आजमगढ़ एयरपोर्ट: रात में सर्वे, जमीन बचाने के लिए विरोध में उतरे किसान

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 5, 2022
आजमगढ़ एयरपोर्ट को इंटरनेशनल बनाने के लिए यूपी सरकार 670 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर रही है 



उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आजमगढ़ एयरपोर्ट को प्रदेश का पांचवां इंटरनेशल एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों की भूमि का सर्वे करा रही है. लेकिन सरकार के फैसलें से किसान नाराज हैं और किसी भी कीमत पर अपनी भूमि को देने के लिए तैयार नहीं है. सरकार अर्न्तराष्टीय एयरपोर्ट के लिए 670 एकड़ भूमि का सर्वे करा रही है. किसानों का आरोप है कि भारी विरोध चलते अब सर्वे का काम रात में चल रहा है. उनसे अभद्रता की जा रही है.

जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर सगड़ी तहसील के मंदुरी में आजमगढ़ एयरपोर्ट स्थित है. आजमगढ़-अयोध्या मुख्य मार्ग पर स्थित मंदुरी हवाई अड्डा करीब 104 एकड़ भूमि में बनाया गया है.

वर्ष 2005 में यहां पहले हवाई पट्टी थी जहां पर कई बार नेताओं के विमान उतरकर उड़ान भर चुके हैं. नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई पट्टी का विस्तार करते हुए उसे हवाई अड्डा बनाने की घोषणा की गई. अप्रैल 2019 में निर्माण कार्य के लिए शासन द्वारा 18.21 करोड़ रुपये का बजट जारी किया. धन मिलने के बाद निर्माण कार्य जोर पकड़ा और हवाई अड्डा बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है.

इस हवाई अड्डे के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया था. निर्माण कार्य वाराणसी एयरपोर्ट अथॉरिटी की देखरेख में संपन्न हुआ है.
इस हवाई अड्डे का निरीक्षण करके कई बार वाराणसी, लखनऊ और दिल्ली एयरपोर्ट अथारिटी अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है. रीजनल कनेक्टविटी के तहत उड़ान के लिए एयरपोर्ट पूरी तरह से तैयार है और नवंबर में रिजनल कनेक्टविटी के तहत उड़ान शुरू हो सकती है.

इसी बीच शासन ने एयरपोर्ट के विस्तारिकरण के साथ आजमगढ़ को अर्न्तराष्टीय स्तर का एयरपोर्ट बनाने के लिए 670 एकड़ भूमि का सर्वे का काम जिला प्रशासन को सौंपा. जिला प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू किया तो किसान विरोध में उतर गए.

क्यों खफा हैं किसान?
670 एकड़ जमीन करीब एक दर्जन गांवों के सैकड़ो किसानों से ली जाएगी. इसमें से कई गांवों का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है. जिसमें मुख्य रूप से गधनपुर और हिच्छनपट्टी, जमुआ और कुआ गांव आते हैं. इसी विस्तारीकरण के खिलाफ किसान उठ खड़े हुए हैं.

गधनपुर और हिच्छनपट्टी में महीनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है. किसान सर्वे की टीमों को गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं. किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने कई लोगों को उठा कर थाने में बंद कर दिया है. रात के अंधेरे में पुलिस और पीएसी के जवानों के साथ सर्वे का काम चल रहा है. धरनास्थल पर अब कई किसाना संगठनों के साथ ही रिहाई मंच भी किसानों का समर्थन कर रहा है.

किसानों की लड़ाई लड़ने वाले रामनयन यादव कहते हैं कि यहां प्रशासन लोगों को प्रताड़ित कर रहा है, सम्मानित लोगों को थाने में बंद कर दिया. बुजुर्गों को गांव में मारा-पीटा जा रहा है इसको देखते हुए हम यहां किसानों के समर्थन में आए कि सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है. उन्होंने कहा कि हमारी सिर्फ मांग यह है कि जो किसानों की जमीन न जाए, लोगों को विस्थापित न किया जाए

वहीं किसानों के समर्थन में अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचे रिहाई मंच के अध्यक्ष राजीव यादव कहते हैं कि आजमगढ़ के लोगों ने यहां अन्तर्राष्टीय हवाई अड्डे की न मांग की थी न ही जरूरत है. हमारी जरूरत खेती, किसानी की जरूरत है. शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, बीज, खाद की जरूरत है. लेकिन सरकार कार्पोरेट घरानों के चक्कर में हमारी जमीन उनको दे रही है.

आजमगढ़ के अपर जिलाधिकारी अनिल कुमार मिश्र ने क्विंट से बात करते हुए इन आरोपों पर सीधे कोई जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि 80 फीसदी लोग सहमत होंगे तब ही अधिग्रहण किया जाएगा. रही बात नए गांवों के अधिग्रहण की तो वो इसलिए क्योंकि रास्ते में हाइवे आ रहा था.

साभार- द् क्विंट

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