पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने दिनांक 31 मई को, हरियाणा राज्य की बोनस अंक पॉलिसी को निरस्त कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया है जो उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, किसी भी भर्ती परीक्षा में राज्य सरकार किसी वर्ग विशेष को लुभाने के लिए बोनस अंक नहीं दे सकती। उल्लेखनीय है कि हरियाणा राज्य सरकार ने मई 2022 में एक नई नीति लागू की थी जिसके तहत राज्य के मूल निवासी, सामाजिक और आर्थिक आधार पर कुछ उम्मीदवारों को 5% बोनस अंक दिए गए थे।
जस्टिस एएस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने 2023 की कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी 2023) के दौरान ग्रुप सी और डी पदों की भर्ती में हरियाणा के मूल निवासियों को अतिरिक्त अंक देने वाली अधिसूचना खारिज कर दी थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ओक ने टिप्पणी की कि हरियाणा में 'विमुक्त जनजाति' से संबंधित उम्मीदवार को अतिरिक्त 5 अंक देने की नीति, जिसका परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, केवल जनता को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन उपाय है और योग्यता को प्राथमिकता देने के सिद्धांत से भटक गया है।
उन्होंने आगे कहा, "अपने प्रदर्शन के बाद मेधावी उम्मीदवार को 60 अंक मिलते हैं, किसी और को भी 60 अंक मिले हैं, लेकिन केवल 5 अनुग्रह अंकों के कारण वह आगे बढ़ गया...ये सभी लोकलुभावन उपाय हैं...आप इस तरह की कार्रवाई का बचाव कैसे करेंगे कि किसी को 5 अंक अतिरिक्त मिल रहे हैं?"
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रस्तुत किया कि ग्रेस मार्क्स पॉलिसी सरकार द्वारा उन परिवारों को अवसर देने के लिए शुरू की गई, जो सार्वजनिक रोजगार की सुरक्षा से वंचित हैं।
उन्होंने कहा, "यह 5% अतिरिक्त लाभ किसे दिया जाता है? एक व्यक्ति जिसका परिवार रोजगार में नहीं है...सरकार यह कहना चाहती है कि जो परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, उसे अवसर मिलना चाहिए। तो क्या उन्हें सार्वजनिक रोजगार पाने का अवसर नहीं मिलना चाहिए?"
याचिका पर आगे विचार करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होते हुए बेंच ने अपने खारिज करने के आदेश में कहा कि विवादित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है।
हमने वंचित वर्ग के लिए बोनस अंक दिए हैं, हरियाणा सरकार की दलील
नीति को उचित ठहराते हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने उन लोगों को अवसर देने के लिए कृपांक नीति शुरू की, जो सरकारी नौकरियों से वंचित थे। वेंकटरमणी ने लिखित परीक्षा फिर से आयोजित करने के हाई कोर्ट के निर्देश का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक-आर्थिक मानदंडों का क्रियान्वयन लिखित परीक्षा लिये जाने के बाद हुआ था, न कि सामान्य पात्रता परीक्षा (CET) के बाद।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने दिनांक 31 मई को, हरियाणा राज्य की बोनस अंक पॉलिसी को निरस्त कर दिया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने 31 मई को हरियाणा सरकार की उस नीति को खारिज कर दिया था, जिसके तहत ‘‘ग्रुप C और ग्रुप D’’ पदों के लिए CET (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) में कुल अंकों में राज्य के निवासी अभ्यर्थी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर पांच प्रतिशत बोनस अंक दिए जाने थे। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि कोई भी राज्य पांच प्रतिशत अंकों का लाभ देकर रोजगार को केवल अपने निवासियों तक सीमित नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा था कि, प्रतिवादी (राज्य सरकार) ने पद के लिए आवेदन करने वाले समान स्थिति वाले अभ्यर्थियों के लिए एक कृत्रिम वर्गीकरण किया है।
HCET का रिजल्ट दोबारा घोषित किया जाएगा
राज्य सरकार की नीति मई 2022 में लागू की गई और इसने 63 समूहों में 401 श्रेणियों की नौकरियों को प्रभावित किया, जिनके लिए CET आयोजित की गई थी। हाई कोर्ट ने 10 जनवरी 2023 को घोषित CET परिणामों और 25 जुलाई 2023 के बाद के परिणामों को भी रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि उम्मीदवारों के CET अंकों के आधार पर पूरी तरह से एक नई मेधा सूची तैयार की जाए।
