यूपी के हाथरस में दलित लड़की के साथ बलात्कार मामले की कवरेज करने जा रहे केरल निवासी पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को कवरेज साइट से पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। वे 28 महीने जेल की सजा काटने के बाद फरवरी 2023 में रिहा हुए। उनकी रिहाई के बाद सबरंग डॉट इन की सह संस्थापक व सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) की सचिव तीस्ता सेतलवाड़ ने उनसे न्यायिक मामलों से लेकर जेल की कठिनाइयों के बारे में विस्तार से बात की।
सिद्दीकी कप्पन यूएपीए, पीएमएलए, धारा 153ए आदि की सजा काट रहे हैं। उनका कसूर यह था कि वे साल 2020 में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार पर रिपोर्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे। इस साक्षात्कार में वे बताते हैं कि भले ही वे यूपी के मथुरा और लखनऊ की जेलों से सजा काट चुके हैं लेकिन उन्हें अभी तक अपने अपराध के बारे में मालूम नहीं है क्योंकि अभी तक चार्जशीट दायर नहीं हुई है।
हाथरस केस की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ्तार किए गए कप्पन को केरल के पत्रकार के तौर पर प्रचारित किया गया था लेकिन इस इंटरव्यू में दावा किया गया है कि वे साल 2013 से दिल्ली में रह रहे थे और एक मलयालम समाचार पोर्टल, azhimuham.com के साथ काम कर रहे थे, और केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव थे।
उन्हें दो आरोपों में गिरफ्तार किया गया था: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए)। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2022 में यूएपीए मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन शर्त यह थी कि उन्हें हर सोमवार को केरल के स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा। उन्हें फरवरी 2023 में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
कप्पन दावा करते हैं कि वे भले ही जेल से रिहा हो गए हैं और उन्हें अपने अपराध के बारे में ज्ञात नहीं है और आज भी वे यह महसूस करते हैं कि वे खुली जेल में हैं। उनका कहना है कि उनका मामला जैसे ही ट्रायल कोर्ट में जाएगा, उन्हें तभी जेल में भेज दिया जाएगा। इस साक्षात्कार में वे अपने जेल के अनुभवों के अलावा पारिवारिक परेशानियों और आर्थिक स्थिति का भी वर्णन करते हैं।
पूरा साक्षात्कार इस वीडियो में देख सकते हैं:
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सिद्दीकी कप्पन यूएपीए, पीएमएलए, धारा 153ए आदि की सजा काट रहे हैं। उनका कसूर यह था कि वे साल 2020 में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार पर रिपोर्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे। इस साक्षात्कार में वे बताते हैं कि भले ही वे यूपी के मथुरा और लखनऊ की जेलों से सजा काट चुके हैं लेकिन उन्हें अभी तक अपने अपराध के बारे में मालूम नहीं है क्योंकि अभी तक चार्जशीट दायर नहीं हुई है।
हाथरस केस की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ्तार किए गए कप्पन को केरल के पत्रकार के तौर पर प्रचारित किया गया था लेकिन इस इंटरव्यू में दावा किया गया है कि वे साल 2013 से दिल्ली में रह रहे थे और एक मलयालम समाचार पोर्टल, azhimuham.com के साथ काम कर रहे थे, और केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव थे।
उन्हें दो आरोपों में गिरफ्तार किया गया था: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए)। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2022 में यूएपीए मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन शर्त यह थी कि उन्हें हर सोमवार को केरल के स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा। उन्हें फरवरी 2023 में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
कप्पन दावा करते हैं कि वे भले ही जेल से रिहा हो गए हैं और उन्हें अपने अपराध के बारे में ज्ञात नहीं है और आज भी वे यह महसूस करते हैं कि वे खुली जेल में हैं। उनका कहना है कि उनका मामला जैसे ही ट्रायल कोर्ट में जाएगा, उन्हें तभी जेल में भेज दिया जाएगा। इस साक्षात्कार में वे अपने जेल के अनुभवों के अलावा पारिवारिक परेशानियों और आर्थिक स्थिति का भी वर्णन करते हैं।
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