों के निलंबन के खिलाफ गत सोमवार को न्याय मार्च निकाला गया और सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के मौजूदा और पूर्व छात्रों ने किया। इन छात्रों ने निलंबित स्टूडेंट्स का निलंबन वापस करने और छात्राओं के लिए सुरक्षित कैंपस बनाने की मांग की।

निलंबित छात्रों ने कहा कि न केवल उन्हें विश्वविद्यालय से सस्पेंड किया गया है, बल्कि उन्हें हॉस्टल और लाइब्रेरी से भी वंचित किया गया है। नोटिस में उन्हें अशिष्ट, आदतन अपराधी और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला बताया गया है।

उन्होंने पूछा, "क्या बलात्कार के खिलाफ बोलना, पीड़िता के साथ खड़ा होना और बलात्कारियों की गिरफ्तारी की मांग करना विश्वविद्यालय में अपराध है? ऐसा क्या हुआ कि बीएचयू प्रशासन, सरकार और बीएचयू से जुड़े तमाम संगठनों को हमारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन से दिक्कत हो गई?"

छात्रों ने आगे कहा कि तीनों बलात्कारी बीजेपी के पदाधिकारी थे और उनके प्रदर्शन से यह सच बाहर आने का खतरा था।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा, "हम कैंपस में जरूरी सवालों पर मुखर रहे हैं। हम सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते आए हैं। हमारी आवाज को दबाकर सरकार और बीएचयू प्रशासन उन सवालों को खत्म करना चाहती है जो हम प्रशासन से पूछते आए हैं। प्रशासन का यह नोटिस पूरी तरह से असंवैधानिक है। कई छात्रों को निलंबित किया गया है जिन्हें स्टैंडिंग कमेटी ने पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया था। जिन साथियों को बुलाया गया, उनसे कोई सवाल नहीं पूछे गए। यह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत और हमारे मानवाधिकारों का उल्लंघन है। ऐसे स्टूडेंट्स को भी निलंबित किया गया है जो घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। एक तरफ बीएचयू प्रशासन यह प्रचार कर रहा है कि यह दो संगठनों की आपसी मारपीट थी, तो क्या यह सवाल नहीं उठता कि आखिर एक सत्ता पोषित संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह कार्रवाई उनके खिलाफ है जो सरकार से सहमति नहीं रखते हैं। यह वर्तमान और आने वाले छात्रों के लिए संदेश है कि सवाल पूछोगे तो विश्वविद्यालय से निकाल दिए जाओगे। इसलिए इस निलंबन के खिलाफ बोलना बेहद जरूरी और सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।"

छात्रों ने मांग दोहराई कि विश्वविद्यालय प्रशासन को निलंबन वापस लेना होगा।



बता दें कि पिछले साल नवंबर में आईआईटी-बीएचयू की छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ सिंह द्वार पर बैठे छात्र-छात्राओं से हुई मारपीट के मामले में 13 छात्र-छात्राओं को बीएचयू प्रशासन ने इसी महीने की शुरुआत में सस्पेंड कर दिया था। घटना के 11 महीने बाद यह कार्रवाई विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से की गई। सस्पेंड किए गए 13 छात्रों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन पर 35 से अधिक मामले दर्ज हैं। इस कार्रवाई में भगत सिंह मोर्चा, आईसा और एनएसयूआई के सदस्य शामिल हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई के तहत छह छात्राओं और दो छात्रों को 30 दिन के लिए विश्वविद्यालय से निलंबित किया गया। वहीं, पांच छात्रों का निलंबन 15 दिन के लिए हुआ है। इन्हें हॉस्टल, लाइब्रेरी और एचआरए की सुविधा से भी बेदखल करने का फैसला लिया गया। इसके अलावा, विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों की काउंसिलिंग कराने और उनसे कम्युनिटी सर्विस कराने का भी आदेश दिया।

ज्ञात हो कि पिछले साल एक नवंबर की रात आईआईटी बीएचयू की एक छात्रा से परिसर में गैंगरेप हुआ था। इसके विरोध में आईआईटी बीएचयू के छात्र-छात्राओं ने कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया। इसी घटना के विरोध में बीएचयू के छात्र-छात्राएं भी सिंह द्वार पर धरने पर बैठ गए थे। बीते साल पांच नवंबर को दो संगठनों, एबीवीपी और भगत सिंह छात्र मोर्चा, के बीच मारपीट हुई थी। इसके बाद कई छात्रों पर मुकदमा किया गया था। यूनिवर्सिटी की ये कार्रवाई इन्हीं छात्र-छात्राओं पर हुई है।

बता दें कि पिछले साल घटना के लगभग 60 दिनों बाद तीन अभियुक्तों कुणाल पांडेय, आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, वारदात में इस्तेमाल मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली गई थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए तीनों अभियुक्त बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े हुए थे। पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ इनकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। दावा किया गया है कि कुणाल पांडेय वाराणसी में बीजेपी आईटी सेल का संयोजक रह चुका है। वहीं, सक्षम पटेल बीजेपी की वाराणसी यूनिट में आईटी सेल का सह- संयोजक रहा है और आनंद उर्फ अभिषेक आईटी सेल कार्यसमिति का सदस्य रह चुका है।

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