Related:
सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया है जो उन्होंने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, किसी भी भर्ती परीक्षा में राज्य सरकार किसी वर्ग विशेष को लुभाने के लिए बोनस अंक नहीं दे सकती। उल्लेखनीय है कि हरियाणा राज्य सरकार ने मई 2022 में एक नई नीति लागू की थी जिसके तहत राज्य के मूल निवासी, सामाजिक और आर्थिक आधार पर कुछ उम्मीदवारों को 5% बोनस अंक दिए गए थे।
जस्टिस एएस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने 2023 की कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी 2023) के दौरान ग्रुप सी और डी पदों की भर्ती में हरियाणा के मूल निवासियों को अतिरिक्त अंक देने वाली अधिसूचना खारिज कर दी थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ओक ने टिप्पणी की कि हरियाणा में 'विमुक्त जनजाति' से संबंधित उम्मीदवार को अतिरिक्त 5 अंक देने की नीति, जिसका परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, केवल जनता को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन उपाय है और योग्यता को प्राथमिकता देने के सिद्धांत से भटक गया है।
उन्होंने आगे कहा, "अपने प्रदर्शन के बाद मेधावी उम्मीदवार को 60 अंक मिलते हैं, किसी और को भी 60 अंक मिले हैं, लेकिन केवल 5 अनुग्रह अंकों के कारण वह आगे बढ़ गया...ये सभी लोकलुभावन उपाय हैं...आप इस तरह की कार्रवाई का बचाव कैसे करेंगे कि किसी को 5 अंक अतिरिक्त मिल रहे हैं?"
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रस्तुत किया कि ग्रेस मार्क्स पॉलिसी सरकार द्वारा उन परिवारों को अवसर देने के लिए शुरू की गई, जो सार्वजनिक रोजगार की सुरक्षा से वंचित हैं।
उन्होंने कहा, "यह 5% अतिरिक्त लाभ किसे दिया जाता है? एक व्यक्ति जिसका परिवार रोजगार में नहीं है...सरकार यह कहना चाहती है कि जो परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, उसे अवसर मिलना चाहिए। तो क्या उन्हें सार्वजनिक रोजगार पाने का अवसर नहीं मिलना चाहिए?"
याचिका पर आगे विचार करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होते हुए बेंच ने अपने खारिज करने के आदेश में कहा कि विवादित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है।
हमने वंचित वर्ग के लिए बोनस अंक दिए हैं, हरियाणा सरकार की दलील
नीति को उचित ठहराते हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने उन लोगों को अवसर देने के लिए कृपांक नीति शुरू की, जो सरकारी नौकरियों से वंचित थे। वेंकटरमणी ने लिखित परीक्षा फिर से आयोजित करने के हाई कोर्ट के निर्देश का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक-आर्थिक मानदंडों का क्रियान्वयन लिखित परीक्षा लिये जाने के बाद हुआ था, न कि सामान्य पात्रता परीक्षा (CET) के बाद।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने दिनांक 31 मई को, हरियाणा राज्य की बोनस अंक पॉलिसी को निरस्त कर दिया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने 31 मई को हरियाणा सरकार की उस नीति को खारिज कर दिया था, जिसके तहत ‘‘ग्रुप C और ग्रुप D’’ पदों के लिए CET (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) में कुल अंकों में राज्य के निवासी अभ्यर्थी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर पांच प्रतिशत बोनस अंक दिए जाने थे। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि कोई भी राज्य पांच प्रतिशत अंकों का लाभ देकर रोजगार को केवल अपने निवासियों तक सीमित नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा था कि, प्रतिवादी (राज्य सरकार) ने पद के लिए आवेदन करने वाले समान स्थिति वाले अभ्यर्थियों के लिए एक कृत्रिम वर्गीकरण किया है।
HCET का रिजल्ट दोबारा घोषित किया जाएगा
राज्य सरकार की नीति मई 2022 में लागू की गई और इसने 63 समूहों में 401 श्रेणियों की नौकरियों को प्रभावित किया, जिनके लिए CET आयोजित की गई थी। हाई कोर्ट ने 10 जनवरी 2023 को घोषित CET परिणामों और 25 जुलाई 2023 के बाद के परिणामों को भी रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि उम्मीदवारों के CET अंकों के आधार पर पूरी तरह से एक नई मेधा सूची तैयार की जाए।
Related: