8 दिसंबर के 'भारत बंद' को RJD, SP, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का समर्थन

Written by sabrang india | Published on: December 7, 2020
नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। 8 दिसंबर को किए गए‘भारत बंद’ के आह्वान को कई विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया है। इन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है।



कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एम के स्टालिन तथा गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाये गये ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया।

सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। 

किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने कहा, ‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।’

 उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।’



"जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय का आगाज़" 
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने किसान आंदोलन के समर्थन में 7 दिसंबर दोपहर 3:00 बजे सिंधु बॉर्डर पहुँचने का आह्वान किया है! 

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा, "आप देख ही रहे हैं कि पिछले कितने ही दिनों से देशभर के किसान जिसमें पंजाब के सर्वाधिक किसान हैं, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान आए हैं, परेशान होकर दिल्ली के दरवाजे पर पहुंचे। जहां उनका स्वागत लाठियों, आंसू गैस के गोलों, ठंडे पानी की बौछार, कटीले तार, कई कई मीटर के गड्ढे, सड़क पर बड़े-बड़े पत्थरों, रेत भरे ट्रकों से किया गया।

मगर किसान रुके नहीं और डेरा डालकर जमे रहे। आखिरकार सरकार ने 3 तारीख से बातचीत शुरू की जो अभी तक बेनतीजा रही है। किसान आंदोलन ने 8 तारीख को देशव्यापी बंद का आह्वान दिया है।

"जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय" की भूमिका इसमें आंदोलन को प्रचार-प्रसार, साथ समर्थन, अलग-अलग जगह देश में धरने प्रदर्शन रही। जगह-जगह से देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधु बॉर्डर तक कम ज्यादा संख्या में साथी पहुंचे।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय आप तमाम जन सरोकारों को मानने वाले, विभिन्न जन संगठनों, मान्यवंतो, बुद्धिजीवियों, वकीलों, डॉक्टरों, युवाओं, छात्र-छात्राओं, अन्न सुरक्षा से लेकर महिला सुरक्षा, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, बस्ती विस्थापन से लेकर दलित अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों के खिलाफ खड़े होने वाले व्यक्ति, संगठन, संस्थान सबको आह्वान करता है की अन्नदाता किसानों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए आयें। दिल्ली में बैठी केंद्रीय सत्ता को दिखाएं की पूरे झूठे प्रचार के बावजूद दिल्ली और आसपास की हम सब, सर्दी के मौसम में कड़े संघर्ष के लिए तैयार किसानों के साथ हैं।

भारत बंद के पूर्व दिन 7 दिसंबर को 3 बजे हम आप सब सिंघु बॉर्डर की चुंगी पर मिलकर किसान आंदोलन से रूबरू होने के लिए प्रत्यक्ष समर्थन के लिए जाएंगे।\

यह किसान आंदोलन से मिलन होगा।"

मेधा पाटकर, संजीव कुमार, अंजलि भारद्वाज, अनिल वर्गीज एवं विमल भाई

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